भाषण प्रतियोगिता
विषय:- एकल प्लास्टिक पर रोक: एक अच्छी शुरुआत
"प्लास्टिक हटाओं देश बचाओं"
बोलना बहुत आसान है क्या हम हमारी जिम्मेदारी समझते है। कल ही बात बताता हूँ।
मुझे मेरी मां ने कहा जा बेटा/बेटी बाजार से सब्जी और कुछ समान ले आ। मैं बाजार चला गया। मुझे बहुत सी जगह कूड़े का ढेर दिखाई दे रहा था। जिसमें अधिकांश पॉलीथिन ही पॉलीथिन थी। जब सब्जी ली तो सब्जी वाले पॉलीथिन बैग में सब्जी डालकर दे दी। और दुकानदार ने भी यही किया। खैर यह ना तो सब्जी वाले का दोष है ना ही दुकानदार का। क्योंकि ये सब तो वह उत्पादन नही कर है ना। गलती उन कंपनी की है जो उत्पादन कर रही है। या उन बैंक की जो ऐसी कंपानी को वितीय सहायता देते है। और बहुत ज्यादा तो सरकारों की है जो ऐसी कंपनी को उत्पादन की अनुमति देती है। खैर देर आये दुरुस्त आये हमारे देश ने ही विदेशों ने भी माना है एकल उपयोग वाले प्लास्टिक ही हानियां।
भारतीय पहल:
पिछले साल 12 सितंबर को मंत्रालय ने एक जुलाई, 2022 से पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल) के तहत पहचान की गई एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। और अब यह 1 जुलाई 2022 से लागू हो गया है। तो अब सावधान हो जाओ नही तो आपको भारी पड़ सकता है। क्या भारी पड़ सकता है?
आज 11 अगस्त 2022 है सही बताओं क्या एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह बंद हो गया है।। नही ना। नही ना।
अरे बाबा अब तो बंद करों इसका इस्तेमाल और उत्पादन। लेकिन नही। हम कहां सुधरने वाले है।
खैर।
एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक या डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक (Disposable Plastic) ऐसा प्लास्टिक है जिसे फेंकने या पुनर्नवीनीकरण से पहले केवल एक बार ही उपयोग किया जाता है।
एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद जैसे- प्लास्टिक की थैलियाँ, स्ट्रॉ, कॉफी बैग, सोडा और पानी की बोतलें तथा अधिकांशतः खाद्य पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला प्लास्टिक।
प्लास्टिक भी प्रदूषण फैलाने में काफी अहम योगदान देता है। प्लास्टिक जिसे तेल और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन से प्राप्त किया जाता है। इसका उपयोग बड़े रुप से प्लास्टिक बैग, रसोई का सामान, फर्नीचर, दरवाजे, चद्दर, पैकिंग के सामान के अलावा अन्य कई चीजो को बनाने के लिये किया जाता है।
लोग प्लास्टिक से बने सामानो को लेना ज्यादे पसंद करते है क्योंकि यह लकड़ी और धातु के वस्तुओ के तुलना में काफी हल्के और किफायती होते है।
प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा को बढ़ा रहा है, जिससे इसका निस्तारण दिन-प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है,
क्योंकि प्लास्टिक एक नॉन बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है। यह कई टुकड़ो में टूट जाता है और खराब होता है परन्तु मिट्टी में नही मिलता है, जिससे यह पर्यावरण में सैकड़ो सालो तक बना रहता है और प्रदूषण फैलाता है।
यदि इसे लैंडफिलो में भी दफना दिया जाये तो इसके द्वारा लीक होकर जमीन और पानी में प्रदूषण फैलाने की संभावना बनी रहती है।
प्लास्टिक को जलाकर भी नही खत्म किया जा सकता है, क्योंकि इसके दहन से कई जहरीली गैसे उत्पन्न होती है, जिससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती है। प्लास्टिक खाकर हजारों जानवर मारे जाते है। प्लास्टिक बैगों का निस्तारण आज के समय में एक बड़ी समस्या बन चुका है।
प्लास्टिक बैग प्लास्टिक के द्वारा फैलने वाले प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोत है, जिसके वजह से यह कई देशो में प्रतिबंधित है।
उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष उत्पादित 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से 43% सिंगल यूज़ प्लास्टिक है।
आगे की राह
आर्थिक रूप से किफायती और पारिस्थितिक रूप से अनुकूलित विकल्पों की ज़रूरत है जो संसाधनों पर बोझ नहीं डालते हैं और समय के साथ उनकी कीमतें भी कम हो जाएंगी तथा मांग में वृद्धि होगी।
कपास, खादी बैग और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक जैसे विकल्पों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
सतत् रूप से अनुकूलित विकल्पों को तलाशने के लिये अधिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) के साथ-साथ वित्त की आवश्यकता है।
नागरिकों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर कचरे को फैलने से रोकने के साथ -साथ कचरा पृथक्करण और अपशिष्ट प्रबंधन में मदद करना होगा।
इतना सब बता दिया है। अब आगे जरूर ध्यान रखना एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का इतेमाल नही करना।
" करते हो अगर देश से प्यार, तो एकल उपयोग प्लास्टिक को ना कहने की आदत बनाओं न यार"
धन्यवाद
स्वरचित
नीरज खटूमरा