राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय
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उन्हें होली में भी लिहाज की दरकार थी........... लाल कर दिए गए😊
जितने जीत के कारक हैं, उतनी हार की भी अपनी वजहें हैं। अगर नैतिक/अनैतिक दृष्टि से न देखा जाय, (क्योंकि शुचितापूर्ण राजनीतिक व्यवहार के प्रश्न पर लगभग सभी पार्टियां सवालों के घेरे में हैं, बस कोई कम तो
स्वर्णमृगधारी मारीच हो या सीता जी की कुटिया पर आया हुआ साधुवेशधारी रावण, ये सभी सफल हुए तो मात्र इसलिए कि इनके वाह्य रूप को अंतिम सत्य मान इनके बोलों पर विश्वास कर लिया गया। जब-जब बिना पड़ताल किय
इधर भारतीय समाज में दलबदलुओं को कुछ ज़्यादा ही गिरी हुई निगाह से देखा जाने लगा है। राजनीतिक विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों की माने तो "आए दिन थोक भाव में दल बदलने से दलबदल की गरिमा में गिरा