भारत के महान राजाओं की यश कीर्ति सुनाता हूं। चारों तरफ कार्यकुशलता को उनकी पराक्रम गाता हूं। उन्होंने अपने अपने तरीके से भारत पर राज्य किया। नीचे बाल वैभव के बल पर भारत का विस्तार किया। अपनी सीमा के बाहर भी सीमाओं को पार किया। कुछ कार्यकुशलता के बल जन का कल्याण किया। वीर पराक्रमी राजाओं की शौर्य गाथाएं गाता हूं। राजवंश के उन सम्राटों की सीमा बतलाता हूं। चारों दिशाओं में लोकप्रियता भारत का राज बताता हूं। महा पराक्रमी राजाओं की यस गीत सुनाता हूं। -सुख मंगल सिंह
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