क्या गजब खेल देखो दिखाया भगवान ने,
भुल गए था इंसान राम न,
अहम अहंकार अधर्मी के चरु से,
भुल बैठ राम नाम न।
देखो प्रकृति गजब खेल दिखाया है,
पिंजरे में बंद पंछी आजाद कर दिखाया है,
इंसान को पिंजरे में कैद कर दिखाया है।
संभाल जो समय बलवान है,
इस महामारी जीत जो आगे तुम संभाल जाना,
प्रकृति से मत करना खिलवाड़ दोबारा।
विनती करता हूं दोबारा,
प्रकृति का ख्याल है रखना,
यही समझाना और समझाना,
देखो क्या गजब खेल दिखाया है भगवान न।