अकेलापन किसी निश्चित उम्र में अनुभव नहीं होता,
जब महसूस होता है तो अंदर तक है चुभोता,
उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ता है ये अकेलापन,
न चाहते हुए भी दर्द सेहता है ये मन,
जब अकेलापन हद से बढ़ जाये,
तब क्यों न प्रकृति का साथ लिया जाए,
क्योंकि इंसान को इंसान की कद्र नहीं यहां,
दुःख देते हैं वही लोग जिन्हें आप मानो अपना सारा जहां,
जब कोई अपना दर्द दे तब बढ़ जाता है अकेलापन,
न चाहते हुए भी जीवन भर फिर दर्द सहता है ये मन।