(१) मां ने मुस्कुराकर,
मुन्ने से पूछा,
कुछ इठलाकर यूँ------
आज मुझे बाजार मिली थी,
तेरी कालेज वाली गर्लफ्रेंड,
बोल क्या------बोलता तू-------
पास खड़ी थी - उसकी लड़की,
आँख तरेरकर मां उससे बोली,
खड़ी खड़ी क्या सुनती रहती,
आलतू फालतू की बातें तू-------- (२) दोनों ही कलेजे के टुकड़े-------
एक अतिप्यारा,
एक टुकड़े-----------टुकड़े------------
अतिप्यार में, एक------अतिदंभी रहे
दुत्कार से दूजा, कन्या होने की गुंथी सहे
(३) लड़की बोली मां से, फिर
ले थाम जिगर,
तू--------जोर से अपना-----
मेरे जनम का सेहरा – सर मेरे तो,
मैं खुद ही करूंगी,
पूरा------- मेरा सपना---------
(४) निकल पड़ी वो घर से अकेले
था, साथ में उसके संपूर्ण समाज ----
रस्ते तो कांटे ही भरे थे, बिखरे पड़े थे,
दानव - दैत्य लोलुपता के पहने ताज----
(५) घोर अँधेरे कुछ ना दिखे
पर भोर का आना----तय रहता है------
द्रढ़ निश्चय करके, कमर कसी तो
सर पीठ पे साया मिल जाता है---------
(६) मिल जाती है मुहब्बत, उनसे भी,
हम, जिनको गैर-------समझते हैं -----
वो गैर --- गैर सब मिलकर ही
एक स्वस्थ समाज बनाते हैं --------
(७) ऐसे ही नेक --- सरल मृदुभासी, सब
जन जनी का सदर अभिनन्दन है ------
उनकी ही तपस्या की, ये खुशबु है
की, मन--------शीतल है,
क्योंकि,
अपना देश, नंदन-----वन है------