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अमर पुरुष बन गया है भ्रष्टाचार

4 नवम्बर 2015

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भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा रहा है जिसने भारत् के हर निवासी को ‘एक’ कर दिया है। हालांकि, भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है, यह एक बह्स का मुद्दा बना हुआ हैं इसके लिए अक्सर हम और हमारी जनता के द्वारा  राजनेताओं और नौकरशाहों पर उंगली उठना बहुत आसान है। लेकिन क्या घूस देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं?

हम सभी जानते है कि 2 जी, सीडब्लूजी और खनन घोटालों से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपयों का चूना लगा है। लेकिन क्या 1000 रुपये के चालान से बचने के लिए ट्रैफिक पुलिस को 100 रुपये घूस देने वाला शख्स, रेलवे टीटीई को सीट के लिए घूस देने वाला यात्री और कॉलेज में एडमिशन के लिए डोनेशन के नाम पर घूस देने वाले मां-बाप दोषी नहीं हैं?

इन सभी अपराधों का स्तर अलग-अलग है, लेकिन इन सब में ‘चलता है’ का रवैया एक जैसा है। इसलिए अब सवाल उठता  है- अपने देश में दिख रहे भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है? हम अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रष्टाचार देखते हैं। इनमें सरकार, शिक्षा, मीडिया, दूरसंचार, रिटेल, निर्माण और खनन जैसे तमामा अहम क्षेत्र शामिल हैं। यहीं से मुझे मेरे दूसरे सवाल का सिरा मिलता है- हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा और कौन यह बताएगा कि भ्रष्टाचार को कम और आखिर में खत्म कैसे करना है?

वे कौन से नेता, विचारक, रणनीतिकार, कॉरपोरेट दिग्गज हैं जिनका ज्ञान, जिनकी विशेषज्ञता और सलाह आप को यानी भारत के लोगों को मंजूर होगी?

और अंत में, आपके पास अपने महान देश को इस विपदा से मुक्ति दिलाने के लिए क्या रास्ता है? आपको क्या लगता है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने का क्या तरीका हो सकता है? अगर एक अरब लोग अपना दिमाग लगाएं तो मुझे यकीन है कि रास्ता जरूर निकलेगा और अंधकार भरी सुरंग के अंत में रोशनी दिखेगी।

यही वजह है कि हमने आपके सामने ये सवाल रखे हैं। आप नीचे मौजूद कमेंट बॉक्स में ऊपर पूछे गए तीन सवालों के जवाब दीजिए- आपके मुताबिक भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है? इसे खत्म करने के लिए आप किसकी राय जानना चाहते हैं? और अंत में भ्रष्टाचार से लड़ने के उपायों पर आप अपनी राय जाहिर कीजिए।
और हमारी कोशिश होगी कि हम सब साथ-साथ भ्रष्टाचार की पहेली सुलझाएं और कुछ सवालों के जवाब जरूर ढूंढ लें।

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

जन-जन को जागरूक होना होगा । इस राह पर शुरुआत में तो दिक्क़त होगी क्योंकि पैसा देकर कार्य कराना आसान समझा जाता है लेकिन धीरे-धीरे लोग सही मार्ग भी अपनाएँगे । सार्थक लेख हेतु आपका आभार !

4 नवम्बर 2015

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

अत्यंत सम-सामयिक सार्थक लेख हेतु आपको शब्दनगरी की ओर से बधाई एवं धन्यवाद |

4 नवम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

सार्थक लेख, सतीश जी! भ्रष्टाचार से पूरे देश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है, व्यक्तिगत स्तर पर रोकथाम करने से ही बात बनेगी!

4 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
indianauthor
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भारतवर्ष-हिन्दुस्तान-इंडिया
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मेरे घर आई एक नन्ही परी

4 नवम्बर 2015
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क्या कहूं और कहां से शुरुआत करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है। जब कभी इस विषय में कहीं कुछ पढ़ता हूँ या सुनता हूँ कि बेटी पैदा होने पर उसे गला घोंट के मार दिया गया, या किसी नदी, तालाब या कूएँ में फेंक दिया गया या फिर गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण करवाये जाने पर बेटी है का पता लगते ही उसे भूर्ण हत्या का

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अमर पुरुष बन गया है भ्रष्टाचार

4 नवम्बर 2015
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मृत-शरीर : अंतिम संस्कार

4 नवम्बर 2015
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वैदिक शास्त्रो अनुसार, सनातन-धर्म में १६ संस्कारों का अत्यंत महत्व है ये अभी मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते है.  अंतिम संस्कार १६ संस्कारों में आखरी संस्कार होता है. इस संस्कार का पालन वेदों और शाश्त्रों में वर्णित नियमों के अनुसार जीव की मृत्यु उपरान्त किया जाता है ताकि जीव-आत्मा को इस भौ

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एक प्रश्न :-

5 नवम्बर 2015
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एक प्रश्न :- इस धरती पर उस प्राचीन धार्मिक पुस्तक ( ग्रन्थ ) का नाम बताइये जो इस संसार में एक ही ' ईश्वर ' होने का दावा करती है ? विकल्प:- १. पवित्र कुरान, २. पवित्र भगवत गीता, ३. पवित्र बाइबिल, ४. इनमे से कोई नहीं अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करके सही उत्तर अवश्य दे. 

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ईश्वर : ब्रह्म : परमेश्वर : परमात्मा : विधाता : भगवान : अल्लाह : ख़ुदा : गॉड

6 नवम्बर 2015
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ब्रह्म हिन्दू धर्मग्रन्थ उपनिषदों के अनुसार ब्रह्म ही परम तत्त्व है (इसे त्रिमूर्ति के देवता ब्रह्मा से भ्रमित न करें)। वो ही जगत का सार है, जगत की आत्मा है। वो विश्व का आधार है। उसी से विश्व की उत्पत्ति होती है और विश्व नष्ट होने पर उसी में विलीन हो जाता है। ब्रह्म एक और सिर्फ़ एक ही है। वो विश्वात

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शैतानी जीव, रहस्यमय प्राणियों का अनसुलझा सच

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संस्कृत या हिंदी वर्णमाला का पहला अक्षर ' अ ' से शुरू होता है.अर्थार्थ, ' अ ' अक्षर के बिना हिंदी वर्णमाला का कोई अर्थ नहीं रह जाता. भगवद्गीतापुष्टि करती है कि विधाता के मुख से निकला पहला अक्षर भी ' अ ' ही था. जिससे इस सृष्टिका सुभारम्भ होता है.  ओ३म्/ओंकार (यह ईश्वर का वाचक है) शब्द जो परमेश्वर, एक

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आतंकी हिंसा

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श्रीमदभगवत गीता :- जो मनुष्य मांस का सेवन करता है वह मनुष्य आसुरी/राक्षस समुदाय से सम्बन्ध रखता, उस मनुष्य के ह्रदय में किसी भी जीव के प्रति दया-भाव ना के बराबर होती है, वह मनुष्य हिंसक प्रवर्ति का बन जाता है और वह किसी भी जीव के प्रति हिंसात्मक रवैया अपनाने में नहीं झिजकता. आतंकवाद जैसा शैतान आज पू

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