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बहुरूपिया

21 मार्च 2022

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स्वर्णमृगधारी मारीच हो या सीता जी की कुटिया पर आया हुआ साधुवेशधारी रावण, ये सभी सफल हुए तो मात्र इसलिए कि  इनके वाह्य रूप को अंतिम सत्य मान इनके बोलों पर विश्वास कर लिया गया। जब-जब बिना पड़ताल किये हम भावनाओं में बहे हम शोषित हुए। आखिर कब तक स्वार्थसिद्धि के यज्ञ में भावनाओं की समिधा बन अपनी आहुति देते रहेंगे। विवेकी बन भावनाओं के व्यापारियों से बचें
- संजीव शुक्ल
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रचनाएँ
अपना नज़रिया
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राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय
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होली

20 मार्च 2022
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उन्हें होली में भी लिहाज की दरकार थी........... लाल कर दिए गए😊

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चुनावी हार

21 मार्च 2022
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जितने जीत के कारक हैं, उतनी हार की भी अपनी वजहें हैं। अगर नैतिक/अनैतिक दृष्टि से न देखा जाय, (क्योंकि शुचितापूर्ण राजनीतिक व्यवहार के प्रश्न पर लगभग सभी पार्टियां सवालों के घेरे में हैं, बस कोई कम तो

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बहुरूपिया

21 मार्च 2022
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स्वर्णमृगधारी मारीच हो या सीता जी की कुटिया पर आया हुआ साधुवेशधारी रावण, ये सभी सफल हुए तो मात्र इसलिए कि इनके वाह्य रूप को अंतिम सत्य मान इनके बोलों पर विश्वास कर लिया गया। जब-जब बिना पड़ताल किय

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दलबदल एक क्रांतिकारी गतिविधि

21 मार्च 2022
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इधर भारतीय समाज में दलबदलुओं को कुछ ज़्यादा ही गिरी हुई निगाह से देखा जाने लगा है। राजनीतिक विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों की माने तो "आए दिन थोक भाव में दल बदलने से दलबदल की गरिमा में गिरा

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