सब से अलग हैंभैया मेरासब से प्यारा हैभैया मेराकौन कहता हैंखुशियाँ हीसब होती हैंजहां मेंमेरे लिए तोखुशियों से भीअनमोल हैंभैया मेरा
बहना की चिठ्ठी...नहीं चाहिए हिस्सा भैयामेरा मायका सजाए रखनाराखी और भाई दूज परइंतजार बनाए रखनाकुछ ना देना मुझको चाहेबस अपना प्यार बनाए रखनापापा के इस घर मेंमेरी याद सजाए रखनाबच्चों के मन में मेरामेरा म
मेरे शहर की गली में रहता था बचपनऔर अगली मोड़ में रहती थी खुशी,वो हर सुबह - शाम मिलते थे अक्सरउन दोनों में थी काफी गहरी दोस्ती,बचपन का था थोड़ा रूखा स्वभावछोटी सी बात में गरम होता उसका भाव,खुशी थी होशिया
डियर दिलरुबा दिनांक-13/9/22 दिन-मंगलवार बचपन की मोहब्बत को दिल से न जुदा करना जब याद मेरी आए मिलने की दुआ, करना,,, डियर दिलरुबा,जब से टॉपिक पड़ा है "बचपन का मित्र" सच में दिलरुबा तुम्हारी बहुत याद
जहाँ पहले बचपन में सखी-सहेलियों के साथ खेलने-कूदने के साथ ही स्कूल की पढ़ाई खत्म होती तो कौन कहाँ चला गया, इसकी खबर तक नहीं हो पाती थी, वहीं जब से इंटरनेट का मकड़जाल फैला तो भूली-बिसरी सखी सहेलियों
बचपन के दोस्त यानी बचपना फिर से जीना,क्या बचपन के दोस्त से बढ़कर है कोई गहना
मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली
नमस्कार दोस्त , फिर से हाजिर हु आप के लिए नई रचना लेकर - आज की इस रचना को विषय है बचपन की दोस्ती , ऐ विषय और टैग मेरा बहुत पसंदीदा विषय है , इस विषय पे मेरी एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है " लंगोटिया
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ