" पंडित जी दो हजार का इंतजाम हो जाएगा।"
"किस लिए।
" हरिद्वार जाने के लिए, आप कह रहे थे न इस पूर्णिमा का दिन बडा ही शुभ और भाग्यशाली माना जाता है। इस दिन अगर कोई हर कीपौड़ी पर जाकर गंगा में स्नान करले तो उसके सारे पाप-कष्ट दूर हो जाते हैं। "
" हां, हरिद्वार जाना तो है लेकिन अब उधार लेने की जरूरत नहीं है। "
" आपने किसी से पैसे का इंतजाम कर लिया है क्या?
"पैसे का इंतजाम तो नहीं किया है।"
"फिर बिन पैसेकैसे जा पाओगे?"
"अरे पगली, हमारे एक खास जजमान चारपाई पर पडे यमराज देव के आने का इंतजार कर रहे है। कल उनका बडा बेटा मिला था वह जजमान को गंगा में अंतिम स्नान करवाएगा। उनके पास अपनी गाड़ी है और
मै भी है उनके साथ गाडी मेनिकल जाऊंगा। व्यर्थ में क्यो दो हजार पर पानी फेरा। "
" फिर पूर्णिमा का दिन थोडे ही हाथ लगेगा। "
" अरे भगवान! सब दिन शुभ ही और एक ही समान होते हैं। "
" फिर लोगों के सामने पौथी खोलकर अच्छे - बुरे दिनों का बखान क्यो करते हो? "
" अरे पगली वह तो हमारा काम - धंधा है।
अच्छे - बुरे दिनों की तुलना नहीं करेंगे तो खाएंग क्या ढले-पत्थर? "