छोटी सी बात का बतंगड, देखते - देखते इतना जबरदस्त तूल पकड़ा कि भरे बाजार में आगजनी, धुआं - धंधाल और यहां से लेकर उस छोर तक दुकानों में लूट - खसोट का काम बड़ी तेजी के साथ चल पड़ा। तभी एक पुलिस कर्मी की नज़र भागते हुए एक दस बारह वर्षीय बालक पर पड़। उसने अपनी फटी कमीज के अंदर कुछ छुपाया हुआ था। सपट कर पुलिस कर्मी ने बालक के उपर अपनी लाठी फैकी। लाठी बालक की टांगों पर जा लगी। उसके मुख से "हाय रे मां" शब्द की चीख निकली और धड़ाम से जमीन पर जा गिरा। पुलिस कर्मी उसके पास पहुंचा। बालक की गर्दन पकड़ और उसकी तलाशी लेते वक्त बोला,
"हराम खौर बाप का माल समझ रखा है क्या?" बालक थर थर कांपने लगा। तलाशी में एक प्लास्टिक की थैली निकली जिसमें पके हुए चावल थे।
" अबे, मेरे सुसरे! यह भी कोई चुराकर ले जाने की चीज थी।"
पुलिस कर्मी का तर हुआ गला खुश्क हुआ और चोट के दर्द से सिसकते हुए बालक छोड़कर अपने स्टाफ के काफिले में घूस गया और उस पोजीशन में खड़ हो गया जैसे वह कोई बड़ा पुन्य कमाने का काम कर आया हो
।
स्वरचित