धूप ना निकल आए जहां में, चले आओ महावीर हैं यहां! सनसनाते चल दी पुरूआ हवा, आलस्य ना आए तुझे कहीं।। महावीर हनुमान जी मंदिर में, आओ हनुमान चालीसा सुनाएं। जानकी की खोज किए हनुमान, सबको बजरंगी देते रहे वरदान।। देर करने वाला समय खो देता, सूर्योदय - गोधूलि में बंदना होता। जब आवागमन के साधन कम, फिर भी हनुमत दर्शन को जाते।। गांव मोहल्ला मिल चालीसा गाता, जोखिम - भय से छुटकारा पाता। लाल सिंदूर जो लोग उन्हें चढ़ाते, शनि के दुष्प्रभाव पास नहीं आते।। कर्म को स्वभाव का अंग बना लेते, वीर सानिध्य सुखी जीवन बिताते। मौसमी फूल तुलसी मंदिर में चढ़ाते, पेड़ा लड्डू खूब उन्हें घी का सुहाते।। तेरेे मन आंगन को वही महका देते, मुख मंडल खुशियों से दमका देते। चले आओ जी महावीर हैं यहां जहां, धूप ना निकलने पाए आओ यहां।। - सुख मंगल सिंह
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