अयोध्या में राम !
भगवान राम तुलसी हृदय में बसते राम ,
तुलसी हृदय में राम।
सब में रमते हैं श्री राम,
जो हैं तुलसी के राम।
तुलसी ने काशी रहकर रामायण रचते ।
रामचरित्र मानस को भजते
श्री राम राम तुलसी जपते ।
तुलसी के थे राम और,
राम जी के तुलसी।
श्री राम के साथ राम,
भक्त हनुमान ने
गुणगान गाया !
कहते हैं संकटमोचन में,
हनुमान का दर्शन पाया
जहां हनुमान जी का मंदिर है
तुलसी दर्शन पाकर ।
हनुमत प्रभु का बाल रूप
तुलसी दास को भाया।
तुलसी दास जी को काशी में
पंडितों ने बड़ा दुःख ढाया।
राम रचित पांडुलिपि नष्ट करने का
विफल प्रयास दिखाया ।
तुलसी दास ने महाबली के,
बारह मंदिरों का निर्माण कराया।
बाल रूप
सात मंदिर तुलसी घाट पर,
दक्षिणमुखी बनवाया ।
महामारी से निपटने के लिए,
प्रहलाद घाट पर प्रतिमा लगवायी ।
रामचरित्र मानस को प्रारंभ कर,
श्री राम की महिमा गाया।
दोहावली- कवितावली- गीतावली,
पर भी अपना ध्यान लगाया।
काशी में राम मंचन की परंपरा,
उन्होंने कायम फिर से कराया।
चित्र कूट में तुलसी दास ने,
बहुत समय तक बिताया।
अगस्त बीस में राम मंदिर,
निर्माण कार्य पुनः स्थापित हो,
ऐसे में पुन्य क्षेत्र की नदियों का,
जल और सागर से आया।
गोमुख से गंगा जल लेकर ,
गंगा महासभा ने ससम्मान भिजवाया
गंगा सेवानिधी काशी ने,
रामनगर से पवित्र मिट्टी पहुंचाया
देश के सभी पुण्य क्षेत्र से,
विविध पूजन सामग्री अयोध्या
श्री राम मंदिर के लिए आया |
-सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी