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Ek Anokha Rishta

21 जून 2019

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एक अनोखा रिश्ता


ज़िन्दगी के एक मोड़ पर कुछ रुका, और मूड कर देखा

कुछ धुन्दली यादो का तस्सव्वुर सा दिखा |


धुन्द के बीच एक चेहरा सा दिखा,

कोई अपना सा और करीबी सा दिखा


यादों गहरी होती गयी, और तस्वीर साफ सी


कोई दिखा || जो कभी उंगली पकड़ कर चलाता था

तो कभी बाल पकड़ कर खींचता था |


कभी शिकायतों के ढेर लगाता, तो कभी ढेरो बाते ही करता

कभी खिलोने और मिठाइयों की खीचातानी थी तो कभी छोटी छोटी शैतानी |


ना जाने कब वक़्त ने रफ्तार पकड़ी और , कब बड़े हो गए


जो हाथ कभी गिरेबान पे हुआ करते थें , आज कंधों पे आ गए

जो कभी तू हुआ करता था , आज तुम पर आ गए


रिश्ता वही था पर एहसास बदल गए

शिकायते अब सुझाव और नसीहत में बदल गए


रिश्तों की डोर ने मजबूत जंजीर का रूप ले लिया

पता ना चला कब भाई ने पिता का दर्जा ले लिया


अब चट्टान सा सामने रहता है,

और बस एक ही बात कहता है


में हूं ना, देख लूंगा, में हूँ ना देख लूंगा


एक अनोखा रिश्ता, भाई का

एक अनोखा रिश्ता भाई का |||||


Shelly Varghese

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