8 / 5 / 22
मेरी डायरी,
आज का दिन तो अपने घर को व्यवस्थित करने में ही रह गई | उफ, यह काम कितना मुश्किल होता है | असल में विद्यार्थियों और स्कूल के बीच घर के कोनों को देख ही नहीं पाती थी | उन सभी कबाड़ों के बीच बच्चों द्वारा बनाई तस्वीर मिली | बच्चों से याद आया आज मातृ दिवस का बच्चों ने उपहार दिया - गुलाब के फूलों का गुलदस्ता | गुलदस्ता बड़ी चीज नहीं है | बड़ी बात है उन पलों का आनंद लेना, उन्हें मनाना | यह देखकर अच्छा लगा कि उन्हें रिश्तों की कद्र है | रिश्ते जिंदगी को जीने का मतलब देते हैं | वैसे तो हर व्यक्ति का अपना संसार है, जिसमें वह अपने अंदाज में रहता है | लेकिन कभी- कभी अपने वातावरण से अलग समय बिताना आवश्यक होता है | इससे आपके मष्तिष्क को अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचने का मौका मिलता है | " अरे चाचा, कहाँ जा रहे हैं ", " दादा जी, मैं पैर दबा दूँ ?" या फिर "ये नहीं समझ आ रहा बता दीजिये " इन सभी वाक्यों में अपनापन छिपा है | उन्हें अपनी अहमियत का एहसास होता है | भले ही वे कुछ न बता पाएं | मैं भी ऐसा महसूस करती हूँ | आज के लिए बस |