मुरझाई इक शाम में -जब तुम मिले -यादों की अंजुमन में कुछ याद आया -कह्कशो ,गुफ़्तगू ,कुछ चुभने जैसी बाते -यादों में लिपटी -मखमली सी सिलवटों में परत दर परत खुलने लगी -जैसे सुबह की पहली किरन के साथ -महकते फूल खिलते हो -मुरझाई शाम की बेला महक उठी -तुम्हारे साथ बिताये समय को याद कर के ,ख़ैर चलो तुम्हारी याद