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रेलयात्रा

9 सितम्बर 2022

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रेल यात्रा का विषय देखकर मुझे वो घटना याद आ गयी जो आपसब के साथ साझा करने का मन किया।मेरे पापा के साथी प्रोफेसर थे वर्मा अंकल( अब नहीं रहे )वो अपनी पत्नी के साथ रेलयात्रा कर रहे थे।आंटी जी बैठी थीं और वो ,अमूमन जैसा बहुत लोग करते ट्रेन के दरवाजे के पास खडे़ थे।आंटी देख रही थीं कि वो खडे़ हैं। कुछ देर बाद वो शायद वाशरूम चले गये आंटी ने देखा  वर्मा जी दिखे नहीं।वहां खडे़ लड़के किसी संदर्भ में कहे कि चाचा जी गिर गये।वो अपनी किसी बात के संदर्भ में कह रहे थे ।आंटी को लगा वर्मा जी ट्रेन के दरवाजे के पास खडे़ थे वो नीचे गिर गये।वो चिल्लाकर दौडी़ं और बदहवास सी ट्रेन के दरवाजे से कूद पडी़ं कि हाय वर्मा जी गिर गये।
अंकल जी जब आये तो शोरशराबा मचा था कि एक औरत ट्रेन से कूद गयी।वर्मा जी ने देखा कि वो सीट पर नहीं।फौरन चेन खींचकर गाडी़ रुकवाई गयी।वर्मा जी और बहुत लोग उतरे और जाकर देखा तो आंटी के एक पैर की केवल एडी़ रह गयी थी बाकी हिस्सा कट गया था ।वर्मा जी हक्क से रह गये।उन्हें नज़दीकी अस्पताल ले गये ।बाल्टी भर खून गिर चुका होगा।हम सब बाद में उनके घर उन्हें देखने गये।उनकी बिटिया ससुराल में थी ,दोनों बेटे बाहर।बिचारे वर्मा जी काॅलेज जाने से पहले सब काम करते ।खाना बनाते,सफाई करते ,नौकर रखने के वो पक्ष में न थे ।नौकर रखकर अपने लिये मुसीबत मोल कौन ले ।खाना बनाकर उनकी थाली उनके पास रख जाते ,गेट में बाहर से ताला डालकर चाभी पडोसी को देकर जाते कि देखे रहना जरा।घर खुला भी न छोडा़ जा सकता था।उन दिनों बहुत चोरियां होती थीं।
उनका ट्रेन का सफर उनके लिये बहुत कष्टदायी सफर हो गया था।हमारा उनके यहां बहुत आना जाना था।पहले हम जाते तो वह चाय पानी ले आतीं।
अब जाते तो वह कहतीं आंखों में आंसू भर कि फ्रिज में मीठा रखा है ,निकाल कर खा लो,रसोई से ग्लास लेकर पानी पी लो।चाय बनाकर पी लो ।नहीं खाया ,पिया तो मुझे बहुत खलेगा ।मैं सोचूंगी कि अपने पैर की वजह से आप सब का स्वागत न कर पाई।एक बाद में पैर वाली बैसाखी ले ली थी।

Berlin की अन्य किताबें

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi dukhad yatra rahi mamsprshi

12 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
कुछ मन के भाव
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इसमें दैनिक प्रतियोगिता में दिए गए विषय पर कलम चलाने का प्रयास कर रही हूँ
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समय की गति

7 सितम्बर 2022
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समय ,चलता आया है ,सृष्टि प्रारंभ से ,निर्बाध गति से ।समय चलता ही रहता है ,समय के साथ ही ,सभी को चलना पड़ता है ।जो पीछे मुड़कर ,देखता है कभी,समय छोड़ देता है ,उसे वहीं तभी ।समय उसी का होता है ,जो उसकी

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रेलयात्रा

9 सितम्बर 2022
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रेल यात्रा का विषय देखकर मुझे वो घटना याद आ गयी जो आपसब के साथ साझा करने का मन किया।मेरे पापा के साथी प्रोफेसर थे वर्मा अंकल( अब नहीं रहे )वो अपनी पत्नी के साथ रेलयात्रा कर रहे थे।आंटी जी बैठी थीं और

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बचपन की दोस्त

13 सितम्बर 2022
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मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली

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मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
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मानवीय पूँजी ,तो हैं मनुष्य के संस्कार,उसके आचार,विचार ,उसका व्यवहार ,यही असली पूंजी है जो ,आपसे कोई चुरा न पाता है,यही पूंजी है वास्तविक ,जिसके बल पर ही इंसान,सबके मन में अपना ,एक अच्छा व अटल स्थान ब

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पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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पितृपक्ष , एक पखवारा जब ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं ।उनके लिए इस पखवारे भर के लिए स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं ,और वो अपनों से मिलने ,उन्हें अपने आशीष देने के लिए आते है

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मैं नारी हूँ

17 सितम्बर 2022
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मैं नारी हूँ ,हाँ नारी हूँ।मत अबला,समझो मुझको,मैं सबपर ,भारी हूँ।हाँ नारी हूँ।मैं सकल,सृष्टि की उत्पादक,मैं ही ,दया,क्षमा,त्याग,ममता की मूरत,मैं सुता,मैं अर्धांगिनी,मैं ही हूँ पयस्विनी,नर दीपक,तो मैं

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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयो

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नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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कहाँ रहे वो पुरुष संत सरीखे,कहाँ उनका वो साधु ह्रदय !कहाँ आँखों में निश्छलता वो ,कहाँ सद्पथ पर उनकी सुर लय!!शुचिता से कोसों दूर ,'नूतन' वे नर तो हुए कपूर ,नर आज के तो अत्याचारी हैं ,काम वासना में तप्त

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