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जंगल से प्यार ( धारावाहिक 4 किश्त)

22 जनवरी 2022

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[ जंगल से प्यार ]  [ धारावाहिक 4 थी किश्त ]

समय गुज़रता गया अखिलेश का जंगल जाना बदस्तूर ज़ारी रहा । जंगल में उसने न जाने कितने पंछियों , कितने तितलियों , तोतों व छोटे जनवरों की सेवा किया था । उसे लगता था कि जंगल के सारे व्रिक्ष , सारे पंछी उसके दोस्त हैं । शायद पंछी गण भी अखिलेश को अपना शुभचिन्तक मानते थे । 
इस तरह एक साल गुज़र गए । अखिलेश अब बड़ा हो गया था । उसकी उम्र अब 9 वर्ष हो गई थी । वह अपने गांव में ही 3 वीं पड़ता था और फ़ुरसत के समय वह अक्सर ही जंगल की खाक छानता था । 
 एक दिन स्कूल से उसकी बहुत जल्दी हो गई तो वह शेरू और शेखू को लेकर जंगल चला गया । वहां लगभग घंटे भर घूमने के बाद उसे जब थकान लगी तो वह शेरू और शेखू को एक पेड़ के नीचे बैठा कर खुद उस पेड़ के उपर चढ गया और पेड़ के मद्ध्य में एक मोटी डाली पर लेटकर आराम करने लगा । थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गई । इस बीच शेरू और शेखू सर उपर करके अखिलेश को देखते रहे कि वह ठीक ठाक है या नहीं । उस व्रिक्ष की सबसे उपर डाली में चार  चिड़ियों का समूह बैठा था । जो आपस में ही बातचीत में व्यस्त थे ।
 आधे घंटे बाद अखिलेश को आभास हुआ कि शेरू और शेखू लगातार भूंक रहे हैं । उसे अपनी छ्ठी इन्द्रीय से यह आभास हुआ कि आस पास कोई खतरा है तभी शेरू और शेखू लगातार भूंक रहे हैं । उसने सिर घुमाकर उपर देखा तो उसे अपनी ही डाली के उपरी हिस्से पर एक सांप नज़र आया, जो नीचे उसकी तरफ़ ही आ रहा था ।यह देखकर अखिलेश कुछ डर गया । उसके बाद उसने अपनी आंखें नीचे की ओर फ़ेरी तो उसका डर चार गुना बढ गया । नीचे से भी एक सांप उसकी तरफ़ आ रहा था । इस तरह से उपर और नीचे दोनों तरफ़ जाने का रस्ता बंद हो चुका था । अखिलेश ने और उपर नज़र दौड़ाई तो सबसे उपर की डाली में कुछ चिड़िया बैठे हुए नज़र आए जो उपर बैठे हुए दोनों सांप को देख रहे थे । क्वे चिड़िया गण भी सांप को देखकर डरे हुए लग रहे थे । उन चिड़ियों ने मन बना लिया था कि अगर दोनों में से कोई भी सांप उपर की ओर आये तो वे सब वहां से उड़ जाएंगे ।  उधर शेरू और शेखू अपने पालन हार को बचाने  के लिए भूंकते हुए उपर आना चाहते थे । लेकिन पेड़ पर चढना उन्हें न आता था न ही भगवान ने उन्हें ऐसी कोई योग्यता दी थी  कि वे पेड़ पर लंबी दूरी तक  चढ सकें । वे इसलिए ज़ोर ज़ोर से भूंक रहे थे कि उनके भूंकने से शायद दोनों सांप अपना रस्ता बदल लें । लेकिन दोनों सांपों पर उनके भूंकने का असर नहीं दिख रहा था । 
उधर उपरी डाली पर बैठे चिड़िया गण आपस में चर्चा कर रहे थे कि अब हमें यहां से उड़ जाना चाहिए वरना सांप अगर उपर आ जाएं तो हमारी जीवन में भी खतरा उतपन्न हो जाएगा । उनमें से एक ने कहा कि नीचे डगाल पर बैठा वह लड़का तो खतरे में है । वह तो बेमौत मारा जायेगा । हमें उसकी मदद करनी चाहिए । तो उनमें से एक चिड़िया ने कहा कि एक अन्जान शख़्स के लिए हम क्यूं खतरा मोल लें ? फिर सांपों से लड़कर हम उनका क्या बिगाड़ लेंगे ?
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जंगल से प्यार
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अखिलेश उस घायल पंक्षी को अपने घर लाकर ऊसका उपचार कर उसे ठीक कर देता है। इसके बाद वे सारे पंक्षी उन्हें यह वचन देते हुए वहां से चले जाते हैं की कभो हमारो मदद की जरूरत पड़ेगी तो हम आपके लिए जां न्यौछवर भी कर देंगे।

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