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बेरोज़गारी की दुनिया

21 जनवरी 2023

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एक देश की नींव रखी जाती है, उस देश में रहने वाले लोगों के द्वारा एक और सबसे महत्वपूर्ण  वर्ग है जो युवाओं के द्वारा युवा ही देश की रीड की हड्डी के समान होते हैं ।अगर यह कमजोर होते हैं ,तो वह देश भी आर्थिक रूप से और सामाजिक रूप से विश्व भर में एक कमजोर देश ही होगा आज मैं अगर लिखने भी बैठता हूं ,तो हजारों लेख मैं लिख सकता हूं बेरोजगारी पर परंतु मात्र लेखों से ही बेरोजगारी दूर नहीं होती ,उसको दूर करने के लिए समाज को सरकार को और पूरा युवा वर्ग को एक साथ एकजुट होकर अपने देश के लिए काम करना होगा मात्र बेरोजगारी का रोना रोने से यह समस्या दूर नहीं होगी और ना ही किसी नेता यह सरकार के ऊपर आरोप लगाने से इसका कोई समाधान निकलेगा इस लेख के माध्यम से युवाओं से आह्वान करता हूं वह इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और अपने देश हित में काम करेंगे ।

धन्यवाद

                लेखक _ विजय मलिक अटैला।


एक गांव में एक मध्यम परिवार रहता था उसमें एक राम सिंह और उसकी पत्नी कमला देवी और उनका एक बड़ा बेटा मुकेश रहता था और उसकी छोटी बहन भी थी जिसका नाम नायरा था। नायरा मुकेश से बहुत छोटी थी और वह स्कूल जाती थी गांव में एक छोटा सा प्राइवेट स्कूल था जिसमें वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। राम सिंह खेती करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था । कमला देवी एक ग्रहणी थी, जो घर के ही काम किया करती थी परंतु कभी कबार वह सिलाई के काम से थोड़ा मोटा पैसा जुटा लेती थी जिसको  वहां घर खर्च में इस्तेमाल करती थी। मुकेश ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी। जब है शहर जाना चाहता है, तो है अपने पिता से डरता था इसलिए उसने उसकी मां से कहा आप पिताजी से बात करो उसकी पढ़ाई को लेकर मां ने सही समय पर एक दिन उनके पिता से बात की कि देखो जी अब हमारा बेटा बड़ा हो गया है और इसकी पढ़ाई भी पूरी हो गई है अभी आगे पढ़ना चाहता है और यहां पढ़ाई पूरी करने जानना चाहता है ,तो आप ऐसे पढ़ाई करने के लिए बड़े शहर भेज दो उनके बीच थोड़ा वाद विवाद होता है ,अंत में उसके पिताजी मुकेश को शहर भेजने के लिए राजी हो जाते हैं। और उसको सलाह देते हैं कि बड़े शहर में जाकर वह सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें अगर वह आवारा गर्दी करते हुए इसकी खबर आती है तो उसे वापस घर बुलाकर खेती में मेरे साथ काम करना होगा। मुकेश जी हां कहाकर सिर हिलाता  है। मुकेश हल्का सा हंसता हुआ अपने पिता को धन्यवाद करता है ।और बाहर जाने की तैयारी शुरू कर देता है। कुछ दिन बाद वहां समान इकट्ठा  कर  तैयार शुरू कर देता है। फिर कुछ दिन में  शहर जाने के लिए तैयार होता है। फिर जब वहां घर से बाहर जाता है तो इसकी मां बहुत भावुक हो जाती है ,और छोटी बहन भी बहुत रोने लगती है। 


फिर  शाम तक  वहां शहर पहुंच जाता हैं , एक  अच्छे कालेज में इस दाखिला भी मिल जाता है। वहां एक पास ही में वहां एक हास्टल में रहने के लिए चल जाता है ।जिसमें वहां उसकी मुलाकात तीन लड़कों से होती है ।कुछ समय के बाद आपसे में बहुत अच्छी जान पहचान हो जाती है । उसको तीन दोस्त मिलते हैं जिनका नाम दिलीप जोशी रणधीर कुमार सुकदेव पांचाल था। जहां वहां सब साथ में कालेज जाने लगे और अच्छी से पढ़ाई पूरी करने लगे तीन साल तक पढ़ाई चलती रही अब मुकेश पढ़ाई बहुत होशियार हो गया था अब अपनी ग्रेजुएशन पुरी करने के बाद तीन दोस्त  से अलग होना का वक्त आ गया था ।हॉस्टल छोड़ कर  चारों दोस्त घर जाना लगें यहां पर उनके लिए बहुत भावुक भर पल था ।


अपनी ग्रेजुएशन कि पढ़ाई पूरी करने के बाद अब मुकेश घर आ गया था ।फिर पिताजी से बात करना चाहता था ।अब वहां सोचा रहा था,  अपनी सरकारी नौकरी का सपना पुरा करने के लिए  तैयारी करने  के लिए फिर से शहर जाना चाहता था। जब पिता जी से बात करने पहुंचा तो उसके पिताजी ने उसे कहा_ अब तो तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो गई अब तो कोई काम ढूंढ लो मैं भी बुढा हों गया हुए ।मुझे इतना काम नहीं होता फिर पिताजी से कहता है पिताजी मुझे अभी सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए फिर से शहर जाना चाहता हूं ।इस बात से पिताजी नाखुश होते है इनके बीच लम्बी बहस के बाद उसके पिताजी मान जाते हैं । मुकेश फिर से शहर चला जाता है। 

शहर पहुंच जाने के बाद बहुत अच्छे से कोचिंग सेंटर में दाखिला ले कर अपनी सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर देता है । फिर 3_4 साल तैयार करता रहता है।बार बार परीक्षा में सफलता नहीं मिलती तो निराश होकर वापिस गांव में आ जाता है ।परन्तु उसके साथ वाले तीन दोस्तों को जाब मिल जाती है वहां अकेला रहा जाता है । इस बात से निराश होकर अकेले ही घर में बैठे रहता है, न तो खाना खाता है, न किसी बात करता है। अकेले ही गुम सा होकर रहता है ।जिससे  उसके माता-पिता बहुत दुःखी होकर आपसे में बात करने लगाते हैं ।उसकी मां बोली  सुनिए जी  अपने बेटा की इस तरह की  हालात  मुझे नहीं  देखी जाती है। आप अपने दोस्त से बात करो ना वो आपकी  कुछ मदद कर सकता है वैसे बहुत पैसा वाला है । दोस्त ही तो मुश्किल घड़ी में काम आते है। पत्नी के बार  बार कहने पर वहां अपने दोस्त  चौधरी चरण सिंह से मुलाकात करने पास के गांव में अगली सुबह निकल जाता है । जहां उसके दोस्त बहुत खातिरदारी करता है।  फिर वहां उसके अपने दोस्त आगे बहुत रोना लगा  फिर अपने समस्या दोस्त को सुनाई उसको अपने बेटा के बारे में बताया कि बहुत उदास है ।अपनी ग्रेजुएशन कि पढ़ाई कि है 5 साल तक इसने सरकारी नौकरी कि भी तैयारी कि पर आप तो जानते हो जानरल कैटगरी में कितना पढ़ो लो नौकरी फिर कम अंक वाले ही लग जाते बिना आरक्षण वाले चाहे कितना पढ़ लिख लो बिना रूपये दिया लग नहीं  सकते फिर उसने दोस्त ने इस कहा मैं आप की क्या मदद करु फिर मुकेश के पिता जी ने उसे कहा आप आपकी शहर  वाली फैक्ट्री में क्लर्क का काम पर लगा लो बस बहुत अनुरोध करना लगता है। फिर दोस्त ने कहा कल से बजे देना रुपए चिंता मत करना आप मेरे दोस्त तो मैं आपके बेटे को अच्छी तनख्वाह दूंगा।


ये खुशखबरी वो घर आकर अपनी पत्नी को सुनता है फिर उसके लड़के को बुलाता है इस ये खबर सुनता है । पर इस काम के लिए मन कर देता है । निजी नौकरी करने से मन कर देता है ।बस  कहता है मुझे सरकारी नौकरी ही चाहिए ।जिससे इसकी ये बात सुनकर मां बाप बहुत गुस्से हो जातें हैं । फिर धीरे धीरे गांव में ग़लत संगत में पड़ जाता है ।और नशा करना, आवारा गर्दी करते रहना इन सब  बातों से इसके मां बाप बहुत गुस्सा और दुखी होकर सोचने लगते हैं। इन्होंने फैसला किया अब इसकी शादी कर देगा । जिससे जिम्मेदारी में बंद कर काम करना होगा । इसकी शादी कल्पना नाम की सवाली और  सुशील लड़की कर देता है ।परन्तु वहां कम पढ़ी लिखी होने के कारण मुकेश इस नफ़रत करता है । फिर मजबूरी में इस दूर होने के लिए शहर काम करना लगता है।  वहां इसकी मुलाकात एक दिन एक व्यक्ति से होती है  जो दो नम्बर से लड़के लड़कियों को बहारें के देशों में भेजता है।


वहां व्यक्ति खुब सपने दिखाता है ।बहारें जाने के  लिए एक मोटी रकम की मांग करता है । जिसका जीक्र वहां घर पर आकर इसकी पत्नी मां बाप से करता है । जब सब मन कर देता है।  तो नौकरी छोड़ देता है फिर  क्या था घर  में रोज लड़ाई झगडे होते हैं । जिस तंग आकर घर वाले मजबूरी में इसकी बातों को मान जाते हैं। वहां अपनी जमीन गिरवी रख कर अपने लड़के को विदेश भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं जिससे मुकेश बहुत खुश होता है कहते हैं बहन की शादी के लिए बहुत सारे पैसे कमाऊ गया खुब धुमधाम से शादी करूंगा। ये बात कहकर वह विदेशी जमीन पर बड़े बड़े सपने संजोए जाने के लिए बहुत खुश होता है और तैयारियां शुरू कर लेते हैं।

परन्तु वहां एजेंट बहुत लालची आदमी था। बीच रास्ते में ओर पैसे कि मांग करता है ।जिससे घर वाले  देना में असमर्थ होंगे  थे । उसके परिवार को बाद में पता चला जाता है कि उसके बेटे के साथ धोखाधड़ी हुए हैं।जिसकी शिकायत पुलिस में करने से  भी वो डरते हैं क्योंकि इस एजेंट ने उन्हें कहा था दोषी करार आप को भी किया जाएगा जिसमें आप ने अपनें बेटे को ग़लत तरीके से विदेश भेजा रहा थे। मुकेश की  बीच रास्ते में इसकी जंगल में तबीयत बिगड़ी जाती है वहां पर वहीं मर जाता है जिसकी खबर बाद मुकेश के परिवार को लगती है बहुत बड़े सदमे पड़ जाते हैं क्योंकि उन्होंने न सिर्फ अपने बेटा खोया बल्कि सब कुछ दांव पर लगा दिया था । जो उनके बेटे के साथ डुब गया था।


आखिर मे आप सब से पुछता हुं इसका जिम्मेदार कौन ⁉️ सरकारी तंत्र या फिर वो लालची एजेंट या उसका परिवार या फिर वह खुद ?!  या फिर बढ़ती हुई बेरोज़गारी ? या हमारी छोटी सोच  ?! सोच समझकर सही विवेक का  प्रयोग करके मुझे जरूर बताना आप के जवाब का इंतजार करुंगा । ये कहानी किसी लगी वो भी बताना न भूलें वैसे मैं सोचता हूं बेरोजगारी की दुनिया का हिस्सा हम खुद हैं जो भेड़ चाल का हिस्सेदार बन गया है ।आप जरूर प्लीज समझो और बताया अपनी राय मैं आप पर सवाल के उतर छोड़ता हूं।

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