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मेला से स्कूल तक

9 अगस्त 2023

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एक बार की बात है इश्क का बाज़ार लगा था उसमे एक 12 साल का लड़का जिसकी प्यारी सी आंखे किसी हुस्न को छोड़ खिलौने व मिठाइयों पर थी ओ मिठाइयों को चखता फिर लेता मानो जैसे मिठाई के दुकान पर कोई ईमानदार नही बैठा, मिठाइयों को खरीदने के बाद लड़का अपने घर को निकला तबाही उसकी नजर एक दूसरे लड़के पर पड़ी जो अपनी महिला साथी अर्थात अपनी प्रेम-संगनी के साथ एक ही पेप्सी में दो रॉड डालकर पेप्सी का आनंद ले रहे थे तभी प्रेम (लड़का) जिसके दिल में प्रेम के दीपक जली और उसे प्रेम की अभिलाषा उसे प्रतीत होने लगी। प्रेम को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे पूरे मेले में ओ अकेला आया हो और ये हाल उसका सिर्फ एक प्रेम-संगनी के ना होने से था।

फिर प्रेम ये बात सोच मन को शांत किया और घर कि तरफ़ निकल पड़ा रास्ते में खेलते कूदते उसका जाना, आखिर हमारा हीरो अभी है तो बच्चा ही तभी उसकी नज़र एक साईकिल पर पड़ी जिस साईकिल की चेन उतर चुकी थीं और एक युवक साईकिल की चेन चढ़ाने में व्यस्त था तभी एक लड़की आते जाती लोगों को निराशा भरी नजरों से साईकिल की चेन चढ़ा रहे युवक के पीछे से देख रही थीं कि कही मेला खत्म न हों जाए जैसे उसे वर्षो से इंतजार था इस मेले में जाने का, ओ मुझे सड़क के दूसरे तरफ से लगातार देखे जा रही थी मानो जैसे वर्षो के बिछड़े हम दोनो हो। फिर उस युवक ने साईकिल की चेन चढ़ा ली और उस लडकी को वर्षा नाम से संबोधित करते हुवे बैठने को बोला ओ लड़की उस युवक की बेटी थी जिसका नाम वर्षा है अब ओ मेले के तरफ निकली और हम निकले अपने घर को।

अब मै घर पहुंचा और अपने दोस्त राजू को अपनी सारी कहानियां बताया और मै आपको बता दूं ये मेरा सबसे अजीज दोस्त है जिसके बिना हम कही जाना नही चाहते आज चले गए क्यूंकि इसके पिता आज इसे खेतों में काम करने के लिए साथ ले गए थे और मै भी जाने वाला नही था मेला करने पर मां के जिद की वजह से मुझे जाना पड़ा और हुवे आज के किस्से से तो मेरा जाना भी मुकम्मल हो गया क्योंकि आपके इस हीरो को प्रेम हो गया, मै और मेरा दोस्त राजू अब उस लडकी के बारे में सोचने लगे आखिर ओ कहां की रहने वाली है किसके घर कि है हालांकि मैने तो उसके पिता तो देख रखा था पर मै इन बातों से अंजान था कि उसको निवास कहा था अर्थात उसका घर कहां पर है इन्ही बातों को सोचते आधी रात गुजर गई और अब हम सन अपने बिस्तर पर चले गए।

उसको ढूढते काफी वक्त गुजर गया अब उसकी यादें धीरे-धीरे धुंधली पड़ने लगी थीं और तभी हमारे गर्मियों के छुट्टी खत्म हुई और हम विद्यालय के हम और राजू तैयार होकर निकल पड़े तब मै कक्षा 8 में था और राजू भी मेरे साथ मेरी कक्षा में, हम विद्यालय पहुंचने को थे कि तभी एक लड़की साईकिल पर सवार विद्यालय के गेट के पास आकर रूकी हालांकि उसके पिता उसके साथ थे और ओ कोई और नही वर्षा थीं, मैने जैसे उसे देखा राजू से उसके बारे में बता दिया कि यह वही है जिसको देख मेरे दिल ने इसको अपना मान लिया। फिर हम ईश्वर से प्रार्थना करने लगे कि वह हमारे ही कक्षा में एडमिशन ले पर खुदा ये इतना आसान नहीं लगा उन्होंने उसका एडमिशन कक्षा 7 में करा दिया, अब ओ हमारे पास होकर भी हमसे दूर थीं पर कोई बात नही हमे इस बबात की खुशी थीं कि उसे अब मै रोज देख सकता हु उससे मौका मिलते ही बात कर सकता हु उसके बारे में जानने के लिए दिल मचला जा रहा था आखिर क्या होगा।

प्रेम अर्थात मै अब उससे बात किए मुझसे रहा नही जा रहा है कि तभी विद्यालय की छुट्टी हुई और मैने उसे देखा घर जाते मै भी उसके पीछे लग गया जैसे ही मै उससे बात करने को उसके पास गया कि उसके पापा आ गए और उसको अपनी साइकिल पर बिठाए और घर की तरफ जाने लगे, तब अचानक से वर्षा की नजर मुझपर पड़ी तो उसने इशारों में मुझसे मेरा नाम पूछ लिया मैने भी अपना नाम उसे इशारों में बता दिया अब ओ समझ चुकी थीं फिर जब मै उससे पूछने को था कि तुम रहती कहा हो तब तक ओ बहुत दूर जा चुकी थीं फिर मै राजू के साथ घर को निकला। राजू का चेहरा खिलने लगा मैने पूछा ऐसा क्यू तो बोला " भाई तुझे तेरी प्यार मिल गई और मेरे चेहरे पर खुशी भी ना आए" फिर हम दोनो हंसते घर पहुंचे।

अब हमे इंतेजार था तो अगले दिन का जब ओ पढ़ने आए तो उससे बातें हो अगला दिन आया और आज ओ पढ़ने आई छुट्टी भी हुई, अब ओ वक्त था जब मै उससे अपनी बात कहूं फिर मै क्या देखता हूं कि ओ मेरा इंतेजार कर रही है गेट के पास फिर मै दौड़ते हुवे उसके पास गया तो ओ बोली " चलो अब घर चले" मैने पूछा "आज तुम्हारे पापा नही आ रहे" तो बोली "नही आज उन्हें थोड़ा काम है, आज मै तुम्हारे साथ चलूंगी"।

अब मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा मै इशारों में हां कह दिया और साथ चलने लगा हमारे साथ राजू भी था मैने वर्षा से उसका जान पहचान कराया और बोला ये मेरा सबसे अच्छा और मेरा जिगरी दोस्त है उसने भी उसको अपना दोस्त बना लिया अब हम एक दूसरे के बारे में बातें करने लगे, कहा रहती हो, घर में कौन - कौन है ?, पापा क्या करते है? , फिर मैं उससे उसकी पसंद पूछी तो उसने कहा की "मै विद्यालय पैदल जाना चाहती हूं तुम्हारे साथ , तुम्हारे साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है " , मैने कहा " तो चलो दिक्कत क्या है " फिर अगले दिन से ओ हमारे साथ पैदल ही विद्यालय जाने लगी हम बहुत सारी बातें करते, अब मुझसे उसकी आदत लग गई थीं ओ नही होती तो मैं उदास हो जाता और उसे देखने उसके गांव चला जाता, उसके साथ ज्यादा समय बिताऊ इसके लिए मैं कक्षा 8 में फेल हो गया और मेरे साथ राजू भी फेल हुआ था अब हम तीनो एक साथ एक कक्षा में अब हमे ज्यादा वक्त मिलता उससे बात करने का, ऐसे ही करते हम इंटर पास कर लिए और अब हमारे सामने आ चुका था आगे की पढ़ाई कैसे क्या होगा , उसने इंटर में बायो सब्जेक्ट लिया था जिसके वजह से उसे डॉक्टरी लाईन में जाना पड़ेगा और मैं और राजू इंटर मे मैथ लिए थे हमने इंजीनियरिंग करने का फैसला किए पर राजू के पापा उसे नही पढ़ाना चाहते तो मुझे अकेले लखनऊ पढ़ाई के लिए आना पड़ा और साथ में वर्षा भी आई वह भाई लखनऊ के एक कॉलेज में एडमिशन ली और मैं लखनऊ के दूसरी कॉलेज में एडमिशन लिया, हालांकि हम दोनो में थोड़ी दुरिया थीं पर उतनी नही की हम मिल न पाए हमे खुशी थीं कि हम दोनो अब भी एक साथ है।

ये कहानी थीं बाल्यावस्था कि अब आपको अगले अध्याय में किशोरावस्था की कहानी सुनाऊंगा जो थोड़ी सी शारीरिक योग की तरफ ले जायेगी तो मिलते हैं अगले अध्याय में......

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रचनाएँ
प्रेम-वर्षा
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यह एक काल्पनिक कहानी है जिसके पात्र नहीं किसी घटना अथवा नहीं किसी व्यक्ति से संबंध रखते है, इस कहानी में दो प्रेमियों के प्रेम का वर्णन किया गया है जो कोसी प्रकार से किसी के धर्म अथवा उनके मनोबल को ठेस पहुंचाने का कार्य नही कर रही।
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सुबह 4 बजे फोन का रिंग बजता है, प्रेम फोन उठाकर....प्रेम - हैलो...निधि - हैलो प्रेम, पहचाना?प्रेम - तुम इतना सुबह, बोली क्या काम है ?निधि - मुझे तुमसे सिलेबस डिस्कस करना था, जो भी सर पढ़ाए है।प्रेम -

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