नीरज खटूमरा
मंजीता का संघर्ष
मंजीता एक गॉव की सीधी साधी लड़की है। जो हमेशा अपनो के लिए लड़ती है । फिर चाहे वे उसे पसंद ही नही करते हो। मंजीता अपनी पढ़ाई में बहुत कमजोर है। मगर वह पढ़ना चाहती है। वो अपने जीवन मे परिवर्तन लाना चाहती है। मगर जैसा वह सोचती है वैसा उसके साथ हुआ नहीं। उस
मंजीता का संघर्ष
मंजीता एक गॉव की सीधी साधी लड़की है। जो हमेशा अपनो के लिए लड़ती है । फिर चाहे वे उसे पसंद ही नही करते हो। मंजीता अपनी पढ़ाई में बहुत कमजोर है। मगर वह पढ़ना चाहती है। वो अपने जीवन मे परिवर्तन लाना चाहती है। मगर जैसा वह सोचती है वैसा उसके साथ हुआ नहीं। उस
Neeraj khatumara की डायरी
कविता:- लड़की होना क्या एक अभिशाप मुझे भी जीना है। पल -पल की ख़ुशी नहीं, मुझे हर पल जीना है। बेड़िया क्यों हैं मेरे आगे-पीछे, मुझे भी पैरों पर खड़ा होना है। घर से निकलना दूभर हुआ, गिद्धों से बचना मुश्किल हुआ, कभी बढ़ने से रोका, कभी पहने
Neeraj khatumara की डायरी
कविता:- लड़की होना क्या एक अभिशाप मुझे भी जीना है। पल -पल की ख़ुशी नहीं, मुझे हर पल जीना है। बेड़िया क्यों हैं मेरे आगे-पीछे, मुझे भी पैरों पर खड़ा होना है। घर से निकलना दूभर हुआ, गिद्धों से बचना मुश्किल हुआ, कभी बढ़ने से रोका, कभी पहने