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"अंधेरा ना फटके! "

23 जनवरी 2020

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"अंधेरा ना फटके! "

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अन्धकार ना आये

कुछ ऐसा जातां करो !

सेना बन खड़े रहो

ऐसी हूंकार भरो |

*

भारत का बच्चा -बच्चा

जब तक पूर्णतया

सच का लबादा लेकर

ना उठकर जागेगा

असत्य- हवा बहेगी

हिल- हिल के कांपेगा ?

*

पाषाण पैच बनाकर

सत्य लतियाता मिलेगा

बहाने आसमान के

वह धकियाता मिलेगा

धरा पर आना -जाना

गाना गाता मिलेगा |

मनसा मनोबल 'मंगल'

जागो- जगाना होगा |

*

बागी बनाने के पहले ही

अँधियारा मिटाना होगा |

जो अपरिचित हैं उनको भी

सड़क घेर चलने के चाव में

और वे जी रहे पूरे तनाव में

आया गिरफ़्त मछेरे का बयान

उछल कूद आ गया मेरे नाव में |

-सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी

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रचनाएँ
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अयोध्या की याद आती है प्रतिपल मुझे अयोध्या की याद आती है याद करने को मेरे लिए कुछ भी नहीं बाकी है नाते जन्म - जन्म के, सब हो गये बे गानेऐसा लगे की जैसे ,सब सम्बन्धों की झांकी है न किसी को आना है , न किसी को जाना है आने और जाने में, बात बस जरा सी है छोटी सोच से ऊपर रहके ,बड़ी सोच संग जो रहता प्रकृति के संग -संग जो चलता , प्रकृति उसे अपनाती है मैं सुखमंगल हूँ सभी का मंगल -मंगल मैं चाहूँ समझ लो मेरी यही सोच, मेरे जीवन की थाती है | - सुखमंगल सिंह 'मंगल '
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"अंधेरा ना फटके! "

23 जनवरी 2020
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"अंधेरा ना फटके! " ----------अन्धकार ना आये कुछ ऐसा जातां करो !सेना बन खड़े रहो ऐसी हूंकार भरो | *भारत का बच्चा -बच्चा जब तक पूर्णतया सच का लबादा लेकर ना उठकर जागेगा असत्य- हवा बहेगीहिल- हिल के कांपेगा ? * पाषाण पैच बनाकर सत्य लतियाता मिलेगाबहाने आसमान के वह धकियाता मिलेगाधरा पर आना

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अयोध्या में राम !

2 अगस्त 2020
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अयोध्या में राम !भगवान राम तुलसी हृदय में बसते राम , तुलसी हृदय में राम।सब में रमते हैं श्री राम, जो हैं तुलसी के राम।तुलसी ने काशी रहकर रामायण रचते ।रामचरित्र मानस को भजते श्री राम राम तुलसी जपते ।तुलसी के थे राम और,राम जी के तुलसी।श्री राम के साथ राम, भक्त हनुमान नेगुणगान गाया ! कहते हैं संकटम

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"श्रीराम मंदिर निर्माण और क्षेत्रीय विकास"

19 सितम्बर 2020
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"श्रीराम मंदिर निर्माण और क्षेत्रीय विकास"श्री राम मंदिर निर्माण शुरु हो गया । राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या के विकास पर भी सरकार प्रतिबद्ध है।अयोध्या नगरी में देश का बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बने और धार्मिक पर्यटन स्थलों की योजना पर सरकार कार्य कर रही है।काव्य प्रभाकर के रचयिता जगन्नाथ प्रसाद

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