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भाग 6

28 अगस्त 2022

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जरा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है,
समंदरो ही के लहजे में बात करता है।

खुली छतों के दियें कब के बुझ गये होते,
कोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है।

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं,
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है।

ये देखना है कि सहरा भी है समुंदर भी,
वो मेरी तिश्ना-लबी किस के नाम करता है।

तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों,
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है।

जमीं की कैसी वकालत हो फिर नहीं चलती,
जब आसमाँ से कोई फैसला उतरता है।

वसीम बरेलवी

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रचनाएँ
Raju ki shayri
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इस किताब में आपको हर किस्म की सायरी और सेर मिलेंगे जिन्हे पड़कर आपका दिल एकदम प्रसन्न हो जायेगा प्यार भरी सायरी टूटे दिल की शायरी दर्द भरी सायरी दोस्ती शायरी मां बाप पर सायरी और बहुत सी सायरी का संग्रह इस किताब मे आपको देखने को मिलेगा आप इस किताब को जरूर पढ़ें
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भाग 2

28 अगस्त 2022
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हो अगर बारिश हवा भी रूख बदलेगी। देख लेना बिजलियाँ भी खूब चमकेगी।। अब कहाँ जायें बता हर ओर आफत है। है घटा घनघोर बारिश झूम बरसेगी।। रहनुमा का है पता क्या बाढ़ में देखो। जेब में खैरात भी सब घूस

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भाग 3

28 अगस्त 2022
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अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए, सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए । ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें, चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए । चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में, पैरों तले

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भाग 4

28 अगस्त 2022
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चलो एक दूसरे से फ़ासला बढ़ाया जाए बग़ैर आंसुओं के उम्र भर रोया जाए ऐसा नहीं कि किसी और से नहि मिलता दिल जैसे मिला तुमसे किसी और से कैसे मिलाया जाए तसल्ली तो की थी मगर समझता ही नहीं दिल को कि

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भाग 5

28 अगस्त 2022
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कही-सुनी पे बहुत एतबार करने लगे मेरे ही लोग मुझे संगसार करने लगे पुराने लोगों के दिल भी हैं ख़ुशबुओं की तरह ज़रा किसी से मिले, एतबार करने लगे नए ज़माने से आँखें नहीं मिला पाये तो लोग गुज़रे ज

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भाग 6

28 अगस्त 2022
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जरा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है, समंदरो ही के लहजे में बात करता है। खुली छतों के दियें कब के बुझ गये होते, कोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है। शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं, किसी का कु

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भाग 7

28 अगस्त 2022
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कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है छुप के रोता हूँ तिरी याद में दुनिया भर से कब

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भाग 8

28 अगस्त 2022
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चोट मौसम ने दी कुछ इस तरह गहरी हमको। अब तो हर सुबह भी लगती है दुपहरी हमको।। काम करते नहीं बच्चे भी बिना रिश्वत के। अपना घर लगने लगा अब तो कचहरी हमको।। अब तो बहिनें भी ग़रीबी में हमें भूल गईं।

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भाग 9

28 अगस्त 2022
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गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ नये मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा। फरेब दे कर तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिन मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा। तुम्हें पता तो चले बेजबान चीज का दुःख मैं अब चराग

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भाग 10

28 अगस्त 2022
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सौदा हमारा कभी बाज़ार तक नही पहुंचा..!! इश्क था जो कभी इज़हार तक नही पहुंचा...!! यूँ तो गुफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी...!! सिलसिला कभी ये प्यार तक नही पहुंचा...!! जाने कैसे वाकिफ़ हो गया तमा

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भाग 11

28 अगस्त 2022
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उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है, साथ ही मुहब्बत का वास्ता भी लिखा है, उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना, साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है, कुछ हरूफ लिखे हैं ज़ब्त की नसीहत में,

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