इस पुस्तक में कुछ ऐसी प्रेरणादायक कहानियाँ हैं जोकि हमारे जीवन में एक नयी उमंग भरने के साथ-साथ हमारी सफलता के रास्ते में आने वाली सभी मुश्किलों को दूर करेंगी ।
कहानियां हमारी ज़िन्दगी बदल सकती हैं। जिंदगी में कुछ पाना है, कुछ करना है उन सभी के लिए प्रेरक प्रसंग बहुत की उपयोगी सिद्ध होते हैं। यह हमें मोटीवेट करते हैं क्योंकि जब तक हमारे जीवन में कोई प्रेरक प्रसंग नहीं होगा, तब तक हम आगे नहीं बढ़ सकते और ना ही सफल हो सकते हैं।
कई लोग स्वयं प्रेरित हो जाते है जबकि कुछ लोग बाहरी प्रेरणा से, प्रेरक प्रसंगों से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं।
सफल वही होता है जो लक्ष्य का निर्धारण करता है, उस पर अडिग रहता है। रास्ते में आने वाली हर कठिनाइयों का डटकर सामना करता है और छोटी-छोटी कठिनाईयों को नजरअंदाज कर देता है।
हम जो भी प्राप्त करना चाहते हैं। उसे पाने के लिए जब तक उसके पीछे नहीं पड़ जाते तब तक हम उसे प्राप्त नहीं कर सकते। अगर हम प्रश्न नहीं पूछेंगे तो उत्तर नहीं मिलेगा। अगर हम अपने कदम आगे नहीं बढ़ाएंगे हैं तो हम जहां पर है हमेशा वहीं रहेंगे इसलिए सदैव आगे बढ़ते रहिए।
जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तो उसे पतली एंव कमजोर रस्सी से बांधा जाता है। हाथी का बच्चा छोटा एंव कमजोर होने के कारण उस रस्सी को तोड़कर भाग नहीं सकता लेकिन जब वही हाथी का बच्चा बड़ा और शक्तिशाली हो जाता है तो भी उसी पतली एंव कमजोर रस्सी से ही बँधा रहता है।
जिसे वह आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह उस रस्सी को तोड़ता नहीं है और बंधा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हाथी का बच्चा छोटा था तो वह बार-बार रस्सी को तोड़कर भागने की कोशिश करता था लेकिन वह कमजोर होने के कारण उस पतली सी रस्सी को भी तोड़ नहीं सकता था। आखिरकार वह मान लेता है कि वह कभी भी उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता।
हाथी का बच्चा बड़ा हो जाने पर भी यही समझता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता और वह कोशिश ही नहीं करता है। इस प्रकार वह अपनी गलत मान्यता अथवा गलत धारणा के कारण एक छोटी सी रस्सी से बंधा रहता है जबकि वह दुनिया के सबसे ताकतवर जानवरों में से एक है।
वैज्ञानिकों के अनुसार भौंरे का शरीर बहुत भारी होता है इसलिए विज्ञान के नियमों के अनुसार वह उड़ नहीं सकता लेकिन भौंरे को इस बात का पता नहीं होता इसलिए वह यह मानता है कि वह उड़ सकता है और वह लगातार कोशिश करता जाता है और बार-बार असफल होने पर भी वह हार नहीं मानता क्योंकि वह यही सोचता है कि वह उड़ सकता है। आखिरकार भौंरा उड़ने में सफल हो ही जाता है।
मित्रों, इस जीवन में नामुमकिन कुछ भी नहीं है। नामुमकिन शब्द मनुष्य ने ही बनाया है। जब टेलीफोन और रेडियो आदि का आविष्कार नहीं हुआ था तो दुनिया और विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुँचाना नामुनकिन है लेकिन आज मोबाइल हमारे जीवन का हिस्सा है।
इसी तरह जब तक विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं है लेकिन जब राइट बंधुओं ने विमान का आविष्कार किया तो यह असंभव कार्य संभव में बदल गया।
हम वो सब कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं जो आज तक हमने नहीं सोचा।
हम गलत धारणाएँ बना लेते हैं और इसी कारण हमें कार्य मुश्किल या असंभव लगता है।
हम आज जो भी है वह हमारी सोच का ही परिणाम है। हम जैसा सोचते है,वैसा ही बन जाते है।
असंभव या नामुनकिन हमारी सोच का ही परिणाम है। हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम मानते है और विश्वास करते है।
भौरा विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ जाता है जबकि हाथी कमजोर रस्सी को आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह यह मानता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को तोड़ नहीं पाता है।
यह हम पर निर्भर करता है कि हमें हाथी की तरह अपनी ही सोच का गुलाम रहना है या भौरे की तरह स्वतंत्र होना है।
अगर हम स्वंय पर विश्वास करते है और मानते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं तो हमारे लिए नामुनकिन कुछ भी नहीं है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
डॉ.निशा नंदिनी भारतीय
आर.के.विला
बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी,
गली- ज्ञानपीठ स्कूल
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