shabd-logo

सहारा

1 अक्टूबर 2022

12 बार देखा गया 12
सर्दी का मौसम, ऊपर घने बादल छाए हुए हैं। दिल्ली जाना जरूरी था इसलिए मैं घर से निकल पड़ा। जीटी रोड पर चडते वक्त बरसात की बौछारें, तेज़ हवा और अति ठंडी का वातावरण बन गया। कुछ दुरी पर देखता हूं, जंगल की तरफ से निकल कर दो अधेड़ उम्र के आदमी हाथ उठाकर मेरी गाड़ी को रोकने का प्रयास करने। बरसात से बचने के लिए न इनके पास छाता न अन्य साधन। उनके समीप आकर मैं अपनी गाड़ी रोक लेता हूं।
"साब! हमें पानीपत जाना हैं और हमारी यह बच्ची सख्त बिमार है।" उन्होंने बच्ची को दिखाते हुए कहा।  एक पल तो मैं गंदी सीट के उद्देश्य से हिचक जाता हूँ लेकिन दूसरे पल उनकी जर्जर अवस्था और बीमार बच्चे की की सोचता हूं तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और उनको बैठा कर चल देता हूं।
दोनों की उम्र से साफ़ था यह बच्चे के दादा - दादी हैं। पूछने पर पता चला बहू की तबीयत खराब चल रही है और बेटा सुबह - सुबह मजदूरी पर निकल गया था। रोड पर ही अस्पताल आते ही मै उन्हें उतार देता हूं। वह लोग मेरी तरफ भाड़े की ऐवज मे गाड़ी ही निकाल कर पैसे करते हैं।
"मैने हंस कर कहा यह भाड़े की गाड़ी नहीं है आप फौरन अस्पताल के अंदर जाइये।" दोनों के चेहरों पर श्रद्धा के भाव इतने उत्पन हुए की मै व्याख्या नहीं कर सकता। और वह मेरे बच्चों को दुनिया भर के आशिष देते हुए अस्पताल में घुस गए। मैं सोचता हूं गरीब लोग कितने श्रद्धाशील स्वभाव के होते हैं। मैरा कुछ भी खर्च नहीं हुआ। अपने एकलौते बेटे के लिए इतना खर्च किया श्रद्धा तो दूर की बात शादी करवाते ही अलगाववादी हो गया। जब आंखों में नमी उतरती है पलकें भी उनका सहारा बन जाती है। एक दिन का खाना भी नशीब नहीं हुआ बहू के हाथों का।

स्वरचित :नयपाल सिंह चौहान
यमुना नगर - 135001 (हरियाणा)
9991650120

Nepal singh की अन्य किताबें

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

बहुत सुंदर..हृदयस्पर्शी सृजन आपकी👌👌👌👌👌

1 अक्टूबर 2022

1

समय की मांग

23 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>शकुंतला अब मै बहुत थक गया हूँ मुझे भी अपने पास आने का रास्ता बता दो। बच्चों के स्नेह में

2

तिरंगा

26 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>अमूक माडल तिरंगे</div><div> के हित का उपयोग कर रैंप चल रही है। उसे देखते ही खचाखच भरें शो

3

दिन

27 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>" पंडित जी दो हजार का इंतजाम हो जाएगा।"</div><div>"किस लिए।</div><div>" हरिद्वार जाने के लिए, आ

4

एक पत्नी यह भी

29 सितम्बर 2022
0
0
0

मैं हर रोज जरूरतमंद अपना काम-काज निपटा कर शब्दों को तौडने - जोडने की अपनी आदत से मजबूर था। मेरी पत्नी कुसुम लता घर की साफ-सफाई करते हुए का गुस्सा किसी दूसरी बात पर था लेकिन मेरी आदत पर अपना गुस्सा हल्

5

लोकतंत्र

30 सितम्बर 2022
0
0
0

रविवार का दिन था। रवि पार्क में खेलते - खेलते किसी एक लड़के कोई बात सुनकर शंका में पड़ गया। उसका आगे खेल में मन नहीं लगा। अतः अपना शक दूर करने के उद्देश्य से वह तुरंत घर लौट आया।"पापा! आपकी छवि पूरे श

6

सहारा

1 अक्टूबर 2022
1
1
1

सर्दी का मौसम, ऊपर घने बादल छाए हुए हैं। दिल्ली जाना जरूरी था इसलिए मैं घर से निकल पड़ा। जीटी रोड पर चडते वक्त बरसात की बौछारें, तेज़ हवा और अति ठंडी का वातावरण बन गया। कुछ दुरी पर देखता हूं, जंगल की

7

सोच अपनी अपनी

6 अक्टूबर 2022
0
0
0

अंशकालीन कविता के पति का तबादला हो गया था। कालोनी में अकेली थी। बालक मुंना भी गोद में नहीं था। यूवा - योवन पर निखार, सबसे मिलन सार स्वभाव और टच फोन उसकी जान था। घंटो बातें करती हंसती कुम्लाती और फिर अ

8

सोच अपनी अपनी

6 अक्टूबर 2022
0
0
0

अंशकालीन कविता के पति का तबादला हो गया था। कालोनी में अकेली थी। बालक मुंना भी गोद में नहीं था। यूवा - योवन पर निखार, सबसे मिलन सार स्वभाव और टच फोन उसकी जान था। घंटो बातें करती हंसती कुम्लाती और फिर अ

9

आसूं

7 अक्टूबर 2022
1
1
0

यूवा पति के शव के अंतिम दर्शन करने पर भी पत्नी की आंखों में एक आसूं तक नहीं छलका देख बाकि औरते भौचक्की सी रह गई और एक दूसरे के सामने उसको नाम धर उसकी अलोचना करने लगी। बातों-बातों में एक ने पत्नी

10

दंगा

7 अक्टूबर 2022
1
1
0

छोटी सी बात का बतंगड, देखते - देखते इतना जबरदस्त तूल पकड़ा कि भरे बाजार में आगजनी, धुआं - धंधाल और यहां से लेकर उस छोर तक दुकानों में लूट - खसोट का काम बड़ी तेजी के साथ चल पड़ा। तभी एक पुलिस कर्मी की

11

शुद्ध देशी घी

9 अक्टूबर 2022
1
1
0

आलाकमान जी का फोन सुनकर मेरा सर चकरा गया था। दस दिन बाद जीत की खुशी में दल के सभी जनसेवक दस दिन बाद एक मंच पर इकट्ठा होने जा रहे थे। आलाकमान जी की भोजन के साथ देशी घी की कोई स्पेशल डिस बनाने की योजना

12

दस्तूर

14 अक्टूबर 2022
1
1
0

इकलौती शांता के उपर पापा का साया नहीं है। उसने किसी की आधुनिक विचार धारा में बह शादी न कर परिंदों की जिंदगी जीने का फैसला कर लिया है। कुछ दिनों बाद यह बात मां के सज्ञांन में आई तो वह रात भर सोई नहीं प

13

स्नेहा

16 अक्टूबर 2022
0
0
0

साल भर के बीच स्नेहा को देखने अनेक परिवार आए। लेकिन हैसियत से बडकर उन लोगों की मांग स्नेहा के रिश्ते को हड़प लेती रही। चिंता परेशानी में पूरा परिवार था क्योंकि स्नेहा घर में बड़ी और सबकी लाडली भी थी।

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए