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दो रूहों कि जात

17 फरवरी 2023

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यहां कहानी बहुत ही ज्यादा नई नहीं है परन्तु बहुत ज्यादा पुरानी भी नहीं है। आज से नहीं जब से मानवजाति  का इतिहास में इतिहासकार ने जो लिखा है तब से आज तक हमने  अपने बुजुर्ग से नानी से या दादी से ये कहानी में सुनाते आ रहा है।कहीं न कहीं पर हमने सुना और पढ़ा भी  हो गया और हमने  बचपन में ,कहानी में, हर गांव ,हर शहर, हर गहली- मोहल्ले में, स्कूल और कॉलेज यहां तक कि अपनी जिंदगी में हमेशा हर किसी ने , कभी न कभी हर एक कि ख्वाहिश थी, और रही हो गई चाहते हुए, भी न चाहते हुए, भी एक बार सबके जीवन में घटित होना  ही होता है चलो बस ।आप सभी को और तंग  नहीं करता  हूं चलो बताता हूं __प्यार इश्क और वो क्या कहते हैं - अंग्रेजी में क्या कहते हैं ! -लव है ना चलो आप सभी को पता चल ही गया हमारी आज की कहानी का विषय प्यार पर है  जिसका नाम है_" दो रूहों कि जात"। प्यार को सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जा सकता है। वैसे  उसको कभी न तो शब्द समझकर बताया जा सकता न ही लिखकर बताया जा सकता है। वैसे आज कल तो बच्चे और युवा और युवतियां और यहां तक कि न जाने कितने उम्र में प्यार का नाम देकर अपने मतलब को पूरा कर बैठते हैं । खैर ,छोड़ो बस यही दुआ करता हूं जिसको भी करो या हो  तो बस सच्चे दिल से  ही करें बिना शर्त और बिना स्वार्थ करना चाहिए। और एक बार वही दोहराता हूं कोई भी कहानी बिना प्रश्नवाचक चिन्ह के कैसे पुरी हो गई चलो खुद देखो और समझोगे अपने विवेक से निर्णय लें उतर जरूर देना कि कृपया करके ये अनुरोध है 
                 धन्यवाद  
लेखक __विजय मलिक अटैला

 
ये कहानी एक गांव में रहने वाले दो परिवारों की है। जिसमें से एक परिवार रधुबीर देसाई का था जो निम्न वर्ग से ताल्लुक रखते था और मजदूरी करके कामता और खाता था । उसके परिवार में उसकी पत्नी दया देसाई जो कि एक गृहिणी थी, और उसके दो बच्चे थे । जिसमें एक लड़का जिसका नाम संजय देसाई  था और एक लड़की जिसका नाम पारुल देसाई था। दरअसल दोनों पति पत्नी एक साथ गाव के बड़े साहूकार के यहां कभी कभार काम करने जाते थे। जब  वहां  कोई नौकर या तो बीमार हो या कभी किसी काम से न आ पाते थे।वो अपने दोस्त रमेश कुमार और उसकी पत्नी लक्ष्मी के साथ चले जाते थे ,और शाम को मालिक के मुंशी  से उन्हें अच्छी एक दिन कि तनख्वाह मिलती थी । जिससे उनका गुज़ारा चल जाता था।

वहीं उसी गांव में कुंवार प्रताप सिंह रहते थे। जो कि बहुत बड़े राजा हुए करते थे इनके वंशज राजवंशी हुए करते थे ।गांव के पुराने और बड़े बुजुर्ग  के द्वारा ही तब से उनका राजघराना से ताल्लुक माना जाता है । उस गांव में सबसे ऊंची जाति के  कुंवर प्रताप सिंह का परिवार ही था। कुंवार प्रताप सिंह कि पत्नी बहुत सुंदर और सुशील थी। वो उच्च घराने से ताल्लुक रखती थी। उनका नाम सुनैना था । और उनके घर पर एक पुत्र था । जिसका नाम विराट प्रताप सिंह था, बहुत ही ज्यादा बहादुर और बुद्धिमान लड़का था । परन्तु बहुत अकेला रहता था । किसी से भी ज्यादा बात नहीं करता था। सब कुछ सुख-  समृद्धि होने के बाद भी खुश नहीं रहता था। अब उसके अकेलेपन से तंग होकर परिवार ने  सोचा कि बहार जा गया तो मन अच्छा हो गया तब से ही उसकी पढ़ाई भी  बहार बड़े शहर में पुरी करने के लिए  घर से दूर बड़े शहर में बचपन से भेजा दिया गया था। अपने नाना नानी के यहां पर बचपन से रहने लग गया था। 

वह कहते हैं ना जो हम सोचते हैं अक्सर वहां कभी नहीं होता। और भविष्य के गर्भ में क्या छुपा होता है । किसी को नहीं पता और जो लेख हमारे लिखे जाते हैं वह अक्सर होकर रहते  हैं। उसे  कोई भी टाल नहीं सकता। एक दिन कुंवर प्रताप सिंह खेतों में आए और कुछ दिनों से उनका  किसी काम को लेकर आना जाना चल रहा था। खेतों में आते जाते वहां पर उनकी नजर रघुबीर देसाई पर पड़ी । उसके काम करने की लगन और मेहनत को देखकर कुंवर प्रताप सिंह बहुत खुश हुआ उसने उसके नौकर रमेश कुमार को बुलाया और उससे पूछा यह व्यक्ति कौन है ? जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं ।रमेश कुमार बहुत डर गया था।उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। क्योंकि उसने बिना पूछे मालिक से रघुवीर दोसाई को काम पर रख लिया था। इसलिए उसका चेहरे का रंग देखकर कुंवर प्रताप सिंह बोले तुम घबराओ मत। बस मुझे बताओ यह व्यक्ति कौन है तो लड़खड़ाते जुबान से रमेश कुमार बोलता है कि मालिक यह मेरा दोस्त है।इसका नाम रधुबीर देसाई है। जब कोई भी नौकर काम पर नहीं आते थे , बहुत सारे नौकर जब  बीमार होते थे, तो रधुबीर देसाई और उसकी पत्नी काम पर आ जाते थे। शाम को मालिक जब काम पुरा हो जाता था तो मुंशी जी उनको देहाडी दे देते थे। जिससे उसका परिवार का गुजारा चलता था। रघुवीर देसाई की तरफ इशारा करते हुए कुंवर प्रताप सिंह ने उसे बुलाने का आदेश दिया रमेश कुमार रधुबीर देसाई को बुला कर लाता है । कुंवर प्रताप के सामने रघुवीर देसाई हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है । और फिर बोलते हैं हां जी मालिक क्या हुआ ? क्या मुझसे कोई गलती हो गई है ? तो मुझे माफ करना रघुवीर देसाई बहुत डरा हुआ था । लेकिन कुंवर प्रताप सिंह हंसकर कहता है घबराओ मत । मैं कुछ दिनों से खेत में आ रहा था और मैं देख रहा था तुम्हारा काम को मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं। जब मेरा कोई भी नौकर नहीं आ रहा तब भी तुम काम कर रहे हो तुम्हारी  मेहनत और काम के प्रति लगन को देखकर मैं बहुत खुश हूं, और तुम आज से मेरे पास  काम करोगे । यही पर काम करेंगे तुम्हारी पत्नी भी यहीं पर काम करेगी हमारे घर में  काम करेगी।और तुम्हारे बेटे को मैं अपने शहर वाली फैक्ट्री में क्लर्क का काम देता हूं , और तुम्हारी बेटी के पढ़ाई का खर्च भी है मैं उठाता हूं। उसको बड़े शहर तुम पढ़ने के लिए भेजो डरो मत रमेश कुमार ने मुझे बताया  तुम्हारी बेटी बहुत होशियार और वो आगे क्यों पढ़ना नहीं चाहती है। तुम उसको शहर भेजो उसका सारा खर्च मैं उठता हूं । और तुम्हें अपने खेतों में और अपने टैंकरों को चलाने के लिए रखता हूं। और तुम्हें अच्छी तनख्वाह मिलेगी जो तुम बाहर काम करके कमा लेते हो उससे कहीं अधिक तनख्वाह मिलेगी। रमेश कुमार तुमने इतने अच्छे कर्मचारी ईमानदार और मेहनती जो कर्मचारी मुझे दिए हैं उसके लिए तुम्हारी तनख्वाह डबल करता हूं ।और तुम्हें मेरी कार पर मेरे  साथ रहना होगा।अब काम पर लगा जाना जम कर मेहनत से काम करना ठीक है। रमेश कुमार और रघुवीर देसाई बहुत खुश हो गए थे। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। यह बात कह कर कुंवार प्रताप जी वहां से चले गए थे।


वह कहते हैं ना भविष्य के गर्भ में क्या छिपा  होता है किसी को नहीं पता होता है।  इधर विराट प्रताप सिंह भी बड़ा हो गया था। और वह भी कॉलेज जाने के लिए तैयार था। अपनी सारी बातें अपने नाना जसवंत राणा से सब बात खुल कर बात किया करता था । कॉलेज के पहले दिन है कुंवर प्रताप राणा के बेटा और इधर से रघुवीर देसाई की बेटी पारूल देसाई आ रही थी। दोनों में आपस में टक्कर होती हैं । और विराट प्रताप की तरफ उंगली करके बोलती है । आइंदा मुझसे कभी मत टकराना और अपनी आंखें खोल कर चला करो । उनके बीच बहुत बुरी भिड़ंत होती है। पहली मुलाकात में उनके बीच में लड़ाई शुरू हो जाती है। यही विराट प्रताप सिंह गुस्से में कहता है तुम्हारे जैसी लड़की होते ही ऐसी मैं  तेरी जैसी लड़की को कभी  मुंह नहीं लगता ,और ये बात कहकर वहां से चला जाता है ।और घर पर आकर गुस्सा में घर पर जाकर समान को तहस-नहस करता है।उसके नानाजी समझ जाते हैं । क्यों लड़के क्या हुआ भाई पहले मुलाकात में लड़की से लड़ाई हो गई या बात कह कर हंसने लगते हैं। कहीं प्यार तो नहीं हो गया तुम्हें नहीं नाना जी ऐसी घमंडी लड़की मैंने कभी नहीं देखी। इस लड़की से  प्यार कभी नहीं इस ही टक्कर हो गई पहले दिन कॉलेज में बहुत बुरा दिन था । इस घमंडी से प्यार कभी भी नहीं नाना जी यहां बात कहकर विराट प्रताप सिंह वहां से निकल जाता है । लेकिन उनकी तकरार कम होने का नाम नहीं लेती कभी क्लास में कभी कॉलेज की प्रतिस्पर्धा में हो एक दूसरे से भिड़ंत होती रहती थी।और वह एक दूसरे को हारने के लिए बस लगे रहते थे । किस्मत भी उन्हें बार-बार मिलती  रहती थी। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जिंदगी में सब कुछ बदल गया । अचानक एक दिन ऐसा  हुआ कि पारुल देसाई कालेज जाने के लिए बस स्टैंड से एक दिन बस से आ रही थी कुछ गुंडों ने उसके साथ छेड़खानी की जिसकी वजह से वह सदमे में चले गईं। और बहुत डर गई थी। और कॉलेज में आना बंद कर दिया। उधर से उसको कॉलेज में ना आता देखकर विराट प्रताप सिंह भी विचलित हो रहा था। उससे बात का जिक्र उसके नानाजी से सांझ की तो उसकी यह बात सुनकर पहले तो उस हंसने लगता है। तुम्हें उस लड़की की  इतनी चिंता कैसे हो रही है ? विराट प्रताप कहता है कि मैं बस इंसानियत के नाते ही सोच रहा था। लेकिन उसके नानाजी ने बात सोच रहा कि वह क्यों नहीं आ रही फिर नानाजी से कहते पता करो उसके साथ ऐसा  क्या हुआ है? क्यों कॉलेज नहीं आ रही ? अगले ही दिन विराट प्रताप सिंह उसको ढूंढने के लिए निकल जाता है और उसकी दोस्तों से पता चलता है कि उसके साथ कुछ गलत किया गया है कुछ गुंडे ने इसके साथ छेड़खानी कि थी। ऐसी घटना हुई है तो  विराट प्रताप सिंह पहले तो उसके रुम पर जाता है। फिर पारूल देसाई को समझकर अपने साथ लेकर आता है। वहां से आराम से  अपनी कार में  बैठ कर ले  जाता है। जाकर उसको अपने साथ  में उस जगह ले आए जहां पर  सभी गुंडों के  ठिकानों थे और जिसकी जानकारी पुलिस के   देता है और पुलिस के सहयोग से गुंडों को पकड़कर पुलिस वाले के आगे ही प्रताप सिंह उनकी कुटाई करता है। उनके पीट-पीटकर कहता है माफी मांगो फिर सभी  गुंडे पारूल देसाई के पैर पकड़कर पारुल देसाई से माफी मांगते है । और आइंदा ऐसा नही करेगा हमें माफ़ करो कहकर बार बार माफी मांगते है।  विराट प्रताप सिंह कभी ये ग़लती किसी के साथ कि तो देखा लेना ये कहकर सभी गुंडों को धमकी भी देता है।अब यह देख कर पारुल देसाई भी भावुक हो जाती है ,और विराट प्रताप सिंह से माफी मांगती है । विराट प्रताप सिंह उसको माफ कर देता है और उनकी दोस्ती की शुरुआत हो जाती है अब धीरे-धीरे उनके विचार मिलने लगते  हैं ।और वो एक दूसरे से बातें  शुरू कर देता है। एक- दूसरे के साथ समय बिताना साथ में पढ़ने लगे वह दोनों साथ साथ रहने लग गया । अब यह दोस्ती कुछ ज्यादा समय नहीं लगता और यह प्यार में बदल जाती है। अब उनका प्यार गहरा हो जाता है और भविष्य के बारे में सोचने लगते हैं । शादी करना और बच्चे ऐसे बहुत सारे खूबसूरत सपने देखते हैं । अब तो उनका कॉलेज जाना ही बंद सा हों जाता  हैं और बाहर ही घूमना फिरना अब ज्यादा हो जाता है। एक दिन वो सभी अपने दोस्तों के साथ घूमने चलते जिससे एक दूसरे को और समय दे सके।

लेकिन अब उनकी  किस्मत पूरी तरह से बदलने वाली थी । एक दिन कुंवर प्रताप सिंह सोचता है कि वह अपने बेटे को सरप्राइस देगा । और वह वहां पर उसे मिलने के लिए बिना बताए जाएगा लेकिन यह क्या पता था । उसका यह सरप्राइज उसे के लिए एक बहुत ही बड़ा सरप्राइस बन जाएगा । इत्तेफाक से वह पारुल देसाई के भाई को भी साथ लेकर चला जाता है । और और दो चार व्यक्तियों को साथ में वह हमेशा रखता ही है । वह सब मिलकर उसके कॉलेज पहुंचते हैं । परंतु कॉलेज में  उसको विराट प्रताप सिंह नहीं मिलता और यह उसको  यह सब पता चलता है कि विराट प्रताप यहां बहुत ही कम आते हैं और पिछले 2 महीने से वह यहां आई नहीं रहे हैं। और यह बात सुनकर कुंवर प्रताप बहुत गुस्से में हो जाता है। और उसके नाना के यहां जाता है और उसके नानाजी को कहता है तुम्हारे लाड़ प्यार ने विराट प्रताप सिंह को बिगड दिया आपको पता है वो दो महीने से कालेज में नहीं जा रहा है।वो कहता है मुझे पता है वो कहा पर है वो और उसके दोस्त मुझे से पुछा कर ही गया है तब कुंवर प्रताप सिंह को पता चलता है कि वह सब पिकनिक पर गए हैं। अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने के लिए गए हैं।  कुंवर प्रताप सिंह उन सबको पास बुलाया कर बोलता है और वहां पारुल देसाई  के भाई को और उन चारों व्यक्तियों को विराट को बुलाने के लिए भेजता है। लेकिन वहां पर जो सब होता है वह देखकर वह हक्के बक्के रह जाते हैं । पारुल देसाई के भाई को बहुत गुस्सा आता है। वह बहुत आग बबूला होता है। लेकिन वह अपने गुस्से को रोकता है और सोच समझ कर फैसला लेता है । वह उन चारों गुंडों को कहता है कि तुम बस सर विराट प्रताप को ले जाओ। मैं बाद में आता हूं मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई है। अब पारुल देसाई के सामने जाता है , और जाती है उसको दो चार थप्पड़ मुंह पर जड़ देता है। पारुल देसाई को कुछ बोलने से पहले कहता है कि तुमने सब कुछ बर्बाद कर दिया तुम जानते हो यह कौन है यह कुंवर प्रताप सिंह का लड़का है । अब वह हमें कहीं कहीं नहीं छोड़ेगा। वह हम सब को मार डालेगा। तुम्हारी वजह से सबकुछ  तहस-नहस हो गया बहुत मुश्किल से हमारे अच्छे दिन आए थे । तुमने सब मिट्टी में मिला दिया। पारुल देसाई को जोर जबरदस्ती से घर पर लेकर आता है। घर  वाले के सामने जाकर फिर उसको दो थप्पड़ और जड़ देता है। और यह देखकर उसके पिता उसके बेटे को फिर थप्पड़ झड़ते हैं तुम लड़की को क्यों मार रहे हो ? संजय देसाई कहता कि तुम्हारी लड़की ने बहुत बड़ा काम किया है इसने कुंवर प्रताप सिंह लड़के के  साथ वहां इश्क लड़ा रही थी। अब  कुंवर प्रताप सिंह हम सबको नहीं छोड़ेगा । वह हम सब को मार डालेगा। ऊंची जाति के वह हमें नहीं छोड़ेंगे। और यही बात रमेश को पता चल जाती है हालांकि वह रघुवीर देसाई का दोस्त था लेकिन फिर भी उसने यह बात जाकर कुंवर प्रताप को बता दी जिससे अब हवेली में भी बवाल मच गया था।

हवेली के अंदर भी हम मातम सा छा गया था । यह बात जानकर कुंवर प्रताप सिंह बहुत गुस्से में था । उसने आग बबूला होकर पहले विराट  प्रताप सिंह को दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए। और कहा तुमने हमारी इज्जत मिट्टी मिला दी तुम पता है वो लड़की कौन है? वो हमारे नौकर की लड़की है ?  और तुम नीची जाति कि लड़की से  इश्क फरमाएंगे। जिसका पूरा परिवार मेरे यहां नौकर बनकर काम करता है। तुमने हमारी इज्जत मिट्टी मिला दी।  विराट प्रताप कहते हैं कि मैं पारुल देसाई से बहुत ही प्यार करता हूं ।मैं उसी से शादी करूंगा। उसकी यह बात सुनकर कुंवर प्रताप सिंह उसको दो और दो थप्पड़ मारता है। और कहता है कि अगले हफ्ते तुम्हारी शादी है। इसको कमरे में बंद कर दो और देसाई परिवार को धमकी दो कि आगे से अपनी हद में रहे । और काम पर आने की कोई जरूरत नहीं है। अगर उन्होंने अपनी लड़की को काबू में नहीं रखा तो सब के सब को मौत के घाट उतार दूंगा। उनके घर पर तोड़फोड़ करके उन सब ने यह धमकी दे दी । ज्यों ज्यों कुंवर प्रताप सिंह ने ने हुक्म दिया था। अब उनके परिवार में बहुत डर का माहौल बन गया था। इधर शादी के कुछ ही दिन बचे थे। विराट प्रताप सिंह ने घर से भागने की योजना बनाई उसने अपने एक दोस्त से कहकर पारुल को संदेश भेजा उस संदेश में उसने भेजा कि वह कैसे-कैसे कहां पर किस प्रकार भागेंगे। पारुल देसाई इसकी योजना सुनकर  भागने के लिए तैयार हो जाती है । वह दोनों मिलकर अपनी योजना में सफल तो हो जाते हैं । लेकिन यहां पर एक खूनी जंग शुरू हो जाती है । दोनों जातियों के बीच में दोनों एक दूसरे को मारने के लिए उतारू हो जाते हैं‌  लोगों ने एक_  दूसरे पर दोष लगाते हैं । यहां बात आग की तरह फैला जाती है। इस लड़ाई के बीच _ बावल  पारुल देसाई का भाई मार दिया जाता है । और उनको एक भूखे शेर की तरह ढूंढा जाता है।  अंत में दोनों मिल भी जाते हैं।  जिसमें पारुल देसाई को  बड़े लोगों के द्वारा मार कर जंगल में ही दफना दिया जाता है।  लेकिन उनके बेटे को नहीं मारा जाता और उसकी शादी करा दी जाती है। और अंत में जब देसाई परिवार पूरे गांव को पता चलता है वह भी एक योजना बनाकर पूरे कुंवर प्रताप सिंह के परिवार को जल कर मारने की योजना तैयार करते हैं। उसके परिवार को मार देते हैं । और यह हिंसा बहुत ही बढ़ ज्यादा बढ़ जाती है।  जिसको  फिर बाद में स्थानाई सरकार और पुलिस प्रशासन को उसके बीच में आना पड़ता है। यहां अखबारों में छपा बहुत सुर्खियां बटोर  लाता है। और यह बहुत ही  जोर शोर से इस मुद्दा को  बहुत ही ज्यादा  उठाया  गया था। आज भी ये कहानी वो डरवानी तस्वीरें लोगों के दिमाग से निकली नहीं पाई आज भी उसका जिक्र किया जाता है। सब प्यार और जातिगत लड़ाई में सबकुछ खो बैठे थे आज सभी बुजुर्ग की सोच थी जातियों में ही  शादी करेंगे उसके बाद तीन चार बार यहां घटना दोहराई गई थी। जिसमें उनको भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

ऐसे दो प्रेम करने वालों को अलग क्यों किया जाता है। लेकिन उनको मार तो गया लेकिन उनके प्यार को ना तो कभी किसी समझाना  चाहा  सिर्फ और सिर्फ जातियों का  ऊंच- नीच के भेदभाव को आधार बनाकर बिना सोचे समझे इतना बड़ा कदम सिर्फ एक झूठी शान के लिए उठाया गया । जिसमें बहुत सारे लोगों ने अपनी  जान तक से हाथ धोना पड़ा। आज हमारा समाज इतना आधुनिक हो गया लेकिन पुरातनकाल से यह परंपरा चलती आ रही है। जात पात के नाम पर बहुत सारे लड़के लड़कियों को मार दिया जाता है । हालांकि यह बात गलत है लेकिन लड़के लड़कियों को भी यह समझाना चाहिए कुछ हद तक मैं समझता हूं जात-पात गलत नहीं है  उसमें मेरे कहने का भाव है कि अपनी जाति में अगर शादी हो तो अच्छा है और इसका वैज्ञानिक की भी कारण है जो आप सब पढ़ सकते हैं और हमें मौत का खेल रोकने के लिए बहुत ही कठोर निर्णय लेने  होगा गया तो हम सबको अपनी सभ्यता को बनाए रखना चाहिए । या तो फिर पश्चिमी सभ्यता से पूर्ण रूप से अपनाया या फिर उसके छोड़ देना चाहिए दोनों सभ्यत  के बीच में नहीं रहना चाहिए। आज भी बहुत सारे ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा चली आ रही है । आज के आधुनिक युग में बहुत होता है । आज भी न जाने कितने बहुत से लड़के लड़कियों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। लेकिन प्यार अमर है अगर वह बिना मत बिना किसी शर्त, रंग- रूप जात _पात के देख ,बिन देखे, बिना जिस्मानी प्यार के किया जाए तो वह प्यार ही  निस्वार्थ भाव से  किया जाता है।सिर्फ आत्मा से प्यार होता है वहीं प्यार सच्चा है । एक खास बात ये भी  है एक कड़वी सच्चाई है आज के युग में नामुमकिन है सच्चा प्यार मिलना बहुत मुश्किल है। आप क्या सोचते हैं इसके बारे में आप अपनी राय जरूर दें ।और अपने विवेक से मुझे उत्तर जरूर देना। मैं आपके उत्तर का इंतजार करूंगा। और हां मुझे जरूर बताएं । इसमें दोष किसका था ? आप भी अपना विवेक से उत्तर दीजिए और इन दोनों की जान और रूहों के लिए  प्रार्थना कीजिए और ऐसे अमर प्यार करने वालों को प्रणाम जिनका सच्चा प्यार है । क्योंकि प्यार रुहो से होता है जिस्म से नहीं मैं  इंतजार करूंगा और अपनी राय दें।
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हे नारी तू महान है,करता हूं मैं तेरा गुण गान बलदयानी ,दयाभावानी , शक्ति स्वरूपा हैं,

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क्या गजब खेल देखो दिखाया भगवान ने,भुल गए था इंसान राम न,अहम अहंकार अधर्मी के चरु से,भुल बैठ राम नाम न। देखो प्रकृति गजब खेल दि

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" कोरोना युद्ध"

12 मार्च 2023
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वीर योद्धा हो तुम इस युद्ध के इस महामारी के खिलाफ लड़ना है,पुलिस, सफ़ाई कर्मचारी, डाक्टर,महानायक इस युद्ध के,उनके सम्मान में मार्गदर्शन का पालन करना है,वीर योद्धा हो तुम इस युद्ध केमहामारी के खिल

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