दुनिया में भले और बुरे दोनों तरह के ही लोग हैं। कुछ ऐसे ढीठ भी हैं जिन्हें अपनी दुष्टता के लिए कभी भी शर्म नहीं आती।
छोटी हव्रोशेचका, दुर्भाग्यवश ऐसे ही लोगों के बीच जा फंसी। वह यतीम थी और उन्होंने काम लेने की गर्ज से उसे अपने घर में रख लिया। काम कर-करके उसकी बुरी हालत हो गई। वह सूत कातती, बुनती और घर का सारा काम करती। फिर बात-बात पर उसकी जवाब तलबी भी होती।
अब घर की मालकिन की 3 बेटियां थी। सबसे बड़ी एक आंख वाली, दूसरी दो आंख वाली, तीसरी सबसे छोटी तीन आंखों वाली थी। तीनों बहनें दिनभर कुछ काम ना करके फाटक पर बैठी रहती और गली की रौनक देखा करती। दूसरी ओर हव्रोशेचका उनके लिए सिलाई करती, सूत कातती, कपड़ा बुनती और बदले में उसे कभी दो मीठे शब्द भी सुनने को ना मिलते।
क्रमशः