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hindipoemsri

श्रीप्रकाश गुप्ता

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मानवीय भावनाओं से सम्बंधित मर्मस्पर्शीय कविताएं  

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पुस्तक के भाग

1

जिन्दा - रहना है, जरुरी इसलिए...

3 सितम्बर 2015
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जिन्दा रहना है, जरुरी-इसलिए कि मरने का हमें कोई-हक़ ही नहीं है---- किसलिए, मरते है लोग-स्वयं ही, कैसे मान लिया, उन सबने, कि, मरना ही सही है------------(२) चिर-निद्रा की गोद वो, सुख़ से सोने जो चले-------- इससे पहले सोच ले, कल, इसी तरह, उनका, कोई प्रिय

2

बेटी-----कन्या

29 सितम्बर 2015
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(१) मां ने मुस्कुराकर, मुन्ने से पूछा, कुछ इठलाकर यूँ------ आज मुझे बाजार मिली थी, तेरी कालेज वाली गर्लफ्रेंड, बोल क्या------बोलता तू------- पास खड़ी थी - उसकी लड़की, आँख तरेरकर मां उससे बोली, खड़ी खड़ी क्या सुनती रहती, आलतू फालतू की बातें तू---

3

दारू—शाला-----

29 सितम्बर 2015
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(१) जल्दी –जल्दी----------पीना--है क्योंकि---------------------------- जल्दी—जल्दी-----------जीना--है क्या- करेंगे--------जी------करके साल--------दर-------साल जियेंगे—मरेंगे---लादी---ढो—ढो---करके साल--------दर-------साल(२) मरना—ही--है-----मुस्कुरा –के--मरें

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राजनीती

29 सितम्बर 2015
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(१) सब का अपना---------इमान धरम है एक दूजे से---------ना कोई कम है एक से बढकर---------एक हैं सबही नियत के भी---------नेक हैं सबही(२) है--- फिर भी----------मारामारी जमकर देखें-- कौन है लेता----------किस्से टक्कर सबकी अपनी-----------फ़ौज खड़ी है लिए तलवार---

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