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<div>शकुंतला अब मै बहुत थक गया हूँ मुझे भी अपने पास आने का रास्ता बता दो। बच्चों के स्नेह में
<div>अमूक माडल तिरंगे</div><div> के हित का उपयोग कर रैंप चल रही है। उसे देखते ही खचाखच भरें शो
<div>" पंडित जी दो हजार का इंतजाम हो जाएगा।"</div><div>"किस लिए।</div><div>" हरिद्वार जाने के लिए, आ
मैं हर रोज जरूरतमंद अपना काम-काज निपटा कर शब्दों को तौडने - जोडने की अपनी आदत से मजबूर था। मेरी पत्नी कुसुम लता घर की साफ-सफाई करते हुए का गुस्सा किसी दूसरी बात पर था लेकिन मेरी आदत पर अपना गुस्सा हल्
रविवार का दिन था। रवि पार्क में खेलते - खेलते किसी एक लड़के कोई बात सुनकर शंका में पड़ गया। उसका आगे खेल में मन नहीं लगा। अतः अपना शक दूर करने के उद्देश्य से वह तुरंत घर लौट आया।"पापा! आपकी छवि पूरे श
सर्दी का मौसम, ऊपर घने बादल छाए हुए हैं। दिल्ली जाना जरूरी था इसलिए मैं घर से निकल पड़ा। जीटी रोड पर चडते वक्त बरसात की बौछारें, तेज़ हवा और अति ठंडी का वातावरण बन गया। कुछ दुरी पर देखता हूं, जंगल की
अंशकालीन कविता के पति का तबादला हो गया था। कालोनी में अकेली थी। बालक मुंना भी गोद में नहीं था। यूवा - योवन पर निखार, सबसे मिलन सार स्वभाव और टच फोन उसकी जान था। घंटो बातें करती हंसती कुम्लाती और फिर अ
यूवा पति के शव के अंतिम दर्शन करने पर भी पत्नी की आंखों में एक आसूं तक नहीं छलका देख बाकि औरते भौचक्की सी रह गई और एक दूसरे के सामने उसको नाम धर उसकी अलोचना करने लगी। बातों-बातों में एक ने पत्नी
छोटी सी बात का बतंगड, देखते - देखते इतना जबरदस्त तूल पकड़ा कि भरे बाजार में आगजनी, धुआं - धंधाल और यहां से लेकर उस छोर तक दुकानों में लूट - खसोट का काम बड़ी तेजी के साथ चल पड़ा। तभी एक पुलिस कर्मी की
आलाकमान जी का फोन सुनकर मेरा सर चकरा गया था। दस दिन बाद जीत की खुशी में दल के सभी जनसेवक दस दिन बाद एक मंच पर इकट्ठा होने जा रहे थे। आलाकमान जी की भोजन के साथ देशी घी की कोई स्पेशल डिस बनाने की योजना
इकलौती शांता के उपर पापा का साया नहीं है। उसने किसी की आधुनिक विचार धारा में बह शादी न कर परिंदों की जिंदगी जीने का फैसला कर लिया है। कुछ दिनों बाद यह बात मां के सज्ञांन में आई तो वह रात भर सोई नहीं प
साल भर के बीच स्नेहा को देखने अनेक परिवार आए। लेकिन हैसियत से बडकर उन लोगों की मांग स्नेहा के रिश्ते को हड़प लेती रही। चिंता परेशानी में पूरा परिवार था क्योंकि स्नेहा घर में बड़ी और सबकी लाडली भी थी।