गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ
नये मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा।
फरेब दे कर तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिन
मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा।
तुम्हें पता तो चले बेजबान चीज का दुःख
मैं अब चराग की लौ ही नहीं बनाऊंगा।
मैं दुश्मनों से जंग अगर जीत भी जाऊं
तो उनकी औरतें कैदी नहीं बनाऊंगा।
मैं एक फिल्म बनाऊंगा अपने सरवत पर
उसमें रेल की पटरी नहीं बनाऊंगा।
Hafi