सुबह 4 बजे फोन का रिंग बजता है, प्रेम फोन उठाकर....
प्रेम - हैलो...
निधि - हैलो प्रेम, पहचाना?
प्रेम - तुम इतना सुबह, बोली क्या काम है ?
निधि - मुझे तुमसे सिलेबस डिस्कस करना था, जो भी सर पढ़ाए है।
प्रेम - आज नही, फिर कभी आज मुझे काम है मुझे कही जाना है।
निधि - कहां जाना है? कहो तो हम भी साथ चले।
प्रेम - नही मुझे किसी दोस्त से मिलने जाना है।
निधि - दोस्त से मिलने जा रहे हों या किसी लड़की से।
प्रेम - समझो बात को मै शाम को आकर सब डिस्कस कर दूंगा, अभी मुझे सोने दो।
निधि - अछा ठीक है, फिर शाम को मिलते हैं।
प्रेम मन ही मन क्या आफ़त है, जल्दी से इसे हटाना होगा। प्रेम फिर सो जाता है....
कुछ समय पश्चात करीब 7 बजे फोन का रिंग बजता है, प्रेम फोन उठाकर...
प्रेम - हैलो वर्षा, मै आ ही रहा हूं बस मेरी आंख लग गई थी।
वर्षा - जल्दी करो, मुझे तुमसे कुछ कहना है और जल्दी आओ हमे कही जाना भी है।
प्रेम - ओके, मै आ रहा हूं।
इतना कहकर प्रेम फोन काटकर अब बाथरूम जाता है नहाने, जल्दी नहाकर बाहर आकर कपड़े पहन निकल जाता है वर्षा से मिलने।
प्रेम वहां पहुंचकर देखता है कि वर्षा उसका काफी लंबे वक्त से उसका इंतजार कर रही थी और वर्षा को प्रेम दूर से एक टक निहारता है और मन ही मन मुस्कुराता है और उसके अधरो पर सजी लाली को देख मन ही मन उसका रस लेना चाहता है और उसके आंखों में प्रेम का इंतेजार स्पष्ट झलक रहा था और उसने अपने बाल खोल रखे थे मानो आज मेघ को बरसने को खुली छूट दे रखी हो। ये सब मै देख ही रहा था कि तभी उसकी नज़र मुझपर पड़ती है और गुस्से से मेरे तरफ़ आती है और कहती हैं....
वर्षा - मैं कबसे तुम्हारा यहां इंतेजार कर रही हूं और तुम हो की दूर खड़े होकर मुझे देखें ही जा रहे हों, पता है कितनी परेशान हो गई थी।
प्रेम - अच्छा ठीक है, अब तो मै आ गया बताओ कहां चलना होगा ?
वर्षा - किसी ऐसी जगह जहां हम और तुम हो, मैं तुम्हे और जानना चाहती हुं।
प्रेम (सांस भरते हुए) - ओके, फिर चलो कही किराए पर रूम देखते हैं।
वर्षा - हम्म्म।
फिर दोनों एक मकान मे जाते है और वहा किराए के लिए रूम पूछते है बेसिकली यहां रूम कपल के लिए ही मिलते हैं तो वहा के ओनर ने कहां हां सर है आपको कितने घंटो के लिए चाहिए,
प्रेम (हकलाते हुए) - 3 घंटे के लिए।
ओनर (कुछ इसारे करते हुए) - साहब ये भी चाहिए आपको।
प्रेम देखता है तो एक कंडोम का पैकेट था, प्रेम इंकार करता है पर वर्षा कहती हैं ले लो। अब ओनर मन ही मन मुस्कुराने लगता है, और अपने एक वर्कर से कहता है कि सर को इनका रूम दिखा दो। वर्कर लेकर जाता है और कहता है कि साहब बिस्तर पर कुछ गिरना नही चाहिए नही तो आपको अलग से फाइन भरना पड़ेगा। फिर वर्षा ओर प्रेम तुम के अंदर पहुंच जाते हैं और प्रेम रूम का दरवाजा बंद कर देता है, और फिर पूछता है वर्षा से
प्रेम - अब बताओ क्या बात करना चाहती हो।
वर्षा प्रेम के करीब बैठ कर उसको देखने लगती हैं और अपने हाथो से प्रेम के हाथो को सहलाने लगती हैं। अब प्रेम वर्षा को रोकता है और पूछता है....
प्रेम - ये सब क्यूं, आखिर बात क्या है ?
वर्षा - तुम्हे पता कल जब मै कॉलेज गई तो क्लॉस में एक मेरा सीनियर जिसका नाम मनीष है, ओ मिला जो मुझे घूरे जा रहा है, और गंदे - गंदे इशारे कर रहा था और मैं उसे इग्नोर किए जा रही थी। फिर ओ मेरे पास आया और पूछा....'क्या तुम वर्जिन जो?' मै शर्मा गई और वहां से चली गई फिर उसके दोस्तों ने मुझपे कॉमेंट पास करने लगे की.... 'लगता है इस अभी तक किसी ने टच भी नही किया है '।
तो प्रेम मैं तुमसे वही टच चाहती हूं, मैं नही चाहती कि कल को जब मै अकेली रहूं तो ओ लड़के मेरा फायदा उठाए। मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूं और तुम्हारी बनकर रहना चाहती हूं, इसलिए मैं तुमसे ये सब करने को कह रही थी। (वर्षा इतना कहकर प्रेम से लिपटकर रोने लगती हैं)
प्रेम ( समझाते हुए) - अरे पगली इसके लिए रोते नही है, मैं सब ठीक कर दूंगा। तुम चिंता क्यूं करती हो और राही बात जहां हमे ये सब करने की तो हम अपनी खुशी से ये सब करेंगे ना की किसी के डर की वजह से, मैं मिल कर बात करता हूं उनसे।
फिर प्रेम वर्षा के सर को अपने गॉड में रखकर उसके बालों को सहलाने लगता है और उसे ओ उम्मीद की किरण देता है, ओ विश्वास दिलाता है की प्रेम हमेशा के लिए उसके साथ है।
अब प्रेम और वर्षा वहा से बाहर निकलते हैं एक दुसरे का हाथ पकड़े, फिर दोनो एक दुकान पार जाते हैं और कुछ खाने को ऑर्डर करते हैं फिर मंगाए गए खाने को खाकर ओ निकल पड़ते हैं वर्षा के हॉस्टल की तरफ़। रास्ते में प्रेम एक स्कॉफ खरीदता है और कहता है
प्रेम - वर्षा, ठंड आने वाली है और ये मुझे प्यारा भी लग रहा है तुम इसे अपने पास रखना।
इतना कहकर वर्षा को प्रेम स्कॉफ दे देता है और वर्षा उसे सीने से लगा लेती है, अब वर्षा का हॉस्टल आ चुका था तो वर्षा को बाय बोलकर प्रेम आगे बढ़ने वाला होता है कि वर्षा कहती है
वर्षा - कभी मुझे बाय मत कहना, कहना की फिर मिलते हैं।
प्रेम हां में सर हिलाता है और चेहरे पर स्माइल लाकर उससे विद लेता है और निकल पड़ता है अपने रूम की तरफ़। रूम पर पहुंचे वाला होता की देखता है की हॉस्टल के बाहर निधि खड़ी उसका इंतजार कर रही है।
प्रेम - यहां क्या कर रही हो ?
निधि - तुमने ही तो कहा था की शाम को मिलते हैं ?
प्रेम - अच्छा, मै भूल गया था? निधी क्या हम कल पढ़ाई कर ले आज मैं थक गया हूं।
निधि - अरे नही कल सर पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगी, बस थोड़ा सा ही मुझे बता दो ।
प्रेम - अच्छा चलो, जल्दी करो।
फिर प्रेम निधि को रूम में ले जाता है और सारे कंफ्यूजन दूर करता है
प्रेम - अब ठीक है तुम जाओ, अब मुझे आराम करना है।
निधि (किसी को कॉल करके) - हेलो, मनीष भईया कब तक आ रहे हैं ?
प्रेम (नाम सुनकर) - मनीष, ये वही है जो मेडिकल कालेज में पढ़ाई कर रहे हैं।
वर्षा - हां, तुम कैसे जानते हो ?
प्रेम - दरअसल मैं आज अपने गंग के दोस्त से मिलने गया था तो ओ बता रहीं थी की कालेज में एक सीनियर है मनीष नाम के ओ मुझे परेशान कर रहे हैं, गंदे कॉमेंट कर रहे हैं।
निधि - पर मेरे भैया तो ऐसे नही है, पर तुम कह रहे हो मै उनसे बात करती हूं। आगे से ओ परेशान नही करेंगे।
फिर निधी चली जाती है और घर पहुंचकर अपने भाई को फटकार लगाती है और कहती हैं
निधि - ओ भी एक लडकी है आज आप उसके साथ ऐसा कर रहे हैं कल को कोई मेरे साथ भी ऐसा करेगा, मुझे आगे से ये बात सुनाई नही देनी चाहिए।
अब उधर निधि प्रेम के दीए स्कॉफ को अपने सीने से लगाकर सोने चली जाती है और इधर प्रेम भी सोने जाता है और तभी फोन पर मैसेज आता है
निधी का मैसेज - अब भैया परेशान नही करेंगे, गुड नाईट।
प्रेम की अब आंख लगती हैं और ओ सो जाता है।