मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊
हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली -खिली । हमारे मनों को सुवासित करती हुई 😊।
मैं उसके लिए टाॅफियाँ लाती जिसे वो बहुत चाव से खाती थी ।हमारी दोस्ती एक लड़की को रास न आती थी तो वो निधि को मेरे विरुद्ध भड़काने का पूरा प्रयास करती थी ।एक दिन वो सफल भी हो गई ।मैंने निधि को टाॅफी दी ,उसने बस्ते में रख ली ,फिर मैं वाशरूम चली गई और उतनी ही देर में उसने अपना काम कर दिया ।मैं लौटकर आई तो निधि ने टाॅफी वापस कर दी कि लो मुझे न चाहिए ।
मैं समझ गई ये उसी का काम है ,मैं बोली नहीं कुछ पर उदास हो गई और वो अपनी जीत पर खुश ।
निधि ने उसकी मुस्कुराहट देख ली और वो समझ गई सारा रहस्य और उस दिन निधि ने उससे दोस्ती तोड़ ली।
तब झूठ बोले कौवा काटे काले कौवे से डरियो गाना नया आया था ।निधि ने मुझसे कहा बहुत अच्छा गाना है ,घर में पापा से कहकर कैसेट में भरवा लो ।फिर क्या था ,घर जाते ही मैंने घर सिर पर उठा लिया कि वो गाना कैसेट में भरवाओ ,और जब भरवा लिया गया तब ही चैन पडा़ 😂😂