मेरी डायरी,
तुमने मेरे कुछ महत्त्वपूर्ण नोट्स खो दिए | ऐसा क्यों किया ? मुझे तो लिखने की लत है, किसी तरह लिख लूँगी | परन्तु तुम ने मेरे दिमाग की उथल-पुथल को खो दिया | खैर, मैं ढूँढने का प्रयत्न कर रही हूँ | चलो, आज मैं अपने आस-पास होने वाली घटनाओं को बताती हूँ | यह दैनिक प्रक्रिया है, जिसमें कभी अच्छे तो कभी बुरे लोगों का सामना होता ही है | आज से एक साल पहले मेरा पर्स चलती ट्रेन में छीन लिया गया | मेरे साथ चोर की झड़प भी हुई, परन्तु वह कामयाब हो गया | वह तो चोर के जीवन यापन का साधन था | लेकिन पुलिस वह तो जुर्म को रोकने के लिए है | आज तक एक भी ऑफ़िसर ऐसा नहीं मिला जो ईमानदारी से अपने काम को अंजाम दे | दिल्ली पुलिस के कारनामे भी देखे हैं | इन सब का परिणाम है, अराजकता बढ़ना | भ्रष्टाचार कम होता तो नहीं लगता | आम इंसान पर इसका प्रभाव साफ दिखता है | मुझे तो अब यूक्रेन और रूस के युद्ध से डर लगने लगा है | कितने भयानक दृश्य दिखते हैं |