अतीत के कुछ पन्ने देखे खोलकर
भूल नही सकती जिन्हें मैं चाहकर
माँ का था प्यार
पिता का था दुलार
दादी का प्रेम भरा साथ
नानी का स्नेहमयी स्पर्श वाला हाथ
बुआ का बहुत सारा प्यार
मासी का भी मुझे देखने के लिए करना इंतज़ार
आज कोई नही मेरे पास
जिन्हें कह सकूँ अपना
शायद यहीं तक था उनका साथ
ईश्वर पूरा करे उनका हर सपना
सुनहरे पल हैं कुछ अतीत के
हैं कुछ भयावह लम्हें भी
जब लोगों ने दिल दुखाया
छोड़ा मुझे तड़पा के ही
देखती हूँ औरों को उनके परिवार के साथ मुस्काते
याद आतें हैं वे खुशनुमा पल जो मेरे परिवार के साथ हम थे रोज बिताते
गैरों से क्या उम्मीदें करूँ क्यों करूँ शिकायतें
जिन्हें मुझसे दूर रहकर मिलती हैं राहतें
हा मैं मोटी हूँ नही है मेरे पास रोजगार
इसका मतलब ये नही की विवाह के रूप में मेरे साथ तुम करो व्यापार
माँ पिता की हर ख्वाहिश पूरी करूंगी उनके लिए खुश रहूंगी