माँ की ममता में बसी है प्यार की मिठास,
निस्वार्थ, अनंत, जैसे सुबह की पहली उजास।
गोद में उसकी मिलता सारा संसार,
आँचल में छुपा लेती, हर दर्द और हर हार।
पिता की बांहों में होता सुरक्षा का एहसास,
दृढ़ता, संयम, और त्याग का सजीव प्रयास।
पथ प्रदर्शक, साथी, और ढाल भी वही,
उसकी चुप्पी में बसी होती है एक गहन कहानी।
माँ की आँखों में जगती हैं बच्चों की आशाएं,
हर कदम पर उसे देती हैं ममता की परछाइयाँ।
रातों की नींद, दिन का चैन सब कुछ कुर्बान,
बस बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ही उसका मान।
पिता की मेहनत में बसी है संजीवनी की बूंद,
अपने पसीने से सींचे, हर सपने की धूल।
उसकी आँखों में चमकती है भविष्य की रौशनी,
हर संघर्ष के बाद, मिलती उसे सच्ची खुशी।
मातृत्व और पितृत्व, दो पहिए जीवन के,
संग-संग चलते, देते आधार भविष्य के।
माँ की ममता और पिता का बलिदान,
मिलकर करते बच्चों के सपनों का निर्माण।