मेरी डायरी,
आज घर में सफाई करते हुए महसूस हुआ कि हम कितनी ही चीजें बिना जरूरत की संजो कर रखते हैं | पता नहीं कब काम आ जाये | परन्तु ऐसा कुछ नहीं होता है | इसलिए हमें ज्यादा- से-ज्यादा छह महीना देखने के बाद फालतू चीजों को हटा देना चाहिए | यह आज समझ आया है | इसी तरह की कितनी बातें हैं जिसके लिए हम समय पर गलत-सही का फैसला नहीं कर पाते हैं | इसके लिए किसी की सलाह अवश्य लेनी चाहिए | इसी विषय पर अपनी लिखी एक लघुकथा याद आ गई, जिसका शीर्षक है ' फैसला ' -
पुल पर गाँव के कुछ लड़के तफरीह कर रहे थे | तभी दूर से आते एक व्यक्ति को देखकर एक ने कहा ,
" वो देखो , अपने रामू चाचा आ रहे हैं न!"
" हाँ | ठीक कह रहे हो | इन तीन सालों में तो इनके रंग-रूप ही बदल गए हैं | "