मेरी डायरी,
समझ नहीं आता किसे अपना हितैषी समझूँ किसे नहीं | मेरे साथ तीन परिवार जुड़े हैं | अपने बुजुर्गों से सुना है कि हर रिश्ते में एक दूरी होनी चाहिए | पर आज तक नहीं समझ सकी कि ये दूरी क्यों ? जब हम एक साथ जुड़ गए हैं तो फिर दूरी किस कारण ? हमारे सुख, हमारे दुःख एक हैं तो उन्हें आपस में बाँट कर ज्यादा सुखी या कम दुःखी हों तो क्या बुराई है | रिश्ते बनना मुश्किल है बिगाड़ कर लेना तो आसान है | रिश्तों को निभाना और भी मुश्किल है | रिश्ते तभी बनते हैं जब दिल मिलते हैं | ईश्वर की मर्जी भी शामिल होती है | ये रिश्ते हर वक्त साथ खड़े होते हैं | इन्हीं से परिवार पूरा होता है | हर रिश्ता अपने-आप में महत्वपूर्ण होता है | उन्हें अहमियत दें और अपनी जिम्मेदारी बाँट कर देखें | अपना संसार बड़ा नजर आएगा |