बिन राधा मैं आधा, बिन श्याम हुआ जग सूना
श्याम नाम की माला में,
जोड़े हैं मैने कुछ मनके,
वो मनके हैं राधा रानी के,
उस प्रेम दीवानी मीरा के,
उन वृंदावन की गोपिन के,
और मेरी प्राण प्यारी राधा के ।
राधा रानी के मनके से,
श्याम धाम की कृपा रहेगी ।
मीरा का मनका जपने से,
अंतर्मन में प्रेम जगेगा ।
वृंदावन की गोपिन से,
विशुद्ध प्रेम की सीख मिलेगी ।
प्राण प्यारी राधा के मनके,
तुम ये मुझसे सुन लो अब,
तुमको सुमिरा हर मनके में,
राधा के मनके में,
मीरा के मनके में,
अपनी हार सांस के मनके में ।
बिन राधा हम आधे, बिन श्याम हुआ जग सूना ...... ।।