"राम नाम में असीम संभावना "-------------------------------सदियों के लगभग पांच सदी संघर्ष के बाद अयोध्या का राम नंदिर विवाद सर्बोच्च न्यायालय के सूझ बूझ से समाप्त हो गया | सर्बोच्च न्यायालय ने जो फैसला सुनाया उसका परिणाम रहा जिससे मामला सर्वमान्य हल हो गया | राम मंदिर मामले में प्रमाण साक्ष गवाह पुरातत्व विभाग की खुदाई से मिले अवशेषों आदि सभी विन्दुओं पर सर्बोच्च न्यायालय ने गहनता से विचार विमर्श करके पांच जजों की प्रमुख पीठ ने ऐसा फैसला सुनाया जिसको सभी ने एक मत से स्वागत किया | भारत में स्थापित सर्बोच्च न्यायालय ने निर्णय का पूरी दुनिया में स्वागत किया गया | यही नहीं सभी धर्म, जाति पंथ,समुदाय के ने एक मत से स्वागत किया | अयोध्या मे जन्म शिलान्यास हो चुका था भूमि पूजन के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया जाना था की आशा में जनमानस के मन की कामना पर कोरोनावायरस काल ने पानी फेर दिया | समारोह होता तो समारोह में अपार जनता अयोध्या धाम पर अपने नेत्रों से उस भब्य दृश्य का साक्षात्कार कराती उस मनमीहक छवि को अपने ह्रदय में उतार लेती जिसको वह कभी भी जीवन में भूल न पाती | फिर भी दुनिया ने चैनलों के माध्यम से यह सावित कर दिया कि राम में उनकी कितनी आस्था है | परन्तु दुर्भाग्य कि खुद को उदारबादी और सेकुलर सोच का कहने वाले तथा कथित नकारात्मक सोच से प्रभावित इस ऐतिहासिक शुभ काल को भी पूर्वाग्रह से प्रभावित ओछी राजनीति की मानसिकता से संकल्प काल को नापने का माप रख प्रयास कर रहे हैं | राम और राम के जन्म स्थान की महत्ता पर विचार विमर्श किये बगैर केवल इसे एक मंदिर निर्माण के चश्में से देखने का दुस्साहस करने का प्रयास पर उतर जाना चाहते हैं जिसको उन मानसिकता को जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी | ऐसा लगता है कि जानबूझकर राम और राम जन्म भूमि की महत्ता को समझने से इंकार कर रहे हैं | उनको इतना भी ज्ञात नहीं की राम के प्रति ,जन्म स्थान से लगाव ,उनमें जनता की आस्था को एक विशेष पंथ तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है | सभी धर्म ,सम्प्रदाय ,देश ,प्रदेश में राम कथा लोगों की जुबान पर है | राम कथा लोगों को प्रेरित कराती है | राम मंदिर निर्माण की प्रगति और लोगों में उत्साह ,उमंग उन लोगों को रास नहीं आ रहा है जो लोग साम्प्रदायिकता की धुरी पर राजनीति करते चले आ रहे हैं | उन्हीं लोगो को इर्षा ही रही है उनका मत है कि राम जन्म भूमि पूजा में समारोह की ख़ुशी में शामिल हुए और जनता ने भी खुशी जताई ईर्षा का प्रमुख कारण यही हो सकता है | उनका मानना है की जो राम नाम पर निर्माण होने वाले मंदिर के पक्ष में हैं और राम में आस्था रखते हैं वह सांप्रदायिक हैं | तथा कथित सेकुलर मानसिकता रखने वाले राम मंदिर के विरोध में देश व विदेश में दुष्प्रचार प्रचार -प्रसार की साजिस रचने में अपना समय जाय कर रहे हैं | जिसको किसी भी तरह से स्वीकार की परम्परा से नकारा ही जा सकता है | राम आदर्श हैं, राम सबके हैं ,राम सब में हैं ! जिन लोगों ने दुनिया को यह दिखाया कि सदियों से चला आ रहा विवाद आशा की किरण बनाकर जनता के दिलों में बस गया है किसे जनता ने स्वीकार किया है कि अयोध्या में एक नए काल खंड का श्री गणेश होने वाला है इस संपूर्ण क्षमता को भारतीय समुदाय ने आत्मसात किया ,ख़ुशी मन और विवेक से स्वीकार्य है | यह शुभ अवसर भारत के सद्भाव ,एकता ,विश्व बंधुत्व और सहभागिता को अनेकता में एकता के प्रमाण को परिभाषित करता है | निर्माण की स्वीकारिता को भारतीय संस्कृति की विश्व पटल पर शक्त रूप में स्थापित होने की संभावना के रूप में प्रस्तुत की गयी प्रमुख कड़ी के रूप में देखना है | राम ने सभी को अपनाया है राज धर्म में अपने पराये का भेद नहीं माना होता है | सर्वे भवन्ति सुखिनः राज धर्म में उपरोक्त सिद्धांत को ही प्राथनिकता मिलती है | वसुधैव कुटुम्बकम !साड़ी वसुधा के लोग एक ही परिवार के हैं की व्यावहारिकता से भारतीय संस्कृति ओत - प्रोत है | इसी सिद्धांत पर भारत सदा से ही रहा जिससे विश्व भारत में संभावना की तलाश में तत्पर हैं | भारत ही नही अपितु सारे विश्व को श्रद्धा ,शान्ति ,सहजता ,धीरता ,सेवा, अहिंसा जैसे परम तत्व को सम्पूर्ण विश्व को स्वीकारना ही होगा | मनुष्य को प्रत्येक परिस्थिति में विवेक पूर्ण निर्णय लेना विवेक प् परिचय देना आवश्यक होता है | यह ध्यान में रखना चाहिए पंथ परक मानसिकता का समाधान करने की क्षमता यदि कहीं पर विद्यमान है तो वह भारतीय संस्कृति परम्परा में प्रवाहित होती है | इतिहास में मानव के सामने खतरनाक से भी खतरनाक क्षण का समाधान मानव जाती की मुक्ति का रास्ता भारतीय संस्कृति में विद्यमान है |महापुरुषों के उपदेशों ,शास्त्रों के अध्ययन से मानव वृत्ति में पल रहे मनोवृत्तियों और भावनाओं से आगे विकास की तरफ बढ़ा जा सकता है आज विश्व समुदाय सनातन संस्कृति की तरफ देख रहा है उसके गुणों में असीम संभावना को तलाश रहा है शोध की तरफ ध्यान लगाने की सोच रहा है | भारत अनादि काल से आध्यात्म का केंद्र रहा है | भारत के आध्यात्म प्रचार - प्रसार को दुनिया ने स्वीकारा सराहा और आत्मसात किया है | मानव में आत्मबल और साहस बढ़ाने की प्रचुर क्षमता सनातन परम्परा में निहित है | हमें दूषित मानसिकता से बचना होगा तभी सही मामले में राम और राम जन्म भूमि के महत्ता को परखने की क्षमता अंदर विकसित हो सकती है | राम आस्था और मर्यादा आदर्श हैं की भावना विकसित होने पर राम को जाना जा सकता है और आत्मसात किये जाने की क्षमता का विकास संभव है | - सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
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