सुन्दर झरने झर झर करते,
कल कल करती है नदियां,
पहाड़ों कि चोटी शोभा बढ़ती,
फुल कि महकती है बगिया,
कितनी सुन्दर है शान प्रकृति की,
मनुष्य को है वरदान प्रकृति का।
सुबह सुबह होती है चहकत पंछियों की
मन मोहक दृश्य है उषा का,
ढलता सूरज है दिखाता छटा अलग,
तारों की होती है टमटमाहट,
चांदनी रात की है शोभा प्यारी,
कितनी सुन्दर है शान प्रकृति की,
मनुष्य को है वरदान प्रकृति का ।
आओ मिलकर करें रखवाली
न कटने देना है जंगल
मिलकर लगाने हैं पेड़ पौधे
ताकि देख पाएगी अगली पीढ़ी
ये सुन्दर शान प्रकृति की
मनुष्य को है वरदान प्रकृति का।