shabd-logo

आमुख

12 जून 2022

36 बार देखा गया 36

"कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां यथार्थ पर आधारित हैं। हमारे चारों तरफ बहुत सी कहानियां बिखरी पड़ी हैं।  हमें और आपको बस समेटने की आवश्यकता है।

किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें कथा का क्रमिक विकास हो, उसे कहानी कहा जाता है। वास्तव में कहानी हमारे जीवन के इतने निकट होती है कि हर आदमी किसी न किसी रूप में कहानी सुनता और सुनाता है। कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव इतिहास, क्योंकि कहानी मानव के स्वभाव और प्रकृति का हिस्सा है।

कहानी कहने की कला का विकास मानव के अस्तित्व के साथ हो गया था। हालांकि पहले की कहानियां आज की कहानियों जैसी नहीं होती थीं। उस समय कहानियां देवी देवताओं, राक्षसों या जानवरों से संबंधित हुआ करती थीं।

प्राचीन काल में कहानियां संचार का सबसे बड़ा माध्यम होने के कारण मौखिक हुआ करती थीं।  समय की धारा के साथ धीरे-धीरे कहानियों का विकास हुआ। तत्कालीन कहानियां किसी घटना, युद्ध, प्रेम तथा प्रतिशोध पर आधारित होने लगीं और फिर एक समय आया जब सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियों को सुनते सुनाते उसमें कल्पना का भी मिश्रण होने लगा और आज हम काल्पनिक कहानियां सुनते और गुनते हैं।

 मन में उपजे भावों व विचारों को एक सुंदर रूप देना ही कहानी है।कहानी का विचार आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण उत्पन्न होता है। उसके बाद कहानीकार उसे विस्तार देने में जुट जाता है जिसका काम कल्पना के आधार पर होता है। कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती उसमें यथार्थ का पुट भी समाया होता है।

"कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां आंखों देखी व कानों सुनी हैं।

यह कहानी संग्रह मैं पाठकों को समर्पित करती हूँ। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि पाठकों को यह कहानियां मनोहारी लगेंगी और प्रेरित करेंगी।

 असीम शुभकामनाओं के साथ

लेखिका

डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

आर.के.विला

बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी,

गली- ज्ञानपीठ स्कूल

तिनसुकिया, असम  786192

मोबाइल- 9435533394, 9954367780

ई-मेल आईडी -  nishaguptavkv@gmail.com


22
रचनाएँ
कही-बतकही
5.0
"कही-बतकही" कहानी का विचार आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण उत्पन्न होता है। उसके बाद कहानीकार उसे विस्तार देता है जिसका काम कल्पना के आधार पर होता है। कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती उसमें यथार्थ का पुट भी समाया होता है। "कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां आंखों देखी व कानों सुनी हैं। https://youtube.com/@Shabdsafarnama_13
1

आमुख

12 जून 2022
0
1
0

"कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां यथार्थ पर आधारित हैं। हमारे चारों तरफ बहुत सी कहानियां बिखरी पड़ी हैं।  हमें और आपको बस समेटने की आवश्यकता है। किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा ज

2

लेखिका का परिचय

23 जून 2022
0
1
0

डॉ.निशा गुप्ता साहित्यिक नाम डॉ. निशा नंदिनी भारतीय का जन्म 13 सितंबर 1962 में उत्तर प्रदेश के  रामपुर जिले में हुआ था। पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता रामपुर चीनी मिल में अभियंता थे और माता स्वर्गीय राधा

3

पैगी की कर्मठता

12 जून 2022
1
1
0

वो बर्फ ही तो थी जो गिर रही थी धांय धांय। बड़े बड़े रुई के गोले सी। हाथ पैर सब सुन्न हो चुके थे। जब हम लेंकेस्टर (अमेरिका) के पार्क सिटी मॉल से बाहर निकले। जब हम लोग मॉल के अंदर गए थे। तब मौसम बिल्कु

4

रॉकी का दर्द

12 जून 2022
2
1
0

रॉकी मिस्टर माइक और पैगी की पालतू बिल्ली थी। वह हर समय घर के अंदर ही रहती थी। वे लोग उसे एक मिनट के लिए भी घर से बाहर नहीं जाने देते थे। पांच साल से रॉकी उनके घर की सदस्य बनी हुई है। उन्होंने उसे पूरी

5

सच्चा दान और आनंद

12 जून 2022
0
1
0

हमेशा की तरह मालती की अपने पति अशोक के साथ पाप-पुण्य, दान आदि को लेकर बहस होती रहती थी। मालती हर शनिवार मंदिर जाकर भगवान का भोग लगाती और दान पेटी में दान आदि करती रहती थी। वह चाहती थी कि उसका पति अशोक

6

टुलु की प्रेमकथा

12 जून 2022
0
1
0

यह प्रेम कथा है..असम के आदिवासी परिवार में जन्मी एक सोलह वर्षीय लड़की टुलुमुनि की।  जिसको प्यार सब टुलु कहते थे। एक सीधा साधा आदिवासी असमिया परिवार कोकराझार के एक छोटे से गांव में रहता था। चार बच्चों

7

उसके साथ वार्तालाप

13 जून 2022
1
1
0

आज प्रातः मैं अपने रसोईघर में सुबह की कड़क चाय बनाने में मशगूल थी...और वह पीछे के दरवाजे को जोर-जोर से खटखटा रही थी। अंदर आती और... फिर बाहर जा रही थी। उसके अंदर-बाहर...आने-जाने से जाली का दरवाजा बज र

8

हवाई यात्रा और काउंसिलिंग

13 जून 2022
1
1
0

इनडीगो की फ्लाइट में वह खिड़की की तरफ बैठा था.. और मैं पीपीई किट पहन कर बीच वाली कुर्सी पर बैठी थी। यह बात 2021 की है..जब मैं दिल्ली से "डाक्टरेट की उपाधि" व "नारी शक्ति सम्मान" लेकर वापस डिब्रूगढ़ जा

9

बच्चे की खुशी (लघुकथा)

13 जून 2022
1
1
0

कितने छोटे-छोटे तत्वों से बच्चों की खुशियां बंधी होती हैं...यह देख कर मन गदगद हो गया। बात उस समय की है जब मैं अपने बगीचे में टहल रही थी। सुबह का समय था। सूरज की सुनहरी किरणें मन को आनंदित कर रही थीं।

10

संवाद

13 जून 2022
0
1
0

पंचोली गांव के मुहाने पर पीपल और नीम के दो बहुत पुराने वृक्ष थे...दोनों में अटूट प्यार था। दोनों के बीच की दूरी कम होने के कारण...दोनों की टहनियां एक दूसरे के गले मिलकर संवाद कर लेती थी। आज दोनों वृक्

11

उलूक का एक जोड़ा

13 जून 2022
0
1
0

पिछवाड़े के कदंब के पेड़ पर बैठा...उलूक का एक जोड़ा...आपस में बतिया रहा था। मादा ने नर से कहा...क्या तुम बता सकते हो  ? यह मनुष्य हमें घुग्घू क्यों समझता है। नर ने कहा...अरे ! सुनो तुम्हें पता है। हम

12

दान प्रभु कृपा से होता है

13 जून 2022
0
0
0

दान आदि पुण्य का कार्य वही कर सकता है जिस पर प्रभु की कृपा बरसती है। यह बिल्कुल सच्ची घटना एक लघुकथा के रूप में... आप सबके साथ साझा कर रही हूँ। "श्री राम लला: मन से मंदिर तक" ऐतिहासिक पुस्तक निर्माण

13

गुणों की सुंदरता

13 जून 2022
0
0
0

यह कहानी है काकोरा बस्ती में रहने वाली एक मात्र एम.ए तक पढ़ी लिखी लड़की मानोबी की। मनोबी का जन्म एक बहुत ही साधारण से परिवार में हुआ था। उसके पिता के पास पैतृक संपत्ति के रूप में प्राप्त छोटा सा जमीन

14

सागर और तट का संवाद

13 जून 2022
0
0
0

सागर और तट दोनों सहोदर है... पर दोनों में बहुत अंतर है। सागर हमेशा जल में रहता और तट हमेशा सूखा रहकर धूप में तपता था। दोनों में प्रगाढ़ प्रेम है। जब तट को प्यास लगती तो सागर उसे भरपूर पानी पिलाकर उसे

15

पेड़ की आत्मकथा (लघुकथा)

13 जून 2022
2
0
2

मैं आम का पेड़ हूँ। आज में बूढ़ा हो गया हूँ। मेरी उम्र लगभग पचपन साल की हो गयी है। टोनू मोनू के पिता के जन्म के समय उनके दादा जी ने मुझे धरती पर रोपा था। आज टोनू मोनू के पिता भी पचपन साल के हो हैं। मै

16

कुहासा छट गया ( लघुकथा)

13 जून 2022
0
0
0

रवि और मोहन की दोस्ती बहुत  प्रगाढ़ थी। कक्षा में दोनों एक साथ ही बैठते थे। पहली कक्षा से एक साथ पढ़ते खेलते सातवीं तक आ गए थे। पढ़ने में दोनों ही बहुत अच्छे थे। सभी अध्यापक हर किसी को रवि और मोहन का उ

17

वैवाहिक वर्षगांठ

13 जून 2022
0
0
0

नीतामुनि हर साल की भांति इस साल भी बहुत धूमधाम से अपनी शादी की 22वीं सालगिरह मना रही थी। पति-पत्नी दोनों एक सुंदर से झूले में हाथ पकड़े बैठे थे। आने-जाने वाले लोगों का तांता लगा हुआ था।सभी लोग पति-पत

18

बेला और श्वेत गुलाब

13 जून 2022
0
0
0

घर के बाहर कोने में लगे बेला और गुलाब को मैंने एक साथ बो दिया था। जहां तक मुझे स्मरण आता है। मैंने कभी सफेद गुलाब का पौधा नहीं रोपा। मुझे लाल और गुलाबी गुलाब ही सदा से लुभाते रहे हैं। सच्चाई तो यह है

19

सपने का चोर

13 जून 2022
0
0
0

आज भी जब वह घटना याद आती है तो मन डर से भर जाता है और साथ ही हंसी भी आती है। यह बात उस समय की जब मैं कक्षा दसवीं में पढ़ती थी। हमारी पड़ोस में एक शर्मा परिवार रहता था। शुगर फैक्ट्री का कैंपस था।  लगभ

20

फटकन और नमक के लड्डू

15 जून 2022
0
1
0

मेरी कहानियां यथार्थ पर आधारित होती है इसलिए मैं हर किसी से बात करके अपनी कहानियां ढूंढती हूँ । दिल्ली प्रवास के दौरान एक टैक्सी में सफर करते हुए विनोद कुम्हार नाम के टैक्सी चालक ने अपने बचपन के पालन

21

प्रारब्ध का फल

18 जून 2022
0
0
0

प्रतापगढ़ के राजा महेंद्र सिंह के पास के बहुत ही सुन्दर घोड़ी थी। राजा ने उसका नाम अश्विका रखा था। कई बार युद्व में इस घोड़ी ने राजा के प्राण बचाये थे। वह घोड़ी राजा के लिए पूर्णतः वफादार थीI  राजा और

22

हृदयहीन महानगरी

18 जून 2022
0
0
0

रंजना अपने दिल्ली प्रवास की तैयारी करते हुए बहुत खुश थी, क्योंकि दिल्ली में उसके अपने बहुत खास मित्र रहते थे। उसने सोचा दिल्ली जाने से एक पंथ दो काज हो जाएंगे। अपने संस्थान का कार्य भी होगा और अपने वि

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए