आज की कहानी लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। यह मेरी सोच से भी परे था, कि मानव अपने लालच , हवस, पैसों, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, कितने नीचे गिर सकता है। क्या आज के समाज में रिश्तो से ज्यादा मानव का स्वार्थी ऊपर है ? आज की कहानी इंसानियत को तार-तार करने वाली है विश्वासघात और एक हवास को पूरा करने के लिए कितने नीचे तक एक इंसान गिर सकता है यह बयां करती है। आज मनुष्य ने जनावरो को भी पीछे छोड़ दिया। क्योंकि जानवर भी अपने जन्मे को नहीं खाते हैं ।परन्तु मनुष्य ने सभी हदें पार करते हुए अपने ही रिश्ते नाते सब को पीछे छोड़ दिया । अपने मतलब के लिए कुछ कर सकता है। इस लोगों से आप सावधान रहें।इस कहानी का निर्णय आप सभी पर छोड़ता हूं। आप सभी बताया निर्णय अपराधियों को क्या सजा मिलनी चाहिए । इस प्रकार की दिल दहलाने वाली कहानियां मैं लेकर आता रहूंगा। आप सभी के लिए मैंने इस कहानी के अंत को प्रश्नवाचक चिन्ह पर छोड दिया है। आप सभी अपने विवेक से निर्णय लेकर मुझे जरूर उत्तर दीजिए।
धन्यवाद।
लेखक विजय मलिक
यह कहानी है उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में रहने वाले एक परिवार की जिस परिवार में एक छोटी सी बच्ची जिसका नाम परी था ,जिसकी उम्र 10साल की थी । उसके पिता का नाम महेश शर्मा था । जो दिल्ली में एक कार्यालय में कार्य करते थे। उसकी माता लक्ष्मी देवी एक ग्रहणी थी । उनका छोटा सा परिवार बहुत ही खुशहाल था। महेश का एक दोस्त था जिसका नाम राजवीर था, वह महेश के साथ बचपन से रहता था। महेश का लंगोटिया यार था। यू कहो तो वह महेश के साथ स्कूल से कॉलेज कॉलेज से जॉब तक एक साथ ही रहे। महेश राजवीर को अपने भाई से बढ़कर मानता था। उसके ऊपर बहुत विश्वास करता था। महेश और राजवीर का परिवार अक्सर एक-दूसरे के घर आते जाते थे। जब राजवीर घर पर नहीं होता था तो महेश उसके परिवार का ख्याल रखता था, ठीक उसी प्रकार जब महेश घर पर नहीं होता था राजवीर उसके परिवार का ख्याल रखता था।
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन वह कहते हैं ना गिरगिट से ज्यादा इंसान रंग बदलता है और कब ,कहां ,कैसे बदल जाए उसका कुछ पता नहीं होता। राजवीर बचपन से ही चालाक था उसने महेश के साथ बहुत बार धोखाधड़ी करता और चालाकी से बच जाता था। , उसकी नियत खराब थी। पर ये नहीं पता था जिसे के साथ रहते है उसके साथ विश्वासघात करेंगे । अब उसकी नजर छोटी सी बच्ची पर थी , उसके अन्दर का हवस का शैतान जाग रहा था, और वह एक मौके की तलाश में था। एक दिन उसे वो मौका भी मिला गया।
महेश और उसकी पत्नी को काम से बाहर जाना था ।उन्होंने अपने दोस्त राजवीर को घर पर बुलाया। और उसे कहा कि उनको किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा गया तो कृपा करके आप हमारी बच्ची का ख्याल रख सकते हो अंदर ही अंदर राजबीर बहुत खुश हो रहा था ,और बोला मुझे यह कह कर शर्मिंदा मत कीजिए जैसे आपकी बेटी है वैसे ही मेरी बेटी है। आप निश्चित होकर बाहर जाइए । मैं बच्ची का पूरा ख्याल रखूंगा। राजवीर ने महेश और उसकी पत्नी के जाने के बाद , परी को अपने पास बुलाया और उसे चॉकलेट खाने को दी, आराम आराम से उसको अपने पास बिठाकरआराम आराम से उसको अपने गोद में बिठाकर उसके प्राइवेट पार्ट को छूने लगा और उसके साथ गलत हरकत करना शुरू कर दी जिससे बच्ची रोने लग गई और चिल्लाने लगी ।जो घर उसकी खुशियों की किलकारी से गूंज करता था आज वही घर उस छोटी सी बच्ची की दर्द भरी किलकारी से गूंज रहा था । वह बच्ची तड़प रही थी मुझे छोड़ दो ,मुझे छोड़ दो कह कर पुकार रही थी अंकल प्लीज मुझे छोड़ो , पर राजवीर अपनी हवस के आगे उस बच्ची की पुकार नहीं सुन रहा था । बस इसके साथ लगातार गलत काम कर रहा था । जब बच्ची बेहोश हो गई तब राजवीर ने जैसे तैसे करके उसको होश में लाया । बच्ची को डरा धमकाकर बोल अगर ये बात किसी को बताई तो मैं तुम्हें और तुम्हारे मां बाप को मार दूं गया। बच्ची डर गई। 4_5 दिन जब तक मां बाप नहीं आया उसके साथ ग़लत काम करता रहा।
बच्ची के मां-बाप आने के बाद राजवीर वहां से चला गया। अब वह बच्ची चुपचाप रहने लगी ना कुछ खा रही थी ना पी रही थी। डरी सहमी सी एक कमरे में बंद बैठी रहती थी ।उसकी मां को यह सब अजीब लगा पर उसके पापा उस बात को ज्यादा गंभीर नहीं ले रहे थे । परन्तु बहुत बार उसकी पत्नी कहने बाद उसने राजवीर को फोन किया और राजवीर यह कहकर टाल देता था कि आप दोनों की याद में कुछ खा भी नहीं रही थी। इस वजह से ऐसी हो गई एक दिन बच्ची बहुत ज्यादा बीमार हो गई उसके मां बाप ने डाक्टर साहब को घर बुलाया जब घर पर डॉक्टर आया उसने देखा चेकअप किया और रिपोर्ट करना शुरू किया जब रिपोर्ट आई तो डॉक्टर ने महेश और उसकी पत्नी को पास बुलाया और कहा बच्ची के साथ गलत हुआ है। यह बात सुनकर उसके माता-पिता अंदर से पूरे टूट चुके थे । उन्होंने बच्ची से पूछा लेकिन बच्ची चुपचाप थी। और कुछ बोल नहीं रही थी ।बस रो रही थी। राजवीर की बातें उसके दिलो-दिमाग पर छप गई थी। बस रोते ही रही। मां बाप सब समझ गए थे कि यह सब राजवीर ने किया है वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे।
महे्श और उसकी पत्नी अब दिन भर यही सोच में रहते थे कि क्या किया जाए ? फिर दोनों ने सोचा कि अभी तो परी बहुत छोटी है और इसका जीवन बहुत ही लंबा अगर पुलिस में शिकायत की और खबरों में यह बात आ गई तो उनके परिवार की बेइज्जती होगी और परी का जीवन भी बर्बाद हो जाएगा । उन्होंने परी को समझाया और कहा कि यह सब कुछ भूल जाए अभी तुम्हारा पूरा जीवन बाकी है ,और इस बात को भुला दो।उसके मां-बाप लड़ने की वजहें वहां से वह घर बार छोड़कर बहुत दूर चले गए इस बच्ची की मां चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी वह भी अंदर अंदर रो रही थी ,और उसके पति की बातों में रजामंद हो गई , छोटी सी बच्ची का बदला लिया बिना इंसाफ दिलाए छोटी सी सोच घटिया समाज की मानसिकता और झूठी इज्जत का बचाव करते रहे और वो छोटी सी बच्ची जब किसी न साथ न दिया और अपराध को खुद जिम्मेदार मान लिया और वो चुप रही नरक जैसे जीवन जीने पर मजबूर कर दिया गया।
18 साल से ऊपर जिस के साथ गलत हरकत होती कुछ सहन कर जाती है। कुछ मां बाप और खुद की इज्जत को बचाए रखने के चक्कर में यह बातें आगे न बताते हैं । परन्तु बहुत ज्यादा लड़कियां आवाज उठाती है और विरोध करती है। और अपराध के खिलाफ जंग बहादुर से लड़ती है । परंतु परी जैसी न जाने कितने बच्ची कि आवाज को दबा दिया जाता है खोखलापन भरी सोच और झूठी इज्जत को बचाया रखने के लिए बस ठीक इसी प्रकार की बहुत ज्यादा छोटी बच्ची चुपचाप सहन कर जाती है। और कुछ बोल न सकती बस
वो चुप रहा जाती है।
र नहीं आता था तोसके परवार का ख्याल रखता था।