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वह वक्त था जब----

6 फरवरी 2023

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वह वक्त था जब ---------------

एक वक्त था जब ---------
कुटुम्ब ,घर और गांव के साथ गाड़ी नहीं चलती थी।
ना होता तीज त्यौहार ना कोई उत्सव की छटा सजती थी।
आज वक्त ने करवट ली तो इन्सान को बदल दिया।
हर आदमी ने अकेलेपन का जीवन अपना लिया।

एक वक्त था जब-----------
हर दिल में रिश्ते की अहमियत होती थी।
बड़ों की इज्जत हर दिल में होती थी।
इज्जत के आगे फीकी थी चमक हीरा और मोती की।
अमूल्य अहमियत थी मां-बाप, भाई-बहिन,दादा-दादी की।



एक वक्त था जब -------------
सच्चाई के बीज नहीं विशाल पेड़ उगे हुए थे।
अपने-पराये पर विश्वास के साथ होते थे।
अंदर से दिल कांपने की एक अनोखी दुनिया थी।
पाप और पुण्य में फर्क करने की एक सच्ची गुनिया थी।


एक वक्त था जब ------------------
होली और दीवाली पर  भाईचारे और अपनेपन की बरसात होती थी।
हर समाज में मिल बांटकर खाने की खुशियां असीम होती थी।
श्वान सम लड़ने की परंपरा लुप्त थी।
सद्गुणों की जागृति थी दुर्गुणों की दुनिया लुप्त थी।


एक वक्त था जब-------------------
आत्मविश्वास होता था और सफलता कदम चूमती थी।
विचलित नहीं होती मंजिलें मानव की हेल्प सदा मिलती थी।
आज कदम खींचकर गिराने के रिवाज चलने लगा है।
आज अपनो ने अपनों को ही ठगा है।

एक वक्त था जब---------------
पर्यावरण की शुद्ध हवायें श्वसन बनकर अंदर जाती।
शुद्ध संस्कृति, शुद्ध संस्कार की ज्ञान विद्या हमें मिलती।
आज के वक्त ने अशुद्धता का ताज पहन लिया।
अस्त हो गया सत्य का सूर्य बेईमानी का चोला पहन लिया है।


एक वक्त था जब----------------------------
वाणी की मधुरता पानी की मधुरता मन को गुलाम बना देती।
शांति की बहती गंगा जीवन को शांत बना देती।
प्रेम में शक्ति होती थी बलात्कार और विश्वासघात शून्य थे।
लोगों के जेब और गले काटना धरती पर नगण्य थे।



एक वक्त था जब------------------------
सियासत जनता के लिए चलती थी सत्य और इंसाफ पर।
होती थी जनता के हितों की बातें हर ईमान के दरबार पर।
चरित्रहीन अफसरशाही में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी लुप्त थी।
हीरा पर उंगली नहीं उठती हर हीरा की परख सत्य और गुप्त थी।।


एक वक्त था जब------------------------------
वृद्ध की चाहत होती थी सेवा और आशीर्वाद के लिए।
मां बाप की आंखों ना होते आंसू बहिष्कार के लिए।
सिलसिला समर्पण का निष्ठा के साथ चलता था।
हर गलती को माफी भावनाओं से दिल पिघलता था।।



एक वक्त था जब-------------------------
सुख-दुख का साथी बनकर सदा साथ निभाते थे।
वचन की करते पालना मुंह से निकली जुबां निभाते थे।
बैठते थे एक छत के नीचे प्रेम की गंगा बहती थी।
रिति-रिवाज और पंरपरा मुंह से सच्चाई कहती थी।।



एक वक्त था जब----------------------
विश्व गुरु था देश सोने की चिड़िया कहलाता था।
हिमालय का सिर ऊंचा विश्व का मान बढाता था।
निर्मल गंगा लोगों के दिलों में और बाहर से बहती थी।
प्रकृति की हर छटा जीवन को वरदान देती थी।।

हर आदमी ने अकेलेपन का जीवन अपना लिया।

एक वक्त था जब-----------
हर दिल में रिश्ते की अहमियत होती थी।
बड़ों की इज्जत हर दिल में होती थी।
इज्जत के आगे फीकी थी चमक हीरा और मोती की।
अमूल्य अहमियत थी मां-बाप, भाई-बहिन,दादा-दादी की।

एक वक्त था जब -------------
सच्चाई के बीज नहीं विशाल पेड़ उगे हुए थे।
अपने-पराये पर विश्वास के साथ होते थे।
अंदर से दिल कांपने की एक अनोखी दुनिया थी।
पाप और पुण्य में फर्क करने की एक सच्ची गुनिया थी।

एक वक्त था जब ------------------
होली और दीवाली पर  भाईचारे और अपनेपन की बरसात होती थी।
हर समाज में मिल बांटकर खाने की खुशियां असीम होती थी।
श्वान सम लड़ने की परंपरा लुप्त थी।
सद्गुणों की जागृति थी दुर्गुणों की दुनिया लुप्त थी।

एक वक्त था जब-------------------
आत्मविश्वास होता था और सफलता कदम चूमती थी।
विचलित नहीं होती मंजिलें मानव की हेल्प सदा मिलती थी।
आज कदम खींचकर गिराने के रिवाज चलने लगा है।
आज अपनो ने अपनों को ही ठगा है।

एक वक्त था जब---------------
पर्यावरण की शुद्ध हवायें श्वसन बनकर अंदर जाती।
शुद्ध संस्कृति, शुद्ध संस्कार की ज्ञान विद्या हमें मिलती।
आज के वक्त ने अशुद्धता का ताज पहन लिया।
अस्त हो गया सत्य का सूर्य बेईमानी का चोला पहन लिया है।

एक वक्त था जब----------------------------
वाणी की मधुरता पानी की मधुरता मन को गुलाम बना देती।
शांति की बहती गंगा जीवन को शांत बना देती।
प्रेम में शक्ति होती थी बलात्कार और विश्वासघात शून्य थे।
लोगों के जेब और गले काटना धरती पर नगण्य थे।

एक वक्त था जब------------------------
सियासत जनता के लिए चलती थी सत्य और इंसाफ पर।
होती थी जनता के हितों की बातें हर ईमान के दरबार पर।
चरित्रहीन अफसरशाही में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी लुप्त थी।
हीरा पर उंगली नहीं उठती हर हीरा की परख सत्य और गुप्त थी।।

एक वक्त था जब------------------------------
वृद्ध की चाहत होती थी सेवा और आशीर्वाद के लिए।
मां बाप की आंखों ना होते आंसू बहिष्कार के लिए।
सिलसिला समर्पण का निष्ठा के साथ चलता था।
हर गलती को माफी भावनाओं से दिल पिघलता था।।

एक वक्त था जब-------------------------
सुख-दुख का साथी बनकर सदा साथ निभाते थे।
वचन की करते पालना मुंह से निकली जुबां निभाते थे।
बैठते थे एक छत के नीचे प्रेम की गंगा बहती थी।
रिति-रिवाज और पंरपरा मुंह से सच्चाई कहती थी।।

एक वक्त था जब----------------------
विश्व गुरु था देश सोने की चिड़िया कहलाता था।
हिमालय का सिर ऊंचा विश्व का मान बढाता था।
निर्मल गंगा लोगों के दिलों में और बाहर से बहती थी।
प्रकृति की हर छटा जीवन को वरदान देती थी।।


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रचनाएँ
मेरी डायरी-2023
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मेरी डायरी आप लोगों को बतायेगी मेरी जिंदगी के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक अनुभव जो हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं के साथ रूबरू करायेगी।
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बजट में आमजन की उम्मीद

1 फरवरी 2023
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नजरें टिकाए बैठे है,गरीब,नौकर और किसान।निर्मला बहन के बजट का ,क्या होगा हमको वरदान।कुछ सौगात मिलेगी या सपने धूमिल हो जायेंगे।राजनीति के पन्ने भविष्य के कातिल हो जायेंगे।।मंहगाई, बेराजगारी को क्या अनुद

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सपनों में उड़ान भरते रहो

3 फरवरी 2023
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बनकर पक्षी गगन का, सपनों की उडान भरनी है।तुम्हें तुम्हारी मंजिल की ,हर सीढ़ी तय करनी है।।विचलित होना होगा आने वाली बाधाओं से।पार करना होगा पथ शूल बिछे हुई राहों से।धीरे- धीरे तेरी हिम्मत बढ़ती जा रही

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वह वक्त था जब----

6 फरवरी 2023
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वह वक्त था जब ---------------एक वक्त था जब ---------कुटुम्ब ,घर और गांव के साथ गाड़ी नहीं चलती थी।ना होता तीज त्यौहार ना कोई उत्सव की छटा सजती थी।आज वक्त ने करवट ली तो इन्सान को बदल दिया।हर आदमी ने अक

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इंटरनेट

8 फरवरी 2023
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हर वक्त का हमसफर बने गया है।इंटरनेट मेरा जिगरी बन गया है।।हर समस्या का समाधान मुझे देता है।24*7 की सेवा देता है।।रुकता ना थकता है घड़ियों की सूई की तरह।मां -बाप ,भाई-बहिन,पुत्र-पुत्री बन गया परिवार की

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परिवार

8 फरवरी 2023
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सुख-दुख में साथ निभाये वह परिवार है।खून और प्रेम के रिश्तों का संसार है।।महसूस नहीं होते हैं कांटे हम राह भी चल जाते हैं।जलते हुए शोलों पर बिना जलकर चल जाते हैं।सीखा है सब कुछ संसार में मेरी हर खुशिया

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मेट्रो

9 फरवरी 2023
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हालत क्या होती ,सूरत क्या होती।अगर दिल्ली में मेट्रो ना होती।।भीड़ होती असीमित सड़क पर।बस,कार की सवारी दुष्कर होती।। प्रदूषण नियंत्रण में सहायक है।लाखों लोगों की वाहक है।।भोर से सांझ तक चलती शान से।सफ

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भयानक प्रेम यात्रा

11 फरवरी 2023
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जिंदगी एक गंतव्य नहीं एक यात्रा है।इसमें खुशी और गम की अलग-2 मात्रा है।कोई संकटों की जंजीरों से मुक्त होना चाहता है।कुछ दूसरों के लिए खुशी बांटना चाहता है।। भयानक हो गई जिंदगी इस कदरहम आंसूओं की बारिश

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हैप्पी वेलेंटाइन डे

14 फरवरी 2023
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हैप्पी वेलेंटाइन डेउड़ना चाहती है आसमान में ,किसी के आंगन की है चिरैया।बड़े ख्वाबों से पाला है तुम्हें,किसी के सागर में तैरती तू नैय्या।अचानक से तूफान आया जलधि में लहरें उठने लगी।तेरे नाव फंस गई भंवर

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महरौली में बुलडोजर

15 फरवरी 2023
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महरौली का बुलडोजरकौन जिम्मेदार है? कैसा दुराचार है।DDA के बुलडोजर चलना क्या सदाचार है।किसी ने बचत कर खड़ा किया,किसी ने भविष्य निधि खत्म किया।कोई किस्त चुकाये घर के ऋण की,कोई ब्याज पर कर्ज ले खरीद लिया

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मत फूल धन बल अभिमान में

17 फरवरी 2023
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तन ,धन पर मद करने वालों, तस्वीरें बदल जाती है पर में।आज हो जो तुम दुनिया ,पता नहीं रह जाओ कल में।।धन, बल की कीमत जब ,सांसें चलती है अपनी गति।जब बीमारी और वक्त बदलेगा,हो जायेगी दुर्गति।।मानव

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मैं तुम्हें नहीं मिलूंगा

24 फरवरी 2023
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तुम खोजोगो मुझे हर तरफ, मैं तुम्हें ना मिलूंगा।ना धरती पर ना गगन पर , ना आग की लपटों में मिलूंगा।ना मिलूंगा बहती हवाओं में,ना सरिता ,सागर में मिलूंगा।ना मिलूंगा दुनिया के किसी कोने में,मैं मेरे शब्दों

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मैं तुम्हें नहीं मिलूंगा

24 फरवरी 2023
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तुम खोजोगो मुझे हर तरफ, मैं तुम्हें ना मिलूंगा।ना धरती पर ना गगन पर , ना आग की लपटों में मिलूंगा।ना मिलूंगा बहती हवाओं में,ना सरिता ,सागर में मिलूंगा।ना मिलूंगा दुनिया के किसी कोने में,मैं मेरे शब्दों

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ऑस्कर अवार्ड -2023

15 मार्च 2023
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ऊंचाइयों को छूकर जो लोगों के दिलों में जगह बना गये।अपने कारनामों का इनाम मिला ,जो विश्व पटल पर छा गये।दुनिया के दिलों में जगह बनाई,अपने जीवन की खुशियां पाई।मेहनत के बलबूते पंख उगाये, गगन उड़ानें जीवन

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विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस

15 मार्च 2023
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उपभोक्ता को जागरूक होने की आवश्यकता है।उचित मूल्य पर मिले उचित सामान, उपभोक्ता दिवस की महत्ता है।उपभोक्ता बन‌ अपने हक पहचानिए,शुद्धता के मानक हमेशा बन ग्राहक जानिए।जांच परख का अनुभव बढाइए।जो करता है म

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जीवन‌मे दूसरे मौके

16 मार्च 2023
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जीवन मे दूसरे मौकेपरिश्रम सफलता की कुंजी है,जो हमेशा मौके देता है।जो भाग्य भरोसे बैठे गये, मिटने लगती भाग्य की रेखा है।।हर मनुष्य के जीवन में,एक के बाद एक मौका आता है।कोई भयभीत हो विचलित हो जाता, कोई

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बुल्डोजर न्याय प्रणाली

3 सितम्बर 2024
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**बुलडोजर न्याय** धूल उड़ती सड़कों पर, गर्जन करता बुलडोजर, न्याय की नई परिभाषा, यह कैसा है मंजर? घर टूटते दीवारें गिरतीं, चीखें गूंजतीं हवा में, क्या यही है इ

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मेरे पहले शिक्षक

4 सितम्बर 2024
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गुरु थे प्रथम, जिन्होंने ज्ञान का प्रकाश बिखेरा, बचपन के अंधेरों में, स्वप्नों का दीप उजागर किया। शब्दों की वीथियों में, उन्होंने मार्ग दिखलाया, मति की अज्ञात भूमि पर,

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पितृपक्ष 2024

18 सितम्बर 2024
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पितृपक्ष की वेलाजब पितृपक्ष की घड़ी आती है,पूर्वजों की याद जगाती है।श्राद्ध, तर्पण, व्रत-उपवास,हृदय में उमड़ता आदर-विश्वास।वो जो चले गए अमर गगन में,वो जो बसते हैं हमारे मन में,आशीर्वाद की छाया फैलाते

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मातृत्व प्रेम

19 सितम्बर 2024
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माँ का प्रेममाँ के आँचल में बसी है, दुनिया सारी प्यार की,उसकी ममता में छुपी है, सौगातें संसार की।उसकी आँखों में जो सपना, हर पल सजीव रहता,बच्चे की मुस्कान में ही, उसका जीवन बसता।वो आँसू पोंछ देगी हर, द

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रामधारी सिंह दिनकर

23 सितम्बर 2024
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रामधारी सिंह 'दिनकर' का जीवन चरित्ररामधारी सिंह 'दिनकर' हिंदी साहित्य के एक प्रतिष्ठित कवि, निबंधकार और लेखक थे, जिनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती हैं। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को ब

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ईर्ष्या और लालच

24 सितम्बर 2024
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इर्ष्या और लालचइर्ष्या की अग्नि जलाए मन,सुख को चुराए पल-पल क्षण।दूसरों की तरक्की देख,अपना चैन न सह पाए तन।लालच की सीमा ना कोई हो,हर कदम पर मन बहके।धन-दौलत के पीछे भागे,संतोष का दीप बुझा दे।इर्ष्या से

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पहला प्यार

7 अक्टूबर 2024
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पहला प्यारपहली नजर, वो दिल का हाल,जैसे बूँद-बूँद में छलका जाम,धड़कनों में बस उसकी बात,हर लम्हा लगता खास।उसकी मुस्कान, वो मासूम चेहरा,जैसे खिले हुए गुलाब का पेहरा,हर शब्द उसका, संगीत सा लगे,दिल में हलच

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मातृत्व और पितृत्व

8 अक्टूबर 2024
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माँ की ममता में बसी है प्यार की मिठास, निस्वार्थ, अनंत, जैसे सुबह की पहली उजास। गोद में उसकी मिलता सारा संसार, आँचल में छुपा लेती, हर दर्द और हर हार। पिता की बांहों में होता सुरक्षा का एहसास, दृढ़ता,

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रतन टाटा

10 अक्टूबर 2024
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रतन टाटा: भारतीय उद्योग का प्रतीक पुरुषरतन टाटा, भारतीय उद्योग जगत के एक ऐसे नायक हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व और सेवा-भावना से देश और समाज के प्रति एक अमूल्य योगदान दिया है। 28 दिसंबर 1937 को मुंबई मे

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एक भूतिया हवेली

14 अक्टूबर 2024
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भूतिया हवेली की शान निराली,हर कोने में गूंजती कहानी ख़ाली।दरवाजे खड़खड़ाते, दीवारें हिलती,छाया सी धुंधली, चुपचाप चलती।वहां के कमरों में सन्नाटा गहरा,हवा में गूंजे सिसकियाँ ठहरा।जाले लटकते, दरारें पुरा

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शरद पूर्णिमा

16 अक्टूबर 2024
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शरद पूर्णिमा: शरद ऋतु की संजीवनीशरद पूर्णिमा, जिसे 'कोजागरी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष महत्व रखती है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की पू

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सोशल मीडिया की अगली लहर

19 अक्टूबर 2024
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सोशल मीडिया की अगली लहर कई नई तकनीकों, उपयोगकर्ता व्यवहारों और प्लेटफ़ॉर्मों के विकास पर आधारित हो सकती है। यहां कुछ प्रमुख ट्रेंड्स हैं जो इस लहर को आकार दे सकते हैं:1. मेटावर्स और आभासी वास्तविकता (

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सुहाग की रक्षा

19 अक्टूबर 2024
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सुहाग की रक्षा के लिए निभाती में हर व्रत । मेरे सुहाग रहे बाधाओं से दूर अनवरत। अपनी कला , कौशल , बुद्धिमता से निभाऊंगी। कभी आंच ना आने दूंगी ना कभी उन्हें सताऊंगी। हमारी रक्षा , सुरक्षा और खु

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पटाखे बैन पर विचार

23 अक्टूबर 2024
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खुशियां मना लो दीपदान करके ,पटाखे जरुरी नहीं है । प्रदूषण फैलाते क्यों हो , खुशी से महत्वपूर्ण जीवन यहां है।। बीमारियों को बुलावा है, तुम्हारा यह धूम धड़ाका है। पल भर की खुशिय

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तबले का बादशाह

17 दिसम्बर 2024
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जाकिर हुसैन: तबले के बादशाह का जीवन परिचयजाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और संगीतकार हैं। उनका नाम आज विश्व के संगीत प्रेमियों के लिए सम्मान और प्रेरणा का प्

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बेटियां और समाज

17 दिसम्बर 2024
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बेटियां और समाजबेटियां घर की रौनक होती हैं,जैसे बगिया में फूल खिलते हैं।स्नेह, ममता की वो परछाई हैं,हर घर में सुकून की गहराई हैं।समाज कभी बोझ कहता उन्हें,तो कभी लक्ष्मी का नाम देता है।पर उनके सपनों की

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