महरौली का बुलडोजर
कौन जिम्मेदार है? कैसा दुराचार है।
DDA के बुलडोजर चलना क्या सदाचार है।
किसी ने बचत कर खड़ा किया,
किसी ने भविष्य निधि खत्म किया।
कोई किस्त चुकाये घर के ऋण की,
कोई ब्याज पर कर्ज ले खरीद लिया।
चालीस साल बाद कैसा दावा किया
खुलेआम अत्याचार है।।
करें भरोसा हम किस पर,
रजिस्ट्री हमारे हाथों में।
हम प्रापर्टी टैक्स भी भरते हैं,
दम नहीं क्या सरकारी कलम दवातों में।
अवैध बता जो तोड़ रहे।
यह कैसा व्यवहार है।।
वे अफसर दोषी नहीं है क्या,
जो अनुमति दे फ्लैट बनवाये थे।
वे मालिक दोषी नहीं थे क्या?
जो अवैध कब्जा जमाये थे।
क्या रिश्वत के बलबूते बिक गये,
कुछ करो सोच विचार है।।
आशियाने जिनके उजड़ रहे,
व्याकुलता है असीमित उनके दिल में।
जो खेल गये है करतूत घिनौने
कहां घुसे हुए वे बिल में।
उन्हें खोजकर लाओ जरा,
जो सजा के असली हकदार हैं।।
जहां फूल खिले थे खुशियों के,
अब चीखें है मन पीड़ित हैं।
बुलडोजर चला रहे यहां पर,
वे किस महिमा से मंडित है।
सत्य पथ क्या होगा।
जांच की दरकार है।।
कभी नहीं सोचा होगा,
हम बेघर हो जायेंगे।
किसी की ग़लती के कारण,
हम जमीन पर आ जायेंगे।
दोष हमारा क्या इसमें,
नफरत की कैसी दीवार है।।
सह नहीं पायेंगे असहनीय दर्द है,
अब तक की मेहनत शून्य हुई।
कैसे चुकाये़गें कर्ज बैंक का,
आत्महत्या ही अंतिम हल हुई।
कहां बच्चे रखें कैसे पाले,
मरना ही अंतिम हथियार है।।
धिक्कार देश के दरबारों,
जो आंखों में पट्टी बांधे हो।
कानून देश का अंधा है,
तुम कैसे खेल के प्यादे हो।
कोई तो आगे आ हमें बचाये,
राजनीति की बेकार हुई।