मन मे डर है
घबराहट है
कोई नहीं यहां अपना
काश कोई कह दे ये अब तक का जीवन था एक सपना
क्यों सब साथ छोड़ जाते हैं
क्यों सब मुख मोड़ जाते हैं
इतनी बुरी तो नही मैं
की कोई साथन रह सके
की कोई मुझे अपनाएं कह सके
कितना भी कर लूं किसी को खुश करने के लिये
किसी को नहीं मेरी कदर
काश किसी को तो हो मेरी भी फिकर
घर आऊं तो कोई करे इंतज़ार
जिसके साथ बाँटू दर्द और खुशियों का संसार
कोई पूछे कि तुमने कुछ खाया
कोई हो जो कभी न जाये छोड़कर
जो कभी शर्तों पर न करे प्यार
शर्त पूरी न होने पर न जाये मुख मोड़कर