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सरयू नहाए हैं?

सुखमंगल सिंह

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बड़े-बड़े कवियों के माना बीच आए हैं, विद्वता का परचम दुनिया में लहराए हैं! नाक में नकेल नहीं काहे का भन्नाए हैं, अवधी छल कपट कब किसने दिखाए हैं।। जाने कब आनंद की बंसी बजाए हैं, राम जी का परम धाम देखने आए हैं? गुनाहों से तौबा कर के सरयू में नहाए हैं? जग सपना ना कोई अपना बताए हैं।। - सुख मंगल सिंह  

sryuu nhaae hain

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