अरे अदिति कैसी हो तुम... सोनिया ने पीछे से अदिति के कंधे पर हाथ रखते हुए पुछा..।
किंजल:- क्या यार तुम भी कैसा सवाल पुछ रहीं हो..। अपनी अदिति तो एवन रहतीं हैं हमेशा..।
सिमरन:- अरे होगी कैसे नहीं... इतना पैसे वाला ससुराल जो मिला हैं..। यार अदिति हम सबमें से तेरी किस्मत सबसे अच्छी निकली..।
राहत:- हां यार ये बात तो सच हैं..। ना सिर्फ पैसा बल्कि इतना हैंडसम पति भी तो मिला हैं..। यार सच में तेरे पति को देखकर तो कभी कभी मुझे भी जलन होती है..।
किर्ति:- सिर्फ हैंडसम नहीं डियर...इतना प्यार भी तो करता हैं हमारी अदिति से..। आए दिन दोनों के फोटो छपते रहतें हैं अखबारों में..।
सोनिया:- हां फोटो तो मैने भी देखें हैं... सच में तुम्हारी जोड़ी बहुत प्यारी लगतीं हैं..।
राहत:- अरे ये तो भला हो सिमरन का जो उसने अपने जन्मदिन की पार्टी रखी और हम सबको साथ में बुलाया..। वरना कॉलेज के बाद तो हम सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए थे..। लेकिन इस बात की बहुत खुशी होती हैं की सब अपने गृहस्थ जीवन में खुश हैं....।
अदिति:- हां यार ये बात तो हैं... सच में सिमरन ये तुने बहुत अच्छा किया... मैं तुम सबको बहुत मिस कर रहीं थी... लेकिन हर रोज़ मिटिंग... पार्टी में जाने की वजह से वक़्त ही नहीं मिलता था..।
राहत मस्ती में:- हां यार अब तुझे हमारे लिए वक्त कहाँ से मिलेगा... हमारे जीजाजी से ही फुर्सत नहीं मिलतीं होगी..।
वो तेरा पल्लू छोड़ें तो हमारी याद आए ना...।
राहत की बात सुन सभी खिलखिला कर हंस दी..।
सोनिया:- यार सच में कितने वक़्त के बाद हम ऐसे साथ में बैठे हैं... आज भी कॉलेज के वो दिन याद आते हैं..। अदिति तु आज भी वैसी ही हैं... तेरे चेहरे की हंसी बता रही हैं तु कितनी खुश हैं..।
अदिति:- सिर्फ खुश...
नहीं यार... बहुत खुश हूँ मैं.. वो मुझे इतना प्यार करते हैं... इतना प्यार करते हैं... पुछो मत.. बस एक बार जुबान से कोई चीज़ मांग लु... उसी वक्त हाज़िर..। और मेरी सासु माँ तो साक्षात देवी हैं.. उनकी तो मुझे देखें बिना सुबह की शुरुआत ही नहीं होती...। कभी मैं ना होउं तो फोन पर हर पल की खबर लेती हैं... । सच में मेरी माँ से भी ज्यादा वो मुझे प्यार करतीं हैं... उनका बस चले तो मुझे मेरी आंखों से ओझल ही ना होने दे..। सारा दिन नौकर आगे पीछे घुमते रहते हैं..।
सोनिया:- वाह यार... सच में तु बहुत नसीब वालीं हैं... इतना ऊंचा घराना... इतना पैसा.. इतना प्यार जो मिला हैं..।
तभी अदिति के मोबाइल की रिंग बजी..।
अदिति ने देखा और खिलखिलाते हुए अपने सभी दोस्तों को फोन दिखाते हुए कहा.. :- ये देखो मम्मी जी का फोन मैने कहा था ना उनकों मेरे बिना कुछ अच्छा ही नहीं लगता हैं... तुम लोग इंजाय करो मैं अभी दो मिनट बात करके आतीं हूँ..।
ऐसा कहकर अदिति वहाँ से फोन लेकर थोड़ी दूरी पर चलीं गई..।
फोन उठाते ही दूसरी तरफ से आवाज आई:- महारानी तेरी सहेलियों के साथ खी-खी हो गई हो तो घर आने का कष्ट करों.... सुबह से सारा काम ऐसे ही पड़ा हैं...। जल्दी वापस आ...।
अदिति लड़खड़ाती हुई जुबान से:- जी मम्मी अभी आई..।
अदिति ने फोन रखा और वापस अपने दोस्तों के पास आई और हंसती हुई बोली:- बाय दोस्तों... मुझे जाना होगा.. वो मम्मी जी को एक हास्पिटल के उद्घाटन के लिए जाना हैं और वो मेरे बिना तो जाएंगी नहीं..। तुरंत बुलाया हैं उन्होंने..।
राहत:- ठीक हैं यार.. जा... लेकिन एक बात कहुँ... तु सच में बहुत किस्मत वाली हैं..।
अदिति हंसते हुए:- वो तो मैं हूँ...। अच्छा अभी चलतीं हूँ..।
अदिति सबको गले लगाकर वहाँ से चलीं गई..। और तुरंत अपनी कार से घर पहुंचीं..।
उसके जाने के बाद:- वाह यार अदिति के तो सच में ठाट हैं... वरना आजकल कौनसी सास ऐसा सोचती हैं.. सच में मोती दान किए होंगे उसने तभी उसे ऐसा ससुराल और ऐसा पति मिला हैं..। अरे तुने परसों अखबार में उसके पति का इंटरव्यू पड़ा था... उसमें उसने कहा था कि मेरी हर खुशी की हकदार सिर्फ और सिर्फ मेरी पत्नी हैं..। सच में बहुत प्यार करते हैं दोनों एक दूसरे को..।
सोनिया:- हां मैने भी देखा था.. उसे देखकर बहुत खुशी मिली..। चलो अभी हम भी चलते हैं... हमें तो घर जाकर खुद ही अपने काम करने हैं... हमारे पास अदिति की तरह नौकर नहीं हैं...।।।
सभी मुस्कुरा कर एक दूसरे से विदा लेकर अपने अपने घर चल दिए..।
वहीं अदिति के घर
सौरव:- कहाँ गई थी..?
अदिति:- जी वो मेरी एक कॉलेज की सहेली का जन्मदिन था... आपको बताया था रात को...।
सौरव चिल्लाते हुए:- तुम्हें हमारे खानदान की नाक कटवानी हैं क्या...किसने इजाजत दी तुम्हें जाने की... घर का सारा काम क्या तुम्हारी माँ आकर करेगी... पता हैं मम्मी को कितनी तकलीफ हो रही हैं... तुम्हें हर जगह अपने साथ लेकर जाता हूँ... इतना काफी नहीं हैं जो अपनी घटिया सहेलियों से मिलने चलीं गई.. खबरदार जो आज के बाद ऐसे कभी बाहर गई हो तो..।
अदिति:- लेकिन आपने ही तो रात को मुझे इजाजत दी थीं..।
सौरव की माँ कमरे में आते हुए:- रात को उसकी बेहोशी का अच्छा फायदा उठा लेती हैं तु... रात को वो पार्टी से हर रोज़ पीकर आता हैं... वो कभी हैश में होता हैं जो उससे उस वक़्त पुछती हैं..। तुझे हजार बार कहा हैं ना इस घर के बाहर अगर कदम रखना हैं तो सिर्फ अपने पति के और मेरे साथ रखेगी... फिर तेरी हिम्मत कैसे हुई..। सौरव बेटा बहुत दिनों से तुने इसे इसकी दवाई नहीं दी हैं लगता हैं तभी इसे इतनी आजादी मिल गई हैं..।
सौरव:- सही कह रहीं हो तुम माँ... बहुत दिन हो गए हैं..।
अदिति:- डर से कांपते हुए... नहीं प्लीज मुझे मारना मत...
मैं.... मैं.... आपसे..... हाथ... जोड़कर माफी मांगती हूँ... प्लीज.. मुझसे गलती हो गई...। माफ़.... कर.....
दो....।
ऐसा बोलते बोलते अदिति सौरव के पैरों में गिर गई...।
सौरव ने अपनी बेल्ट उतारी और अदिति को लात मारकर खुद से दूर किया..।
केसर:- बेटा थोड़ा ध्यान से दवाई देना... परसो मंत्री जुड़े के यहाँ डिनर पर जाना हैं... याद रहे चेहरे पर कोई निशान ना आए..।
सौरव:- हां माँ....।
अदिति भाग कर अपनी सास के पैरों में गिर गई... माँ जी मुझे माफ़ कर दिजीए.. प्लीज आइंदा ऐसा कभी नहीं होगा..।
केसर:- आइंदा ऐसा ना हो... इसलिए अभी दवाई देना बहुत जरूरी हैं..। तु खड़ा खड़ा मुंह क्या देख रहा हैं...।
सौरव ने अपनी बेल्ट से अदिति की पीठ पर लगातार वार करने शुरू कर दिए.. वो दर्द से रोती रही... कराहती रहीं... पर उन दोनों पर कोई असर नहीं हुआ..।क्योंकि उनके लिए ये कुछ नया नहीं था..।
कुछ महिनों बाद.......
सोनिया:- हैलो राहत...!
राहत:- हां सोनिया... आज कैसे याद किया...। राहत तुने आज का अखबार पड़ा..।
राहत:- हां यार... मैने भी देखा... सच बहुत सोच में पड़ गई हूँ मैं भी... अदिति ऐसा कैसे कर सकती हैं..। यकीन ही नहीं हो रहा..।
सोनिया:- सच में यार बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा..। मुझे अभी किंजल का भी फोन आया था.... यकीन करना मुश्किल हैं... ऐसा क्या हुआ होगा जो अदिति ने आत्महत्या कर ली...!!!