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अखिलेश पाण्डेय की डायरी

अखिलेश पाण्डेय

3 अध्याय
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akhilesh pandey ki dir

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पुस्तक के भाग

1

ये पावन है पावन ही रहने दीजिये

29 अगस्त 2015
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इस बार रक्षा-बंधन के पावन औसर पे,एक बहन अपने भाई से बोली बड़े प्यार से,अब मेरी हर दुःख सुख में काम आना तुम्हारा फ़र्ज़ है क्योंकि तुम पर इस नाजुक सी डोरी का क़र्ज़ हैभाई भी मुस्कुरा कर अपने बहन के सिर पर हाथ रख कर बोला,तुम्हारी इज़्ज़त की रक्षा कारूँगा,हर दुःख और सुख में काम आऊंगा, मैं अपनी जान हथे

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सनम बेवफा

12 सितम्बर 2015
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एक बात बता दो ए बेवफा हरजाई,आखिर तुमने क्यु की मेरे संग बेवफाई,तूने जो किया मेरे संग क्या अब कोई तुझ पर बिस्वास करेगा,अब तू ही बता मेरे बाद तेरे से प्यार कौन करेगा...?खूबसूरत हो जाने से क्या होगा,प्यार सौदा बनाने से क्या होगा,दिल का दौलत लुटाने से क्या होगा,हाथ सबसे मिलाने से क्या होगा,लाख कर लो कोश

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तीर सीने के पार हो गया

12 सितम्बर 2015
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कोई पूछे तो दिखा दू दिल चिर केचोट गहरे मिला है मुझे इश्क़ मेंवो तो किसी और के संग डोली में सवार हो गयी,तीर सिने के मेरे वो पार कर गयी,प्यार की बाते कर-कर के वो मुझसे नजर मिलाई,मैं तो बिलकुल नादान था वो मुझको प्यार करना सिखाई,पता नहीं कौन सी कमी यार मेरे प्यार में हो गयी,तीर सिने के मेरे वो पार कर गयी

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