shabd-logo

स्नेहा

16 अक्टूबर 2022

8 बार देखा गया 8
साल भर के बीच स्नेहा को देखने अनेक परिवार आए। लेकिन हैसियत से बडकर उन लोगों की मांग स्नेहा के रिश्ते को हड़प लेती रही। चिंता परेशानी में पूरा परिवार था क्योंकि स्नेहा घर में बड़ी और सबकी लाडली भी थी। एक दिन स्नेहा के पिताजी ने 
 दहेज की मांग की पूर्ति करने के लिए एक खेत का टुकड़ा बेचने का निर्णय कर लिया था। परंतु स्नेहा के कड़े विरोध करने पर वह रुक गए थे। आज स्नेहा के मामाश्री का फोन आया था और मामाश्री ने बताया कि पढा - लिखा लड़का है। सभ्य सम्पन्न परिवार है। और न उनकी कोई मांग है। उन्होंने सिर्फ ओर सिर्फ हमारी स्नेहा जैसी बेटी चाहिए। अगले दिन वह लोग मामाश्री के साथ आ गए और स्नेहा को अपनाकर चले गए। लड़का सावले रगं का था। स्नेहा को अपनाने से पहले ही मम्मी
 व उसकी बहन ने लड़का को न पसंद कर इस रिश्ते को साफ साफ शब्दों में इन्कार कर दिया था। लड़के को देखते ही स्नेहा के साथ साथ उसकी बहन को जबरदस्त धक्का सा लगा और मानो उन सभी के उपर पहाड़ सा टूट पड़ा हो। स्नेहा ने जैसे जीवन साथी के सपने मन में संजोए थे वह सारे चुर चुर हो गए थे। मम्मी पिताजी व मामाश्री पर हर समय भले बुरे शब्दों में बड़बड़ाने लगी। स्नेहा की भी किसी अंधकार में भटकने जैसी स्थिति हो गई। इन्ही परिस्थितियों में एक दिन स्नेहा की शादी हो गई। सुबह शाम फोन पर बातें होती रहती थी फिर भी स्नेहा की तरफ से खासकर मम्मी व उसकी बहन को उसके दुखी रहने का एहसास होता रहता था। कुछ दिनों बाद स्नेहा घर आई। मम्मी सामने थी स्नेहा दौड़ कर उनके गले में चिपक गई। मम्मी पिताजी व मामाश्री को भला बुरा कहने लगी। 
"मम्मी! पिताजी व मामाश्री को कुछ मत कहो? मैं बहुत खुश हूं। सारे परिवार का सौहार्द पूर्ण वातावरण और ममता का इतना सुख मिला की मानो हर खुशी मुझे ही मिल गई हो।" यह. बातें सुनकर पास खड़ी छोटी बहन की आखें भर आई और फिर स्नेहा मां के आसूं पोछकर छोटी बहन के गले लग कर उनसे बोली, 
" बाहर बैठक में तुम्हारे जीजा जी, अकेले बैठे हैं उनको अंदर ले आओ। "
स्वरचित :नयपाल सिंह चौहान 
 

Nepal singh की अन्य किताबें

1

समय की मांग

23 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>शकुंतला अब मै बहुत थक गया हूँ मुझे भी अपने पास आने का रास्ता बता दो। बच्चों के स्नेह में

2

तिरंगा

26 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>अमूक माडल तिरंगे</div><div> के हित का उपयोग कर रैंप चल रही है। उसे देखते ही खचाखच भरें शो

3

दिन

27 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>" पंडित जी दो हजार का इंतजाम हो जाएगा।"</div><div>"किस लिए।</div><div>" हरिद्वार जाने के लिए, आ

4

एक पत्नी यह भी

29 सितम्बर 2022
0
0
0

मैं हर रोज जरूरतमंद अपना काम-काज निपटा कर शब्दों को तौडने - जोडने की अपनी आदत से मजबूर था। मेरी पत्नी कुसुम लता घर की साफ-सफाई करते हुए का गुस्सा किसी दूसरी बात पर था लेकिन मेरी आदत पर अपना गुस्सा हल्

5

लोकतंत्र

30 सितम्बर 2022
0
0
0

रविवार का दिन था। रवि पार्क में खेलते - खेलते किसी एक लड़के कोई बात सुनकर शंका में पड़ गया। उसका आगे खेल में मन नहीं लगा। अतः अपना शक दूर करने के उद्देश्य से वह तुरंत घर लौट आया।"पापा! आपकी छवि पूरे श

6

सहारा

1 अक्टूबर 2022
1
1
1

सर्दी का मौसम, ऊपर घने बादल छाए हुए हैं। दिल्ली जाना जरूरी था इसलिए मैं घर से निकल पड़ा। जीटी रोड पर चडते वक्त बरसात की बौछारें, तेज़ हवा और अति ठंडी का वातावरण बन गया। कुछ दुरी पर देखता हूं, जंगल की

7

सोच अपनी अपनी

6 अक्टूबर 2022
0
0
0

अंशकालीन कविता के पति का तबादला हो गया था। कालोनी में अकेली थी। बालक मुंना भी गोद में नहीं था। यूवा - योवन पर निखार, सबसे मिलन सार स्वभाव और टच फोन उसकी जान था। घंटो बातें करती हंसती कुम्लाती और फिर अ

8

सोच अपनी अपनी

6 अक्टूबर 2022
0
0
0

अंशकालीन कविता के पति का तबादला हो गया था। कालोनी में अकेली थी। बालक मुंना भी गोद में नहीं था। यूवा - योवन पर निखार, सबसे मिलन सार स्वभाव और टच फोन उसकी जान था। घंटो बातें करती हंसती कुम्लाती और फिर अ

9

आसूं

7 अक्टूबर 2022
1
1
0

यूवा पति के शव के अंतिम दर्शन करने पर भी पत्नी की आंखों में एक आसूं तक नहीं छलका देख बाकि औरते भौचक्की सी रह गई और एक दूसरे के सामने उसको नाम धर उसकी अलोचना करने लगी। बातों-बातों में एक ने पत्नी

10

दंगा

7 अक्टूबर 2022
1
1
0

छोटी सी बात का बतंगड, देखते - देखते इतना जबरदस्त तूल पकड़ा कि भरे बाजार में आगजनी, धुआं - धंधाल और यहां से लेकर उस छोर तक दुकानों में लूट - खसोट का काम बड़ी तेजी के साथ चल पड़ा। तभी एक पुलिस कर्मी की

11

शुद्ध देशी घी

9 अक्टूबर 2022
1
1
0

आलाकमान जी का फोन सुनकर मेरा सर चकरा गया था। दस दिन बाद जीत की खुशी में दल के सभी जनसेवक दस दिन बाद एक मंच पर इकट्ठा होने जा रहे थे। आलाकमान जी की भोजन के साथ देशी घी की कोई स्पेशल डिस बनाने की योजना

12

दस्तूर

14 अक्टूबर 2022
1
1
0

इकलौती शांता के उपर पापा का साया नहीं है। उसने किसी की आधुनिक विचार धारा में बह शादी न कर परिंदों की जिंदगी जीने का फैसला कर लिया है। कुछ दिनों बाद यह बात मां के सज्ञांन में आई तो वह रात भर सोई नहीं प

13

स्नेहा

16 अक्टूबर 2022
0
0
0

साल भर के बीच स्नेहा को देखने अनेक परिवार आए। लेकिन हैसियत से बडकर उन लोगों की मांग स्नेहा के रिश्ते को हड़प लेती रही। चिंता परेशानी में पूरा परिवार था क्योंकि स्नेहा घर में बड़ी और सबकी लाडली भी थी।

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए