भाषण प्रतियोगिता
विषय:- बढ़ते हुए साइबर अपराध: एक चिन्तिनिय विषय
हम में से अधिकतर लोग मोबाइल कम्प्यूटर इंटरनेट के इतने आदि हो गए है कि अब तो परिवार सभी सदस्य साथ मे बैठे हो तो बात करने की बजाय सभी मोबाइल लेपटॉप या कम्प्यूटर में लगे रहते है। यह इस समय का सबसे कड़वा सत्य है।
हर कोई तकनीक के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। हमारा दैनिक जीवन तकनीक पर निर्भर हो गया है। उठते, बैठते ,चलते, सोने से पहले, खाते समय भी हम किसी ना किसी उपकरण से चिपके रहते है कहने का मतलब इस्तेमाल करते है। इंटरनेट हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। साथ ही हम सभी इंटरनेट के आदि बन गये है।
इंटरनेट का उपयोग करने वाली जनसंख्या का प्रतिशत दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा एक तरह से इंटरनेट पर निर्भर होती जा रही है। और साइबर-क्राइम ऐसी ही एक अवधारणा है। साइबर-अपराध एक ऐसा अपराध है जो हैकिंग, स्पैमिंग आदि जैसे किसी हमले के लिए कंप्यूटर का उपयोग करता है।
साइबर-अपराध का परिचय:
साइबर-अपराध और कुछ नहीं बल्कि सभी अवैध गतिविधियाँ हैं जो प्रौद्योगिकी का उपयोग करके की जाती हैं। साइबर अपराधी इंटरनेट और तकनीक की मदद से यूजर के पर्सनल कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया से पर्सनल डिटेल्स, बिजनेस सीक्रेट्स, नेशनल सीक्रेट्स, महत्वपूर्ण पर्सनल डेटा आदि को हैक कर लेते हैं। हैकर्स वे अपराधी हैं जो दूर रहकर पहचान छिपाकर इंटरनेट पर इन अवैध, दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि कुछ एजेंसियां इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही हैं, यह नियमित रूप से बढ़ रही है और कई लोग पहचान की चोरी, हैकिंग और दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर के शिकार हो गए हैं।
साइबर अपराध के यह कुछ कारण हो सकते है:-
बड़ी मात्रा में पैसा कमाने के लिए, या किसी देश को कमजोर करने का लिए सायबर अपराध का सहारा लिया जा रहा है।
कंप्यूटर तक पहुंच आसान - कम्प्यूटर तक आसानी से पहुँच बनाकर हैकिंग की बहुत संभावनाएं होती हैं। हैकर्स एक्सेस कोड, रेटिनल इमेज, एडवांस वॉयस रिकॉर्डर आदि चुरा सकते हैं जो बायो-मेट्रिक सिस्टम को आसानी से गुमराह कर सकते हैं
कंप्यूटर डेटा छोटी जगह में स्टोर होने की वजह से इसे आसानी से डेटा चुराया जा सकता है।
कोड की जटिलता - कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर साइबर अपराधी अपराध को अंजाम देते है।
उपयोगकर्ता की लापरवाही - मनुष्य कई बार बाहर जाते वक्त घर को लॉक करना भूल जाता है। उसका अंजाम चोरी होता है। वैसे ही अगर सिस्टम (कम्प्यूटर,मोबाइल) पर सेफ़्टी टूल का इस्तेमाल नही करेंगे। लापरवाही करेंगे। तो साइबर अपराधी कंप्यूटर सिस्टम पर नियंत्रण कर लेते है।
साक्ष्य की हानि - साइबर अपराधी अपराध करके संबंधित डेटा को आसानी से मिटा सकते हैं। इसलिए, सबूतों ना होने के कारण साइबर अपराधी आसानी से बच जाते है।
साइबर अपराध कई प्रकार के हो सकते है:-
हैकिंग: किसी व्यक्ति या संस्था का कंप्यूटर या मोबाइल हैक किया जाता है ताकि नाजुक जानकारी हासिल की जा सके। अपराधी किसी व्यक्ति के कंप्यूटर में सेंध लगाने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है और हो सकता है कि व्यक्ति यह नहीं जानता हो कि उसके कंप्यूटर को किसी दूरस्थ स्थान से एक्सेस किया जा रहा है। सरकारी वेबसाइटें हैकर्स की प्रबल शिकार होती हैं। एथिकल हैकिंग इससे अलग है और इसका उपयोग कई संगठन अपनी इंटरनेट सुरक्षा सुरक्षा की जांच के लिए करते हैं।
बच्चों की पोर्नोग्राफी और उनका शोषण: बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए इंटरनेट का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक प्रकार का साइबर अपराध ही है
साहित्यिक चोरी या कॉपीराइट: संगीत, फिल्में, गेम और सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर कॉपीराइट का उल्लघंन करना। कुछ वेबसाइटें भी सॉफ्टवेयर चोरी को प्रोत्साहित करती हैं
साइबर स्टाकिंग: पीड़िता को ऑनलाइन संदेशों और ईमेलों लगातार भेजें जाते है। आमतौर पर, ये स्टाकर अपने शिकार को जानते हैं और ऑफ़लाइन स्टाकिंग के बजाय, वे इंटरनेट का उपयोग करके उनका पीछा करेंगे। हालांकि, यदि वे देखते हैं कि साइबर-स्टॉकिंग का प्रभाव नहीं हो रहा है तो वे साइबर-स्टॉकिंग के साथ-साथ ऑफ़लाइन स्टाकिंग शुरू करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीड़ित को और ज्यादा परेशान किया जा सकें।
साइबर आतंकवाद: कंप्यूटर वायरस का उपयोग व्यक्तियों, सरकारों और अन्य सुरक्षा संस्था पर हमला करने के लिए मैलवेयर का उपयोग करते है। आतंकियों का मकसद पीड़ितों के दिमाग में आतंक की भावना पैदा करना होता है. साइबर आतंकवादी एक मोहरा की तरह अपनी गतिविधियों में सबसे पहले नुकसान और विध्वंस के उद्देश्य से कार्य करते हैं।
पहचान की चोरी: नकद लेनदेन और बैंकिंग सेवाओं के तहत साइबर अपराधी व्यक्ति के बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड, सामाजिक सुरक्षा, डेबिट कार्ड और अन्य राजनयिक जानकारी के बारे में डेटा प्राप्त करता है ताकि पैसे निकालने या पीड़ित के नाम पर ऑनलाइन चीजें खरीद सकें।
कंप्यूटर बर्बरता: दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है जिसमें कंप्यूटर और डेटा को विभिन्न तरीकों से नष्ट करना और निश्चित रूप से व्यवसायों को बाधित करने के लिए किया जाता है।
दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर: का उपयोग राजनयिक जानकारी या डेटा को लूटने या सिस्टम में मौजूद सॉफ़्टवेयर को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
साइबर अपराधों को रोकने के कुछ तरीके अपना सकते है।
शायद यह लाइन तो सभी ने सुनी होगी।
"अपनी सावधानी अपने हाथ, सावधानी हटी दुर्घटना घटी"
वैसा ही हाल को कंप्यूटर और मोबाइल के उपयोग में है। तो सावधानी रखें सभी मुसीबतों से बचें।
मजबूत पासवर्ड का उपयोग करके: प्रत्येक खाते के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखें। पासवर्ड बदलते रहें और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।
सोशल मीडिया को निजी रखें: आपने सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल (फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, आदि) को निजी रखें। सुरक्षा सेटिंग्स की जांच करते रहे।
अपने भंडारण डेटा को सुरक्षित रखें: वित्तीय और करों से संबंधित अपनी महत्वपूर्ण राजनयिक फाइलों के लिए सेफ्टी एप्लीकेशन का उपयोग करके अपने डेटा को सुरक्षित रखें।
ऑनलाइन अपनी पहचान की रक्षा करना: जब भी हम व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन प्रदान करें तो हमें बहुत सतर्क रहना होगा। इंटरनेट पर अपना नाम, पता, फोन नंबर और वित्तीय जानकारी जैसी व्यक्तिगत आईडी देते समय आपको सतर्क रहना चाहिए।
अपने फोन को सुरक्षित करना: केवल विश्वसनीय स्रोतों से एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें। अज्ञात स्रोतों से सॉफ्टवेयर/एप्लिकेशन डाउनलोड न करें। ऑपरेटिंग सिस्टम को अप-टू-डेट रखें। एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर के साथ सुरक्षित और लॉक स्क्रीन का भी उपयोग जरूर करें। अन्यथा, यदि आपने अपना फ़ोन खो दिया है तो कोई भी आपके फोन की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर सकता है।उसका दुरुपयोग कर सकता है। जीपीएस के जरिए आपकी गतिविधि को ट्रैक कर सकते हैं।
मदद के लिए सही व्यक्ति को बुलाएं: अगर आप पीड़ित हैं तो घबराने नहीं। अगर आपको बाल शोषण जैसी अवैध ऑनलाइन सामग्री मिलती है या यदि आपको लगता है कि यह एक साइबर अपराध या पहचान की चोरी या एक व्यावसायिक घोटाला जैसे कोई मामला है, तो किसी भी अन्य अपराध की तरह ही अपनी स्थानीय पुलिस को इसकी रिपोर्ट करें।
हमें कभी भी किसी को अपने मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की जानकारी नहीं देनी चाहिए।
छात्राएं रास्ते में घर जाते समय किसी भी तरह की समस्या आने पर 112 पर फोन कर सहयोग ले सकती हैं।
हमें सोशल मीडिया पर मित्र बनाते समय या बाजार में ऑनलाइन खरीदारी करते समय सावधान रहना आवश्यक है।
सरकार ने आईटी एक्ट के तहत अनेक कानून बनाया है। ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 1930 भी जारी किया है। जहां शिकायत की जा सकती है।
कविता की चंद लाइन से अपने शब्दों की विराम देता हूं।
धोखा धोखा धोखा।
कभी OTP मांग कर धोखा।
तो कभी क्रेडिट कार्ड स्वपिंग में धोखा।
कभी-कभी खरीददारी में धोखा।
अब तो ऑनलाइन शॉपिंग में भी धोखा।
कभी ईनाम का लालच देकर धोखा।
कभी बड़े सपने दिखाकर धोखा।
सही दिखाकर गलत माल बेच देना।
आईडी चुराकर इस्तेमाल करना।
डेटा डिलीट कर अस्तित्व मिटा देना।
सुरक्षा साइट हेक कर देश को ख़तरे में डालना।
बस यह सब ज्यादा पैसों के लालच में करना।
बस धोखा धोखा धोखा।
स्वरचित
नीरज खटूमरा